नई दिल्ली
17 जुलाई 2025
यमन की जेल में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को लेकर देशभर में चल रहे अभियान के बीच अब भारत सरकार की ओर से एक महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया सामने आई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने इस संवेदनशील मामले पर बयान देते हुए कहा है कि सरकार इस मुद्दे को “शीघ्र समाधान की दिशा में ले जाने का प्रयास कर रही है” और भारत कुछ मित्र देशों की सरकारों के संपर्क में भी है, ताकि इस मामले में मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए आगे बढ़ा जा सके।
निमिषा प्रिया, केरल की निवासी हैं और एक नर्स के तौर पर यमन में कार्यरत थीं। 2017 में उन पर यमन के एक नागरिक की हत्या का आरोप लगा और कोर्ट ने उन्हें मौत की सज़ा सुनाई। पिछले कई वर्षों से उनका जीवन एक अनिश्चितता और भय के साये में गुजर रहा है। वहीं भारत में उनके परिवार और सामाजिक संगठनों ने लगातार सरकार से अपील की है कि राजनयिक स्तर पर हस्तक्षेप कर निमिषा को वापस लाया जाए या कम से कम उसकी सजा को माफ करवा दिया जाए।
विदेश मंत्रालय के बयान में यह स्वीकार किया गया कि यह मामला बेहद संवेदनशील है और इसमें कई कानूनी और कूटनीतिक जटिलताएं जुड़ी हुई हैं। प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा कि सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है और मानवीय दृष्टिकोण से इस मामले का समाधान निकालने की दिशा में ठोस बातचीत चल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत कुछ “मित्र सरकारों” के संपर्क में है, जो इस मुद्दे पर प्रभाव डाल सकती हैं या मध्यस्थता कर सकती हैं।
यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत में विशेषकर केरल में निमिषा प्रिया की फांसी को रोकने के लिए जन समर्थन बढ़ता जा रहा है। हाल ही में, दिल्ली में भी सामाजिक कार्यकर्ताओं, मानवाधिकार संगठनों और कुछ राजनीतिक दलों ने इस मामले में हस्तक्षेप की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया था। कई संगठनों ने “डिया मनी” (खूनबहा) के ज़रिए समझौते की पहल करने की भी बात कही है, जो कि इस्लामी कानून के तहत यमन में एक स्वीकार्य विकल्प हो सकता है।
इस बीच भारत सरकार की भूमिका और विदेश मंत्रालय का ताजा बयान उम्मीद की एक किरण लेकर आया है। यह स्पष्ट संकेत देता है कि भारत केवल औपचारिकता नहीं निभा रहा, बल्कि सक्रिय रूप से वैकल्पिक मार्गों की तलाश में है। चूंकि यमन में फिलहाल राजनीतिक अस्थिरता और आतंरिक संघर्ष जारी है, ऐसे में वहां से किसी भी तरह का न्यायसंगत समाधान निकालना बेहद कठिन हो गया है।
राजनयिक हलकों में इस बयान को सकारात्मक माना जा रहा है। यह भी संकेत मिल रहे हैं कि अगर ‘डिया मनी’ की प्रक्रिया को सक्रिय किया जाता है, तो भारत सरकार इसकी पूरी प्रक्रिया को कानूनी और राजनयिक रूप से सुगम बनाने में मदद कर सकती है। इस दिशा में अगर किसी तीसरे देश की सरकार की मदद मिलती है — जैसा कि विदेश मंत्रालय ने इशारा किया है — तो यह मामला संभवतः एक मामूली कूटनीतिक सफलता से बढ़कर, एक मानवीय मिशन के रूप में भी याद किया जाएगा।
अब निगाहें भारत सरकार की अगली रणनीति पर हैं। क्या वे यमन के साथ उच्चस्तरीय वार्ता में जाएंगे? क्या कोई विशेष दूत भेजा जाएगा? या फिर भारत संयुक्त राष्ट्र या अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मामले को उठाएगा? ये सभी विकल्प फिलहाल खुले हुए हैं, लेकिन सरकार के हालिया रुख से इतना तय है कि निमिषा प्रिया को भुलाया नहीं गया है — और अब शायद उसे इंसाफ दिलाने की दिशा में गंभीर प्रयास शुरू हो चुके हैं।