मनोरंजन से मनी लॉन्ड्रिंग तक: प्रचार के नाम पर करोड़ों की कमाई का शक
भारत की आर्थिक खुफिया एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate – ED) ने एक गंभीर और चौंकाने वाली कार्रवाई करते हुए 29 जानी-मानी हस्तियों के खिलाफ PMLA (Prevention of Money Laundering Act) के तहत मामला दर्ज कर दिया है। इन हस्तियों पर आरोप है कि उन्होंने अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स जैसे JeetWin, Parimatch, Lotus365, Junglee Rummy, A23 आदि का प्रचार किया और इससे जुड़ी रकम को वैध दिखाने में भूमिका निभाई। इस कार्रवाई की जड़ें तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में दर्ज कम से कम पांच FIR से जुड़ी हुई हैं, जिनमें इन ऐप्स के जरिए आम लोगों को जुए में फंसाने और उनके पैसों का शोषण करने के आरोप पहले से ही दर्ज थे। अब ED ने इन FIR के आधार पर ECIR (Enforcement Case Information Report) दर्ज कर कानूनी प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है।
सिनेमा और टेलीविज़न के बड़े नामों की फेहरिस्त
जिन नामों को इस केस में शामिल किया गया है, उनमें दक्षिण भारत के कई चर्चित अभिनेता और अभिनेत्री शामिल हैं। प्रमुख चेहरों में विजय देवरकोंडा, राणा दग्गुबाती, प्रकाश राज, निधि अग्रवाल, प्रणिता सुभाष, मंचु लक्ष्मी, और अनन्या नागेला जैसे फिल्मी सितारे हैं। इसके अलावा, टीवी इंडस्ट्री से श्रीमुखी, श्यामला, वर्षिनी सौंदराजन, शोभा शेठी, हर्षा साई, पद्मावती, और बय्या सनी यादव जैसे होस्ट व एंकर भी जांच के दायरे में हैं। इन सभी पर आरोप है कि उन्होंने इन ऐप्स का सोशल मीडिया, यूट्यूब और टीवी माध्यम से प्रचार किया, जिससे हजारों लोग सट्टेबाजी के जाल में फंस गए। कई हस्तियों ने लाखों–करोड़ों रुपए का भुगतान इन प्रचारों के बदले प्राप्त किया, जिसका स्रोत और उपयोग अब जांच के घेरे में है।
सेलिब्रिटीज़ का पक्ष: “हमें जानकारी नहीं थी कि ये ऐप्स अवैध हैं”
ED की जांच शुरू होते ही कई सेलिब्रिटी सामने आए और अपनी सफाई देने लगे। अभिनेता प्रकाश राज ने स्वीकार किया कि उन्होंने 2017 में एक ऐप का प्रचार किया था, लेकिन जैसे ही उन्हें संदेह हुआ कि यह अवैध गतिविधियों से जुड़ा हो सकता है, उन्होंने उससे खुद को अलग कर लिया। कुछ अन्य लोगों ने दावा किया कि उन्हें ये ऐप्स “स्किल-बेस्ड गेमिंग प्लेटफॉर्म” के रूप में पेश किए गए थे, और उन्होंने केवल प्रमोशनल अनुबंध के तहत यह कार्य किया। लेकिन ED का दावा है कि यह जानबूझकर की गई चुप्पी या अनदेखी हो सकती है, जिसका उद्देश्य पैसे कमाना था, और इससे अपराध की भागीदारी तय हो सकती है।
ED की जांच की दिशा: पैसा कहां से आया, और कहां गया?
इस पूरे मामले में ED की प्राथमिकता दो पहलुओं पर केंद्रित है — पहला, ये पता लगाना कि प्रमोशन के लिए दी गई रकम कहां से आई और कितनी थी; और दूसरा, उस पैसे का आखिरकार उपयोग किस रूप में हुआ। ED जांच रही है कि क्या इन हस्तियों ने अपने अकाउंट्स में सीधे पेमेंट ली, या पैसा किसी तीसरे माध्यम से भेजा गया। अगर यह पाया गया कि भुगतान का स्रोत अवैध सट्टेबाजी से आया है, तो यह मनी लॉन्ड्रिंग के दायरे में आएगा और उस पर कठोर सजा का प्रावधान है। साथ ही, ED यह भी देख रही है कि क्या इन ऐप्स को प्रमोट करने के दौरान सेलिब्रिटीज़ को इसके गैरकानूनी होने का अंदाजा था, और फिर भी उन्होंने यह प्रचार जारी रखा।
कानून की पकड़ में मनोरंजन उद्योग
इस कार्रवाई का असर सिर्फ इन 29 लोगों पर नहीं, बल्कि पूरे मनोरंजन जगत और डिजिटल प्रमोशन इंडस्ट्री पर पड़ने की संभावना है। भारत में Public Gambling Act, 1867 के तहत सट्टेबाजी अपराध है, और इसके तहत किसी भी प्रत्यक्ष या परोक्ष समर्थन को कानूनन दंडनीय माना जाता है। सोशल मीडिया, यूट्यूब, इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर सैकड़ों प्रचारक सट्टेबाजी से जुड़े ऐप्स को प्रमोट कर रहे हैं, और ED का मानना है कि इससे देश के युवाओं और मध्यमवर्गीय परिवारों पर नकारात्मक असर पड़ा है। ED का यह कहना कि “प्रचार भी अपराध की भागीदारी है” एक बड़ा और कड़ा संदेश है, जिससे भविष्य में सेलिब्रिटीज़ को भी दो बार सोचने की ज़रूरत पड़ेगी कि वे किस ब्रांड या ऐप का प्रचार कर रहे हैं।
चमक-धमक की दुनिया में छुपा अंधेरा अब जांच के घेरे में
ED की यह कार्रवाई यह साबित करती है कि अब सेलिब्रिटी स्टेटस जांच से परे नहीं रहा। मनोरंजन की दुनिया में जहां एक इंस्टाग्राम पोस्ट या एक यूट्यूब वीडियो से लाखों रुपए कमाए जा सकते हैं, वहीं अब यह भी सुनिश्चित करना होगा कि प्रचारित सामग्री नैतिक और कानूनी दोनों ही मापदंडों पर खरी उतरती हो। इस केस से यह साफ हो गया है कि पैसे की दौड़ में शामिल होना अब सिर्फ लाइक्स और कमाई तक सीमित नहीं, बल्कि कानूनी और नैतिक ज़िम्मेदारी भी उठानी होगी। आने वाले दिनों में जब ED बयान दर्ज करना शुरू करेगी और संभवतः आरोपपत्र दाखिल करेगा, तब इस केस की गंभीरता और दूरगामी असर और स्पष्ट रूप से सामने आएंगे।