नई दिल्ली। 30 जुलाई 2025
दुलकर सलमान—नाम ही काफी था कभी मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में दर्शकों को खींच लाने के लिए। सुपरस्टार ममूटी के बेटे होने के बावजूद, दुलकर ने शुरुआत से ही यह दिखाने की कोशिश की कि वह केवल विरासत का बोझ नहीं ढो रहे, बल्कि अपनी कला से कुछ नया रचने की जिद भी रखते हैं। लेकिन आज जब वो 42 साल के हो चुके हैं, फिल्म समीक्षक, फैंस और उद्योग से जुड़े लोग एक गहरे सवाल पर अटके हैं: दुलकर वो जादू तेलुगु सिनेमा में कैसे रच रहे हैं, जो मलयालम में उनसे खो गया है?
तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री में हाल के वर्षों में दुलकर ने जिस आत्मविश्वास और परिपक्वता के साथ अपने किरदारों को जिया है, उसने उन्हें एक नया आयाम दिया है। ‘सीता रामम’ जैसी फिल्म में उनका गहरा भावनात्मक अभिनय और रोमांटिक मासूमियत तेलुगु दर्शकों के दिल में घर कर गई। यहां तक कि हिंदी भाषी दर्शकों ने भी ओटीटी के माध्यम से दुलकर के इस नए अवतार को खूब सराहा। यह वह दुलकर नहीं था जो मलयालम में कभी शहरी युवाओं के चेहरे की तरह नजर आता था—यह एक अभिनेता था, जो अपनी सीमाओं से बाहर निकलकर एक नई भाषा, नई संस्कृति और नए दर्शकों को आत्मसात कर चुका था।
इसके विपरीत, मलयालम सिनेमा में उनका करियर हाल के वर्षों में सुस्त और असमंजस भरा रहा है। ‘कुरुप’ जैसी फिल्में आईं, जिन्होंने उनकी फैनबेस को थोड़ी देर के लिए सक्रिय किया, लेकिन फिर वो निरंतरता नहीं दिखी जिसकी उनसे उम्मीद थी। इंडस्ट्री के जानकार मानते हैं कि दुलकर का मलयालम सिनेमा से भावनात्मक जुड़ाव बना रहा, लेकिन उन्होंने स्क्रिप्ट्स के चुनाव में जो जोखिम उठाए, वह उनके खिलाफ चले गए। कुछ प्रयोगात्मक, कुछ बेमेल और कुछ पूरी तरह से व्यावसायिक फ्लॉप फिल्मों ने उनकी ब्रांड वैल्यू को स्थानीय स्तर पर नुकसान पहुंचाया।
यहां ये बात भी गौर करने वाली है कि तेलुगु इंडस्ट्री दुलकर को एक ‘क्राफ्टेड स्टार’ की तरह पेश करती है—शानदार सिनेमैटोग्राफी, भावनात्मक पटकथा और उनके किरदारों को नायकत्व से कहीं अधिक गहराई देती हुई कहानियाँ। वहीं मलयालम में उनसे या तो बहुत अधिक अपेक्षा रखी जाती है या उन्हें केवल ‘ममूटी का बेटा’ बनाकर देखने की आदत हो गई है। नतीजा यह हुआ कि एक ही कलाकार दो भाषाओं में दो अलग-अलग ग्रहों की तरह नजर आता है।
लेकिन यह अंतर सिर्फ अभिनय या स्क्रिप्ट का नहीं, यह दर्शकों की मानसिकता का भी है। तेलुगु दर्शक उन्हें बाहरी मानकर भी गले लगाते हैं, जबकि मलयालम दर्शक उनसे घर के बेटे जैसी विश्वसनीयता चाहते हैं। शायद यही वजह है कि दुलकर अब तेलुगु में अधिक सहज और आत्मविश्वासी नजर आते हैं, जबकि मलयालम में उनके कदम सतर्क और कभी-कभी डगमगाते भी दिखते हैं।
दुलकर सलमान का करियर अब एक दिलचस्प मोड़ पर खड़ा है। एक ओर वह राष्ट्रीय पहचान की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं, वहीं अपनी जड़ों से जुड़े रहकर मलयालम सिनेमा में खोया हुआ सम्मान भी वापस पाना चाहते हैं। सवाल यह है—क्या दुलकर आने वाले वर्षों में इन दोनों दुनियाओं को एक साथ साध पाएंगे, या तेलुगु की चमक उनके मलयालम करियर की छाया बनती जाएगी?
जवाब वक्त देगा, लेकिन अभी के लिए, दुलकर तेलुगु सिनेमा के सितारे हैं—एक ऐसा सितारा जो मलयालम आकाश में फिर से चमकने की तैयारी कर रहा है।