नई दिल्ली
23 जुलाई 2025
राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने प्रीमियम लक्ज़री फर्नीचर के आयात में हुए करोड़ों रुपये के कस्टम घोटाले का पर्दाफाश करते हुए एक बड़े जाल को तोड़ने में सफलता प्राप्त की है। यह घोटाला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैले एक सुव्यवस्थित नेटवर्क के जरिए अंजाम दिया जा रहा था, जिसमें शेल कंपनियों, डमी आयातकों, बोगस बिलिंग और स्थानीय बिचौलियों की मिलीभगत पाई गई है।
विशेष खुफिया जानकारी के आधार पर DRI ने देशभर में कई स्थानों पर छापेमारी की, जिनमें व्यापारिक कार्यालय, गोदाम, फॉरवर्डिंग एजेंसियां, कस्टम ब्रोकर्स और संबंधित संस्थाएं शामिल थीं। जांच में पाया गया कि लाभार्थी आयातक सीधे इटली और यूरोप के प्रसिद्ध ब्रांड्स से लक्ज़री फर्नीचर मंगवा रहे थे, लेकिन बिलिंग दुबई जैसी लो-टैक्स जुरिस्डिक्शन में स्थित शेल कंपनियों के माध्यम से की जा रही थी। साथ ही सिंगापुर स्थित एक बिचौलिये की मदद से फर्जी बिलिंग कर इन उत्पादों को “अनब्रांडेड फर्नीचर” बताकर कम मूल्य पर कस्टम डिक्लेयर किया जा रहा था।
गंभीर खुलासों के अनुसार, वास्तविक लेनदेन मूल्य की तुलना में 70% से 90% तक की भारी अंडरवैल्यूएशन की गई, जिससे करीब ₹30 करोड़ के कस्टम शुल्क की चोरी सामने आई है। क्लियरेंस के बाद, सामान को एक स्थानीय बिचौलिए के कागज़ी हस्तांतरण के जरिए लाभार्थी तक पहुंचाया जाता था, जबकि वास्तव में सामान ग्राहक को सीधे भेजा जा रहा था।
DRI ने इस षड्यंत्र में शामिल तीन प्रमुख आरोपियों — लाभार्थी आयातक, डमी आयातक और स्थानीय बिचौलिए — को 21 और 22 जुलाई को कस्टम्स एक्ट, 1962 के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले मई 2025 में भी इसी तरह के एक मामले में ₹20 करोड़ से अधिक के शुल्क की चोरी सामने आई थी और तीन लोग गिरफ्तार किए गए थे।
DRI अब इस गहराई से जांच कर रहा है कि इस पूरे नेटवर्क में और कौन-कौन से डमी IEC धारक, शेल कंपनियां, और वित्तीय लेन-देन शामिल हैं। DRI का मानना है कि ऐसे वाणिज्यिक धोखाधड़ी न केवल सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि ईमानदार आयातकों और देशीय निर्माताओं के लिए बाजार में असमान प्रतिस्पर्धा का वातावरण भी पैदा करते हैं।