नई दिल्ली
16 जुलाई 2025
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की वार्षिक बैठक में शामिल होते हुए पाकिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मोहम्मद इसहाक डार ने एक शांतिपूर्ण और संतुलित बयान देते हुए कहा कि “विवादों और मतभेदों का समाधान केवल संवाद और कूटनीति से संभव है।” उनके इस बयान को दक्षिण एशियाई कूटनीति के लिहाज़ से एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में कहा, “एससीओ को ऐसे मंच के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए, जहां सदस्य देश आपसी मतभेदों को दूर करते हुए विकास और स्थिरता की ओर कदम बढ़ाएं।” हालांकि डार ने भारत का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया, लेकिन उनके इस बयान को दोनों देशों के तनावपूर्ण रिश्तों की पृष्ठभूमि में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान पाकिस्तान की ओर से संबंध सुधारने की एक कोशिश हो सकती है, बशर्ते इसके पीछे वास्तविक राजनीतिक इच्छाशक्ति हो।
एससीओ का स्वरूप और महत्व:
एससीओ एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन है जिसमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, ईरान, कज़ाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। यह मंच आर्थिक, सुरक्षा और रणनीतिक सहयोग के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
नरमी की ज़रूरत या रणनीति?:
विश्लेषकों का कहना है कि यह वक्त इस बात को परखने का है कि पाकिस्तान का यह नरम लहजा स्थायी रुख का हिस्सा है या फिर यह किसी अंतरराष्ट्रीय दबाव में दिया गया रणनीतिक बयान है। एससीओ की बैठक में आए इस शांतिपूर्ण संदेश ने भले ही कोई नई नीति नहीं बनाई हो, लेकिन संवाद और कूटनीति की बात कर पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने एक ज़रूरी मुद्दे की ओर इशारा ज़रूर किया है — कि स्थिर भविष्य के लिए टकराव नहीं, सहयोग और बातचीत ही रास्ता है।