नई दिल्ली 19 सितम्बर 2025
दिल्ली की एक अदालत ने अदाणी समूह से जुड़ी खबरों पर पत्रकारों को रिपोर्टिंग से रोकने वाले एकतरफा (ex-parte) आदेश को रद्द कर दिया है। अदालत ने कहा कि इस तरह का आदेश पारित करने से पहले पत्रकारों और मीडिया संस्थानों को सुनवाई का अवसर मिलना चाहिए था।
पत्रकारिता की आज़ादी पर चोट रोकने का कदम
निचली अदालत ने पहले पत्रकारों को अदाणी समूह से संबंधित कुछ खबरें प्रकाशित या प्रसारित करने से रोक दिया था। इस आदेश को मीडिया की आज़ादी पर सीधा हमला माना जा रहा था। अब अदालत ने साफ किया कि किसी भी स्थिति में बिना पक्ष को सुने ऐसा आदेश नहीं दिया जा सकता, खासकर तब जब आदेश का प्रभाव सीधे-सीधे आर्टिकल हटाने और मीडिया रिपोर्ट्स पर रोक लगाने जैसा हो।
अपील पर पत्रकारों की बड़ी जीत
चार पत्रकारों ने इस आदेश के खिलाफ अपील की थी। अदालत ने उनकी दलीलें मानते हुए कहा कि लोकतंत्र में फ्री प्रेस का महत्व सर्वोपरि है और पत्रकारों को पहले सुना जाना ज़रूरी है। इस फैसले को प्रेस स्वतंत्रता के लिए एक अहम जीत माना जा रहा है।
लोकतंत्र और पारदर्शिता की विजय
अदालत का यह निर्णय न केवल पत्रकारों के लिए राहत लेकर आया है बल्कि यह भी दर्शाता है कि न्यायपालिका लोकतंत्र और पारदर्शिता की रक्षा में दृढ़ है। अदाणी समूह से जुड़े मामलों पर रिपोर्टिंग जारी रहेगी और पत्रकारों को अपनी भूमिका निभाने से कोई नहीं रोक सकता। यह फैसला उस दौर में आया है जब मीडिया की स्वतंत्रता और कॉर्पोरेट दबाव को लेकर गंभीर बहस चल रही है।