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1 नवंबर से दिल्ली की सीमाएँ होंगी सील — Non-BS-6 ट्रकों और बसों की एंट्री पूरी तरह बंद

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नई दिल्ली, 27 अक्टूबर 2025 | विशेष रिपोर्ट

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सर्दियों के मौसम का आगमन अपने साथ एक बार फिर से वायु प्रदूषण का गंभीर संकट लेकर आया है। दिल्ली की हवा की गुणवत्ता पहले ही चिंताजनक रूप से “खतरनाक स्तर” की ओर तेजी से बढ़ रही है, जिसके मद्देनज़र केंद्र सरकार और दिल्ली प्रशासन ने एक अभूतपूर्व और कठोर निर्णय लिया है। 1 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की सीमा में बाहरी राज्यों से आने वाले गैर-BS-6 (Non-BS VI) मानक वाले सभी व्यावसायिक वाहनों की एंट्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया गया है। यह सख्त आदेश दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के संयुक्त समन्वय से लागू किया जाएगा। इस प्रतिबंध का सीधा मतलब यह है कि अब कोई भी पुराना डीज़ल ट्रक, बस या अन्य कमर्शियल वाहन, जो भारत स्टेज VI (BS-6) उत्सर्जन मानक का अनुपालन नहीं करता है, उसे दिल्ली की सीमा में किसी भी कीमत पर प्रवेश करने की अनुमति नहीं होगी। यह कदम दिल्ली को हर साल सर्दियों में एक “गैस चैंबर” बनने से रोकने की दिशा में एक निर्णायक सरकारी हस्तक्षेप माना जा रहा है।

दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर बढ़ते संकट के बीच उठाया गया सख्त कदम

दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में हर साल नवंबर से जनवरी के बीच की अवधि वायु प्रदूषण के लिए सबसे भयावह साबित होती है। इस दौरान, पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में चल रहे निर्माण कार्यों, वाहनों से निकलने वाले धुएं, और मौसम की विपरीत परिस्थितियों के संयुक्त प्रभाव के कारण हवा में सूक्ष्म प्रदूषक कणों (PM 2.5 और PM 10) की मात्रा कई गुना बढ़ जाती है। पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान, दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) नियमित रूप से 400 से ऊपर रहा था — जिसे पर्यावरणीय स्वास्थ्य की दृष्टि से ‘गंभीर श्रेणी’ में वर्गीकृत किया जाता है। इस बार इस आसन्न संकट को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने एक proactive (सक्रिय) और मजबूत रणनीति तैयार की है।

 CPCB के निर्देशों के अनुसार, 1 नवंबर से दिल्ली की सभी प्रमुख सीमाओं — जिनमें सिंघु, गाजीपुर, आनंद विहार, सराय काले खां, धौला कुआं और बदरपुर बॉर्डर शामिल हैं — पर विशेष निगरानी टीमें तैनात की जाएंगी। ये टीमें प्रत्येक आने वाले व्यावसायिक वाहन की सघन जाँच करेंगी। जिन ट्रकों या बसों के पास वैध BS-6 प्रमाणपत्र या अद्यतन फिटनेस दस्तावेज नहीं होंगे, उन्हें बिना किसी अपवाद के सीमा से ही वापस लौटा दिया जाएगा। दिल्ली के परिवहन मंत्री ने इस फैसले को “दिल्ली की सांसें बचाने के लिए एक आवश्यक और अपरिहार्य” कदम बताया है।

BS-6 मानक का महत्व और पुराने वाहनों का प्रदूषण में योगदान

BS-6 (Bharat Stage VI) उत्सर्जन मानक भारत में लागू की गई अब तक की सबसे कठोर वाहन प्रदूषण नियंत्रण प्रणाली है, जिसे यूरोपीय यूरो-6 मानकों के अनुरूप 2020 में देशभर में लागू किया गया था। इस मानक के तहत निर्मित इंजनों से निकलने वाले धुएं में नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और पार्टिकुलेट मैटर (PM) जैसे हानिकारक प्रदूषकों की मात्रा BS-4 इंजन की तुलना में 70% से भी अधिक कम होती है। विशेषज्ञों और पर्यावरण रिपोर्टों के अनुसार, बाहरी राज्यों से दिल्ली में प्रवेश करने वाले गैर-BS-6 ट्रक और बसें राष्ट्रीय राजधानी के प्रदूषण संकट में एक अत्यधिक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता हैं।

 केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की हालिया 2024 की रिपोर्ट स्पष्ट रूप से बताती है कि दिल्ली के कुल वायु प्रदूषण में लगभग 28% योगदान बाहरी व्यावसायिक वाहनों का होता है, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा अभी भी BS-4 या उससे भी पुराने इंजन पर निर्भर है। इस आंकड़े को देखते हुए, इन अत्यधिक प्रदूषणकारी वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना वायु गुणवत्ता सुधार की दिशा में एक ठोस, वैज्ञानिक और प्रभावी कदम माना जा रहा है।

ट्रांसपोर्टर्स की चिंता, लेकिन सरकार का स्वास्थ्य सुरक्षा पर अडिग रुख

दिल्ली सरकार द्वारा अचानक लिए गए इस कठोर फैसले ने पूरे परिवहन और लॉजिस्टिक्स सेक्टर में एक बड़ी हलचल पैदा कर दी है। देश के विभिन्न हिस्सों से जुड़े ट्रक मालिकों और ट्रांसपोर्ट एसोसिएशनों ने इस आदेश को “अचानक, अव्यावहारिक और अत्यंत कठोर” बताते हुए अपना गहरा असंतोष व्यक्त किया है। उनका मुख्य तर्क यह है कि यह प्रतिबंध उन हजारों छोटे व्यवसायियों और ट्रक मालिकों की आजीविका पर सीधा और नकारात्मक प्रभाव डालेगा, जो अभी तक आर्थिक मजबूरियों के चलते BS-6 वाहनों में निवेश नहीं कर पाए हैं। 

ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि “हम प्रदूषण नियंत्रण के लक्ष्य का समर्थन करते हैं, लेकिन सरकार को इस प्रतिबंध के साथ-साथ एक व्यवहार्य वैकल्पिक योजना या वित्तीय सहायता का प्रावधान भी करना चाहिए था।” उन्होंने चेतावनी दी है कि सीमाओं से गुजरने वाले हजारों ट्रकों के अचानक काम से बाहर हो जाने से राष्ट्रीय राजधानी और एनसीआर में जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति श्रृंखला बुरी तरह प्रभावित हो सकती है। हालांकि, दिल्ली सरकार और CPCB दोनों ने इस आलोचना को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि “आर्थिक नुकसान भले ही कुछ दिनों का हो, लेकिन यदि राजधानी की हवा लगातार ज़हरीली बनी रहती है, तो उसका अपरिवर्तनीय स्वास्थ्य नुकसान पीढ़ियों तक झेलना पड़ेगा।” सरकार का रुख स्पष्ट है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा सर्वोपरि है।

सख्त निगरानी और इलेक्ट्रॉनिक ट्रैकिंग सिस्टम का कार्यान्वयन

इस प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए, दिल्ली परिवहन विभाग ने एक सख्त निगरानी प्रणाली की घोषणा की है। 1 नवंबर से दिल्ली की सभी प्रवेश सीमाओं पर स्वचालित कैमरा सिस्टम और आरएफआईडी (RFID) आधारित इलेक्ट्रॉनिक ट्रैकिंग तंत्र पूरी तरह से सक्रिय कर दिए जाएंगे। ये उन्नत सिस्टम वाहनों की नंबर प्लेट को स्कैन करके तुरंत यह पहचान कर सकेंगे कि वाहन BS-6 मानक का अनुपालन करता है या नहीं। जिन वाहनों की एंट्री प्रतिबंधित होगी, उनका संपूर्ण डेटा स्वतः ही एक विशेष ‘ग्रीन दिल्ली पोर्टल’ पर अपलोड किया जाएगा, जिससे नियमों का दोहराया गया उल्लंघन करने वाले वाहनों पर त्वरित और कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जा सकेगी। इसके अतिरिक्त, दिल्ली ट्रैफिक पुलिस और परिवहन निरीक्षक संयुक्त रूप से पूरी राजधानी में गश्त करेंगे और ऐसे वाहनों को पकड़ेंगे जो किसी भी वैकल्पिक या छिपे हुए मार्ग से दिल्ली में प्रवेश करने की कोशिश करेंगे। सरकार ने स्पष्ट रूप से यह भी कहा है कि यह आदेश “जीरो टॉलरेंस पॉलिसी” के तहत लागू किया जा रहा है, जिसका अर्थ है कि किसी भी प्रकार के उल्लंघन पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा और वाहन को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया जाएगा।

प्रदूषण के खिलाफ निर्णायक जंग और स्वच्छ हवा का वादा

दिल्ली सरकार और केंद्रीय एजेंसियों द्वारा संयुक्त रूप से लिया गया यह साहसी और निर्णायक निर्णय यह स्पष्ट करता है कि अब वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई को केवल कागज़ों तक सीमित नहीं रखा जाएगा। गैर-BS-6 व्यावसायिक वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध उस दिशा में उठाया गया पहला अत्यंत ठोस कदम है, जो राजधानी को आने वाले समय में साँस लेने लायक स्वच्छ हवा प्रदान करने का वादा करता है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि यह कदम देर से सही, लेकिन अत्यंत ज़रूरी था। 

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) के एक पूर्व प्रमुख के अनुसार: “अगर इस आदेश को बिना किसी राजनीतिक हस्तक्षेप के पूरी ईमानदारी से लागू किया जाता है, तो दिल्ली की हवा में अगले दो से तीन महीनों के भीतर कम से कम 15 से 20\% तक का महत्वपूर्ण सुधार निश्चित रूप से देखा जा सकता है।” हालांकि, इस सफलता के लिए कड़ी और निरंतर निगरानी के साथ-साथ परिवहन उद्योग और आम जनता के सहयोग की भी आवश्यकता होगी। 1 नवंबर से दिल्ली की सीमाएँ वास्तव में ‘ग्रीन बार्डर’ में तब्दील हो जाएंगी, जहाँ केवल वही वाहन प्रवेश कर पाएंगे जो स्वच्छ हवा के मौलिक अधिकार को सुनिश्चित करने में सहायक होंगे।

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