कर्नाटक के तटीय जिलों में तेजी से हो रही मैंग्रोव वनों की कटाई के कारण समुद्र तटों पर कटाव (coastal erosion) की घटनाएं बढ़ रही हैं। उडुपी, मंगलुरु और कारवार जैसे क्षेत्रों में पहले जो तटस्थ मैंग्रोव जंगल थे, अब वहां रियल एस्टेट, बंदरगाह और पर्यटन की बड़ी परियोजनाएं विकसित की जा रही हैं। इसका सीधा असर समुद्री पारिस्थितिकी और तटीय जीवन पर पड़ा है।
मैंग्रोव वन न केवल जैव विविधता को आश्रय देते हैं बल्कि चक्रवात और समुद्री तूफानों से रक्षा भी करते हैं। अब जब इनकी कटाई हो रही है, समुद्र की लहरें सीधे तटीय बस्तियों तक पहुंच रही हैं। कई गाँवों में घरों और खेतों में समुद्र का पानी घुसने लगा है, जिससे खारेपन की वजह से जमीन बंजर होती जा रही है।
पर्यावरणविदों और तटीय समुदायों ने राज्य सरकार से मांग की है कि मैंग्रोव को ‘संरक्षित वन’ घोषित किया जाए और विकास योजनाओं को पारिस्थितिक संवेदनशीलता के साथ लागू किया जाए। हालांकि सरकार ने ‘ग्रीन कर्नाटक’ नाम से एक योजना आरंभ की है, लेकिन अभी तक उसका असर ज़मीनी स्तर पर सीमित ही रहा है।