Home » National » ‘नमाजवादी’ बयान से बवाल तेज़: मस्जिद मीटिंग पर घिरे अखिलेश, वक्फ बोर्ड को आपत्ति, सपा ने दी आस्था की दुहाई

‘नमाजवादी’ बयान से बवाल तेज़: मस्जिद मीटिंग पर घिरे अखिलेश, वक्फ बोर्ड को आपत्ति, सपा ने दी आस्था की दुहाई

Facebook
WhatsApp
X
Telegram

मस्जिद में बैठक और ड्रेस को लेकर बवाल: बीजेपी का अखिलेश और डिंपल यादव पर तीखा हमला, सपा ने बताया ‘ध्यान भटकाने की साजिश’

नई दिल्ली/लखनऊ।

संसद मार्ग स्थित एक मस्जिद में समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव और सांसदों की हालिया उपस्थिति ने उत्तर प्रदेश की सियासत में नया भूचाल ला दिया है। अब यह विवाद केवल राजनीतिक बैठक तक सीमित नहीं रहा, बल्कि बीजेपी नेताओं ने सपा सांसद और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव की ड्रेस पर भी सवाल उठा दिए हैं, जिसे लेकर राजनीतिक बयानबाज़ी तेज़ हो गई है।

बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव ने मस्जिद को “सपा का अनौपचारिक कार्यालय” बना दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि मस्जिद के इमाम और सपा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी को पद से हटाया जाए, क्योंकि उन्होंने धार्मिक स्थल पर राजनीतिक बैठक की अनुमति दी। जमाल सिद्दीकी ने आगे कहा, “डिंपल यादव ने मस्जिद की मर्यादा का उल्लंघन किया है, तस्वीर में वह बिना सिर ढके हैं और उनका परिधान इस्लामी परंपराओं के विरुद्ध है। यह पूरी दुनिया के मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है।”

बीजेपी ने इस विवाद को और धार दी है, यह घोषणा करते हुए कि इस शुक्रवार अल्पसंख्यक मोर्चा भी उसी मस्जिद में बैठक करेगा, जिसकी शुरुआत राष्ट्रगीत और समापन राष्ट्रगान से होगी। पार्टी ने कहा कि वे यह करके यह दिखाना चाहते हैं कि धर्मस्थलों का राजनीतिक इस्तेमाल अनुचित है, भले ही वह कोई भी करे।

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि “समाजवादी पार्टी हमेशा संविधान का उल्लंघन करती है। धार्मिक स्थलों का राजनीतिक उपयोग संविधान के खिलाफ है, लेकिन इन्हें संविधान पर विश्वास ही नहीं है। अखिलेश यादव समाजवादी नहीं, नमाजवादी हैं।”

वहीं, समाजवादी पार्टी ने पूरे विवाद को राजनीति से प्रेरित और भटकाने वाला करार दिया है। डिंपल यादव ने कहा, “इमाम नदवी हमारे सांसद हैं, उन्होंने आमंत्रित किया तो हम गए। यह कोई बैठक नहीं थी। बीजेपी जानबूझकर तस्वीरों को गलत तरीके से पेश कर रही है। उनका उद्देश्य जनता के असली मुद्दों से ध्यान भटकाना है।”

अखिलेश यादव ने भी पलटवार करते हुए कहा, “आस्था जोड़ती है, दूरियां नहीं बढ़ाती। बीजेपी को परेशानी है कि लोग एक साथ क्यों आ रहे हैं। वे धर्म का इस्तेमाल सिर्फ नफरत फैलाने के लिए करते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि यह पूरा विवाद एक राजनीतिक एजेंडा है, जिससे बिहार में चल रही SIR प्रक्रिया, पहलगाम आतंकी हमला, और ऑपरेशन सिंदूर जैसे गंभीर मुद्दों से ध्यान हटाया जा रहा है।

इस बीच, सपा के सांसद ज़िया उर रहमान बर्क ने भाजपा की आलोचना को बेबुनियाद बताया और कहा कि “संसद भवन और सांसदों के आवास होने के बावजूद कोई नेता मस्जिद में राजनीतिक बैठक क्यों करेगा?” वहीं, पार्टी नेता राजीव राय ने तंज कसते हुए कहा, “क्या अब मंदिर या मस्जिद जाने के लिए बीजेपी से लाइसेंस लेना होगा?”

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने भी सपा का समर्थन करते हुए बीजेपी के बयान को “महिलाओं का अपमान” बताया और कहा, “डिंपल यादव भारतीय संस्कृति के अनुसार सलीके से कपड़े पहने थीं। बीजेपी के पास अब कोई मुद्दा नहीं बचा, इसलिए वह स्त्री-विरोधी टिप्पणी कर रही है।”

इस पूरे घटनाक्रम में वक्फ बोर्ड और कुछ मुस्लिम संगठनों ने भी मस्जिद में बैठक पर आपत्ति जताई है, जिससे मामला और गंभीर हो गया है। अब सभी की निगाहें शुक्रवार पर टिकी हैं, जब बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा मस्जिद में बैठक कर ‘राजनीतिक और धार्मिक सीमाओं’ की पुनर्परिभाषा करने की कोशिश करेगा।

यह विवाद अब धर्म बनाम राजनीति, संविधान बनाम परंपरा, और स्त्री गरिमा बनाम राजनीतिक चश्मा जैसे कई जटिल सवालों को जन्म दे चुका है — जो आने वाले चुनावों में और उबाल ला सकते हैं।

ऐतिहासिक उदाहरण

हालांकि इस तरह के विवाद अनावश्यक कहे जा सकते हैं  “मंदिरों और मस्जिदों में पूजा-अर्चना और नमाज के बाद सैकड़ों वर्षों से लोग जन सरोकारों से जुड़े मुद्दों और उनके समाधान पर विचार-विमर्श करते आए हैं। इसमें ऐसी कोई बात नहीं है, जिसका बवाल मचाया जाए।” यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि दो वर्ष पहले स्वयं संघ प्रमुख मोहन भागवत, संघ के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ, ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के प्रमुख इमाम उमेर इलियासी की मस्जिद, मदरसे और घर जाकर बैठक कर चुके हैं। उस समय बच्चों में जागरूकता फैलाने और सामाजिक संवाद को बढ़ाने भी हुई थी। अब सवाल यह उठ रहा है कि अगर उस समय किसी ने सवाल नहीं उठाया, तो आज मस्जिद में बैठक को लेकर इतना हंगामा क्यों?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *