कांग्रेस मुख्यालय में बुधवार सुबह एक अहम बैठक आयोजित हुई जिसमें AICC महासचिवों, प्रभारियों और सभी फ्रंटल संगठनों के प्रमुखों ने भाग लिया। इस बैठक का मुख्य एजेंडा देशभर में हो रही वोट चोरी की घटनाओं और चुनावी प्रक्रिया में अनियमितताओं पर चर्चा करना था। बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने की। उन्होंने विस्तृत सबूत पेश करते हुए दावा किया कि यह सिर्फ कुछ isolated घटनाएं नहीं बल्कि एक सुनियोजित साजिश है जिसके जरिए मतदाताओं के अधिकारों को कुचला जा रहा है।
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आजादी के 78 साल बाद भी हमें अपने बुनियादी अधिकार—मतदान के अधिकार—की सुरक्षा के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, जो लोकतंत्र की सबसे बड़ी विडंबना है। उन्होंने कहा कि वोट चोरी केवल किसी राजनीतिक दल के खिलाफ षड्यंत्र नहीं बल्कि संविधान, स्वतंत्रता और लोकतंत्र के मूल्यों के खिलाफ एक सीधा हमला है। बैठक की जानकारी कांग्रेस नेता और NSUI के प्रभारी कन्हैया कुमार ने पत्रकारों को दी।
कन्हैया कुमार ने बताया कि बैठक में यह सर्वसम्मति से तय हुआ कि कांग्रेस इस लड़ाई को महज राजनीतिक मुद्दा नहीं मानेगी, बल्कि इसे लोकतंत्र बचाने की जंग के रूप में लड़ेगी। इसी सोच के तहत तीन चरणों में एक देशव्यापी आंदोलन की रूपरेखा बनाई गई।
पहला चरण 14 अगस्त की रात से शुरू होगा, जब देशभर के सभी जिला मुख्यालयों में ‘लोकतंत्र बचाओ मशाल जुलूस’ का आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर होगा, ताकि जनता को याद दिलाया जा सके कि आजादी का मतलब केवल विदेशी शासन से मुक्ति नहीं बल्कि हर नागरिक के अधिकारों की रक्षा भी है। मशाल जुलूस में कांग्रेस कार्यकर्ता मशाल लेकर सड़कों पर उतरेंगे, नारे लगाएंगे और लोगों को बताएंगे कि वोट चोरी किस तरह लोकतंत्र की जड़ें खोखली कर सकती है। इस प्रतीकात्मक कार्यक्रम का संदेश स्पष्ट होगा—अंधेरे में छिपी अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को उजाले में लाना।
दूसरा चरण 22 अगस्त से 7 सितंबर तक चलेगा, जब देश के सभी राज्य मुख्यालयों में ‘वोट चोर-गद्दी छोड़’ रैलियां आयोजित की जाएंगी। इन रैलियों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, कार्यकर्ता और स्थानीय स्तर के प्रतिनिधि मंच से जनता को संबोधित करेंगे। मंच पर उन इलाकों के मतदाताओं को भी बुलाया जाएगा जिन्होंने वोट चोरी या चुनावी गड़बड़ी का प्रत्यक्ष अनुभव किया है, ताकि वे अपनी कहानी पूरे राज्य और देश के सामने रख सकें। इस दौरान नारे, पोस्टर और जनसभाओं के जरिए यह संदेश दिया जाएगा कि मतदाता की आवाज़ दबाना लोकतंत्र के खिलाफ सबसे बड़ा अपराध है। कन्हैया कुमार ने इस संदर्भ में कहा, “वोट चोरी लोकतंत्र की जड़ों पर सीधा प्रहार है। अगर जनता का वोट छीना गया तो जनता की सत्ता खत्म हो जाएगी।”
तीसरा और अंतिम चरण 15 सितंबर से 15 अक्टूबर तक चलेगा, जिसमें ‘मताधिकार बचाओ हस्ताक्षर अभियान’ आयोजित किया जाएगा। इस महीने भर चलने वाले अभियान में कांग्रेस कार्यकर्ता घर-घर जाकर नागरिकों से हस्ताक्षर लेंगे, सार्वजनिक स्थलों और कॉलेजों में कैंप लगाए जाएंगे और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से डिजिटल हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जाएगा। लक्ष्य है—देशभर से लाखों नागरिकों के हस्ताक्षर इकट्ठा कर चुनाव आयोग और राष्ट्रपति को सौंपना, ताकि यह एक औपचारिक जनदबाव के रूप में दर्ज हो और मताधिकार की सुरक्षा को लेकर ठोस कदम उठाए जाएं। इस अभियान के जरिए पार्टी यह भी चाहती है कि हर नागरिक को यह अहसास हो कि उसका वोट उसकी सबसे बड़ी ताकत है, और अगर यह छीना गया तो लोकतंत्र का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।
बैठक में बीजेपी और चुनाव आयोग की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठाए गए। कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी सरकार चुनाव आयोग पर दबाव बनाकर उसे निष्पक्ष और स्वतंत्र तरीके से काम नहीं करने दे रही है। पार्टी के अनुसार, कई राज्यों से वोट चोरी, मतदाता सूची में गड़बड़ी और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से छेड़छाड़ की शिकायतें आईं, लेकिन चुनाव आयोग ने इन पर ठोस कार्रवाई नहीं की।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि चुनाव आयोग को राजनीतिक दबाव से ऊपर उठकर स्वतंत्रता और पारदर्शिता के साथ काम करना चाहिए, वरना यह संस्था जनता के विश्वास को खो देगी। कांग्रेस ने यह भी चेतावनी दी कि अगर आयोग ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया, तो लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता का भरोसा खत्म हो जाएगा, जो देश के भविष्य के लिए खतरनाक है।
कांग्रेस ने जनता से अपील की कि वे अपने अधिकारों के प्रति सजग रहें, चुनाव के दिन मतदान केंद्र पर जरूर जाएं और किसी भी तरह की अनियमितता का तुरंत विरोध करें। कन्हैया कुमार ने कहा, “यह केवल कांग्रेस का आंदोलन नहीं है, यह हर उस भारतीय का आंदोलन है जो चाहता है कि उसका वोट उसकी मर्जी से डाला जाए और उसका सम्मान किया जाए।” पार्टी का मानना है कि यह तीन चरणों वाला अभियान न केवल जनता को जागरूक करेगा बल्कि भविष्य के चुनावों को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।