नई दिल्ली 18 सितम्बर 2025
कांग्रेस पार्टी ने गाज़ा में जारी हिंसा और मासूमों की हत्या को मानवता के खिलाफ अपराध करार देते हुए मोदी सरकार से निर्णायक कदम उठाने की मांग की है। कांग्रेस ने कहा, “मानव जाति एक शरीर की तरह है, जहां एक हिस्से को चोट लगती है तो पूरा शरीर दर्द सहता है। फ़िलिस्तीन में हो रहा नरसंहार केवल एक त्रासदी नहीं, बल्कि मानवता पर अपराध है।”
कांग्रेस ने दुनिया भर के हालात का हवाला देते हुए कहा कि यूरोपीय संघ समेत कई देशों ने इस्राइल पर दबाव बनाने के लिए टैरिफ और अन्य प्रतिबंध लगाए हैं, ऐसे में भारत को भी केवल “वसुधैव कुटुंबकम्” का नारा देने से आगे बढ़कर ठोस कार्रवाई करनी चाहिए। पार्टी ने ज़ोर देकर कहा कि यह समय भारत के लिए “साहसिक और निर्णायक कदम उठाने” का है।
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र की स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच आयोग ने जिनेवा में अपनी रिपोर्ट में साफ कहा था कि गाज़ा में फ़िलिस्तीनियों को नष्ट करने का इरादा है और इस्राइल द्वारा किए गए कृत्य जनसंहार संधि (Genocide Convention) के तहत आते हैं। आयोग की अध्यक्ष नवी पिलै ने कहा, “यह अत्याचार इस्राइली नेतृत्व के उच्चतम स्तर द्वारा रचे गए हैं, जिनका स्पष्ट उद्देश्य गाज़ा में फ़िलिस्तीनी समूह का विनाश करना है।”
यूएन आयोग ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय और सभी देशों से आह्वान किया है कि वे न केवल इस जनसंहार को रोकने के लिए कानूनी जिम्मेदारी निभाएं, बल्कि जिम्मेदार लोगों को सज़ा भी दिलाएं। ऐसे समय में कांग्रेस का यह बयान भारत की विदेश नीति पर दबाव बनाने और फ़िलिस्तीन के पक्ष में एक सख्त रुख अपनाने की मांग के रूप में देखा जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय बनाम भारतीय राजनीतिक असर के स्तर पर देखा जाए तो गाज़ा नरसंहार पर संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ जैसे वैश्विक मंचों ने जहां इस्राइल पर सख़्त रुख अपनाया है, वहीं भारत की चुप्पी या सीमित प्रतिक्रिया उसे नैतिक और कूटनीतिक दोनों मोर्चों पर कटघरे में खड़ा कर सकती है। कांग्रेस का बयान दरअसल सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति है ताकि भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ खड़ा दिखे और फ़िलिस्तीन के पक्ष में ठोस कदम उठाए। यह मुद्दा न सिर्फ़ विदेश नीति का सवाल है बल्कि देश के भीतर अल्पसंख्यक समुदायों और मानवाधिकारों पर केंद्र की संवेदनशीलता का भी कसौटी बन सकता है।