नई दिल्ली
17 जुलाई 2025
असम की सियासत में सर्द हवाओं के बीच अब गर्मी बढ़ने लगी है। 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक पारा चढ़ चुका है और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को लेकर जो तीखा ऐलान किया है, उसने चुनावी टोन को नई दिशा दे दी है। एक ओर जहां कभी सीएम हिमंता ने राहुल गांधी को जेल भेजने की चुनौती दी थी, अब उसी चुनौती को उलटते हुए राहुल ने एलान कर दिया है कि सत्ता में आए तो हिमंता जाएंगे जेल।
यह सिर्फ बयान नहीं, बल्कि 2026 के चुनावी रण की शुरुआत है—जहां ‘जेल बनाम जेल’ की राजनीति, जनता के सामने दो स्पष्ट ध्रुव रख रही है। राहुल गांधी ने न केवल अपनी लड़ाई को निजी दायरे से निकाल कर प्रदेशव्यापी मुद्दा बना दिया है, बल्कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के सुर में सुर मिलाकर साफ कर दिया है कि अब कांग्रेस आर-पार के मूड में है।
हिमंता बिस्वा सरमा पर भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग के आरोप लगाकर कांग्रेस लगातार हमलावर है। पार्टी की रणनीति साफ है—लोकतंत्र और नैतिकता के नाम पर जनता को यह संदेश देना कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई, तो जवाबदेही तय होगी। ऐसे में यह सवाल अब अहम हो गया है: क्या राहुल गांधी ने यह घोषणा कर असम की राजनीति में आक्रामक विपक्ष का स्थान फिर से हासिल कर लिया है?
एक ओर बीजेपी विकास और स्थायित्व की बात कर रही है, तो दूसरी ओर कांग्रेस ‘जेल और जवाबदेही’ के मुद्दे पर सियासी घेराबंदी कर रही है। अब देखना यह होगा कि जनता किस सुर को सुनेगी—हिमंता का पलटवार या राहुल का ऐलान। अगला चुनाव अब सिर्फ विकास पर नहीं, जवाबदेही पर भी लड़ा जाएगा। असम तैयार हो रहा है एक तीखे सियासी संघर्ष के लिए।