चंडीगढ़, 30 सितंबर 2025
हरियाणा की राजनीति में आज बड़ा उलटफेर देखने को मिला। कांग्रेस ने राज्य में लंबे समय से प्रतीक्षित संगठनात्मक बदलाव की घोषणा करते हुए दो अहम नियुक्तियाँ की हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और कद्दावर नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विधानसभा में नेता विपक्ष (CLP नेता) नियुक्त किया गया है और अनुभवी नेता व पूर्व स्वास्थ्य मंत्री राव नरेंद्र सिंह को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी (HPCC) का नया अध्यक्ष बनाया गया है। यह कदम कांग्रेस हाईकमान की रणनीतिक चाल माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य राज्य में पार्टी को मजबूत आधार देना और आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले संगठन को सक्रिय करना है।
राव नरेंद्र सिंह, जो नूंह जिले के नर्नौल से आते हैं, लंबे समय से कांग्रेस से जुड़े रहे हैं और अपने इलाके में लोकप्रिय नेता माने जाते हैं। वे हरियाणा सरकार में मंत्री रह चुके हैं और उनकी छवि एक जमीनी नेता की है। उनकी नियुक्ति से कांग्रेस ने साफ संदेश दिया है कि वह इस बार सामाजिक और जातीय समीकरणों को साधने के साथ-साथ ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में पकड़ मजबूत करने की तैयारी कर रही है। राव नरेंद्र सिंह ने पदभार ग्रहण करते हुए कहा कि वह पार्टी के हर कार्यकर्ता तक पहुँचेंगे और कांग्रेस को जमीनी स्तर पर सक्रिय करेंगे।
वहीं, भूपेंद्र सिंह हुड्डा की CLP नेता के तौर पर वापसी ने पार्टी में उनके कद को और मजबूत कर दिया है। हुड्डा कांग्रेस के वरिष्ठतम नेताओं में से एक हैं और दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। लंबे समय से नेता विपक्ष का पद खाली पड़ा था, जिससे विधानसभा में कांग्रेस की आवाज कमजोर हो गई थी। अब हुड्डा को यह जिम्मेदारी सौंपने के बाद माना जा रहा है कि वे विधानसभा में बीजेपी सरकार को घेरने और विपक्ष की एक मजबूत रणनीति बनाने में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इन बदलावों से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नया उत्साह आएगा। यह कदम खासकर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अगले साल हरियाणा विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और पार्टी को चुनावी मैदान में पूरी ताकत से उतरना है। हुड्डा का अनुभव और राव नरेंद्र सिंह का जमीनी कनेक्शन मिलकर कांग्रेस के लिए एक मजबूत चुनावी संयोजन तैयार कर सकते हैं।
हालाँकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी के अंदरूनी गुटबाजी पर इन बदलावों का क्या असर पड़ता है। कुछ नेता इस फेरबदल से असहज हो सकते हैं, लेकिन हाईकमान का संदेश साफ है कि चुनाव से पहले किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी और संगठन को एकजुट करना ही प्राथमिकता है।
हरियाणा कांग्रेस में यह तगड़ा दांव न केवल विपक्ष को मजबूती देगा बल्कि बीजेपी के लिए भी नई चुनौती खड़ी करेगा। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आने वाले महीनों में हुड्डा और राव नरेंद्र सिंह की जोड़ी किस तरह पार्टी को मजबूत कर पाती है और क्या यह बदलाव कांग्रेस को सत्ता में वापसी दिलाने की दिशा में पहला बड़ा कदम साबित होगा।