बिहार विधानसभा चुनाव की आहट और राष्ट्रीय मुद्दों के बीच आज पटना में हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक ने कई बड़े फैसले और प्रस्ताव पारित किए। बैठक में सबसे ज्यादा चर्चा बिहार के SIR (Special Intensive Revision) विवाद पर हुई, जिसे कांग्रेस ने लोकतंत्र के लिए “सबसे बड़ा खतरा” बताया। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति को “नाकाम” करार देते हुए उनकी ‘हग्लोमेसी’ पर भी तीखा हमला बोला गया। गाज़ा संकट पर भी कांग्रेस ने स्पष्ट रुख अपनाते हुए हिंसा रोकने और मानवीय मूल्यों की रक्षा की अपील की।
बिहार चुनाव और SIR विवाद पर कांग्रेस का हमला
बैठक में कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि एसआईआर प्रक्रिया के तहत मतदाता सूची का विशेष सत्यापन सिर्फ बिहार में चुनाव से ठीक पहले लागू किया गया है। पार्टी ने इसे एक सुनियोजित साजिश करार दिया, जिसका मकसद कमजोर वर्गों और विपक्षी समर्थकों को मताधिकार से वंचित करना है। कांग्रेस ने इसे “मत-बंदी” की साजिश बताते हुए चेतावनी दी कि अगर निर्वाचन आयोग ने निष्पक्षता नहीं दिखाई तो इसका विरोध संसद से लेकर सड़क तक किया जाएगा।
क्या है SIR?
एसआईआर यानी स्पेशल इंटेंसिव रिविजन के तहत हर मतदाता को अपने नाम, पते और पहचान पत्र के दस्तावेज़ फिर से जमा करने होंगे। विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया गरीब और वंचित वर्गों के लिए बेहद कठिन है और इससे लाखों लोग मताधिकार खो सकते हैं। कांग्रेस ने कहा कि यह संविधान की आत्मा के खिलाफ है और इसे किसी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा।
मोदी सरकार और विदेश नीति पर हमला
बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति को विफल बताते हुए कहा कि ‘हग्लोमेसी’ ने भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग कर दिया है। कांग्रेस ने कहा कि सरकार पड़ोसी देशों से लेकर वैश्विक शक्तियों तक के साथ संतुलन बनाने में असफल रही है और यह भारत की साख के लिए खतरनाक है।
गाज़ा संकट पर कांग्रेस का प्रस्ताव
CWC ने गाज़ा संकट पर भी प्रस्ताव पास किया। कांग्रेस ने कहा कि भारत को हिंसा रोकने, मानवीय सहायता पहुंचाने और शांति बहाली के प्रयासों में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। पार्टी ने इस मसले पर सरकार की “चुप्पी” की आलोचना की और कहा कि भारत की परंपरा हमेशा से शांति और न्याय का पक्ष लेने की रही है।
पटना में हुई यह बैठक कांग्रेस के लिए सिर्फ संगठनात्मक चर्चा नहीं बल्कि एक बड़ा राजनीतिक संदेश भी थी। पार्टी ने साफ कर दिया है कि वह बिहार चुनाव को लोकतंत्र की रक्षा की लड़ाई के तौर पर पेश करेगी और साथ ही मोदी सरकार की विदेश नीति व राष्ट्रीय नीतियों को भी जनता के सामने मुद्दा बनाएगी। अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि भाजपा और एनडीए इन तीखे हमलों का जवाब किस रणनीति से देंगे और सुप्रीम कोर्ट एसआईआर विवाद पर क्या फैसला सुनाता है।