नई दिल्ली 18 सितम्बर 2025
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने मोदी सरकार पर तीखा वार करते हुए कहा है कि देश में अब अडानी का नाम लेना ही अपराध बना दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि जैसे ही कुछ मीडिया और यूट्यूब चैनलों ने अडानी के भ्रष्टाचार का खुलासा करना शुरू किया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दोस्त की रक्षा के लिए “शाही फरमान” जारी कर दिया और अडानी से जुड़े वीडियो व पोस्ट हटाने का आदेश दे दिया।
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि कोर्ट ऑर्डर के बाद सरकार जिस मनमाने ढंग से यूट्यूब पर वीडियो डिलीट करा रही है, वह लोकतंत्र पर हमला है और शर्मनाक भी। उन्होंने बताया कि जिन सामग्रियों को हटाया गया, उनमें शामिल हैं—
- राहुल गांधी का भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान मुंबई में दिया भाषण
- प्रियंका गांधी का लोकसभा में पहला वक्तव्य
- कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस
- विशेषज्ञों के इंटरव्यू
कांग्रेस प्रवक्ता ने सवाल उठाया कि अगर अब राहुल गांधी किसी भाषण में अडानी का नाम लेंगे तो यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम पर नहीं दिखेगा। संसद में अडानी के खिलाफ कोई आरोप लगाया जाएगा या विपक्ष कोई प्रेस वार्ता करेगा तो वह भी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर नहीं दिखाई देगी। यहां तक कि अगर कोई देशी-विदेशी अख़बार अडानी पर खुलासा करेगा या अमेरिका में चल रहे अडानी के खिलाफ कोर्ट केस की खबर छपेगी, तो सोशल मीडिया और यूट्यूब पर उसे भी ब्लॉक कर दिया जाएगा।
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “मुख्यधारा का मीडिया तो पहले ही अडानी के नाम पर चुप्पी साध चुका है, अब डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया को भी चुप कराया जा रहा है। लेकिन नरेंद्र मोदी जी, आप अपने दोस्त को बचाने के लिए जितने पैंतरे करेंगे, उतना ही देश आपकी मिलीभगत को समझ रहा है।” कांग्रेस का यह बयान न केवल अडानी और मोदी पर सीधा हमला है, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, लोकतंत्र और मीडिया की आज़ादी पर हो रहे हमले का बड़ा सवाल भी खड़ा करता है।
यह पूरा विवाद अब साफ तौर पर लोकतंत्र बनाम सेंसरशिप की लड़ाई बन गया है, जहां विपक्ष का कहना है कि सरकार अपने पूंजीपति मित्र की रक्षा के लिए न सिर्फ़ मुख्यधारा मीडिया को चुप करा रही है बल्कि सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर भी अभिव्यक्ति की आज़ादी को कुचल रही है। कांग्रेस का आरोप है कि यह केवल अडानी या मोदी की दोस्ती का मामला नहीं, बल्कि लोकतंत्र की मूल आत्मा पर हमला है, क्योंकि अगर जनता तक सच्चाई और सवाल ही नहीं पहुंचेंगे तो लोकतंत्र का अस्तित्व ही खोखला हो जाएगा।