हिमाचल प्रदेश का सेब उत्पादन जलवायु परिवर्तन की सीधी चपेट में है। शिमला, किन्नौर और कुल्लू जिलों में इस वर्ष बर्फबारी में भारी कमी के कारण फूल कम लगे और फल समय से पहले गिरने लगे। इसके चलते किसानों को लगभग 40% तक उत्पादन में गिरावट का अनुमान है।
सेब की खेती को सर्दियों में पर्याप्त ‘चिलिंग आवर्स’ की आवश्यकता होती है, लेकिन पिछले दो वर्षों से तापमान सामान्य से अधिक रहा है। इससे न केवल उत्पादन घटा है, बल्कि फलों का आकार और स्वाद भी प्रभावित हुआ है। कुछ क्षेत्रों में कीट प्रकोप भी बढ़ा है, जो पहले नहीं देखा गया था।
राज्य सरकार और कृषि विश्वविद्यालयों ने ‘क्लाइमेट रेसिलियंट एप्पल वैरायटीज’ विकसित करने की दिशा में काम शुरू किया है। साथ ही किसानों को जलवायु स्मार्ट खेती के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यही रुझान जारी रहा तो हिमाचल की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ेगा।