नई दिल्ली, 8 अक्टूबर 2025
देश की सर्वोच्च न्यायपालिका में सोमवार को हुई जूता फेंकने की शर्मनाक घटना के बाद पूरे देश में आक्रोश है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. गवई पर जूता फेंकने की कोशिश ने न सिर्फ अदालत की गरिमा को ठेस पहुंचाई, बल्कि न्यायपालिका की सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल उठा दिए हैं। इसी बीच, अब CJI गवई की मां का पहला बयान सामने आया है — जो भावनात्मक होने के साथ-साथ बेहद सशक्त और दृढ़ भी है।
मेरे बेटे ने सच्चाई और संविधान का रास्ता चुना है, उसे कोई डर नहीं सकता”
CJI गवई की मां ने कहा, “मेरे बेटे ने हमेशा सच और संविधान का रास्ता चुना है। उसे डराने या झुकाने की कोई ताकत नहीं है। जो न्याय करता है, उसके खिलाफ़ झूठी नफरत फैलाने वाले देश के लिए शर्म का कारण हैं।”
उनका बयान सुनकर यह साफ है कि गवई परिवार इस हमले को ‘न्याय के खिलाफ षड्यंत्र’ मान रहा है। मां ने कहा कि उन्होंने बेटे को बचपन से सिखाया कि “सत्य से बड़ा कोई हथियार नहीं” — और वही सीख आज भी उनके अंदर जिंदा है।
न्यायपालिका पर हमला है, व्यक्ति पर नहीं
इस घटना ने पूरे देश में गुस्सा पैदा किया है। सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के दौरान हुए इस हमले की हर तरफ से निंदा हो रही है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह केवल मुख्य न्यायाधीश पर हमला नहीं, बल्कि भारत की न्याय व्यवस्था की गरिमा पर हमला है। सुरक्षा एजेंसियों ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपी को हिरासत में ले लिया, लेकिन यह सवाल अब भी कायम है कि इतनी सख्त सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद कोई व्यक्ति कैसे अदालत की सीमा में इस तरह की हरकत कर सकता है?
न्यायपालिका को डराने की साजिश, लेकिन CJI गवई झुकने वाले नहीं”
जानकारी के अनुसार, यह हमला उस वक्त हुआ जब कोर्ट में एक संवेदनशील मामले की सुनवाई चल रही थी। सूत्रों के मुताबिक, CJI गवई इस पूरी घटना के बावजूद पूरी शांति और संयम के साथ अपनी पीठ पर डटे रहे और कार्यवाही जारी रखी। कानूनी समुदाय ने इसे “न्यायपालिका की ताकत और संतुलन का प्रतीक” बताया है। वहीं राजनीतिक गलियारों में इस घटना को लेकर सियासत तेज हो गई है — विपक्ष ने इसे “संविधान के सम्मान पर हमला” कहा है, तो वहीं कई नागरिक समूहों ने इसे “न्याय की आवाज़ को दबाने की कोशिश” बताया है।
मैं मां हूं, डर तो लगता है, लेकिन मुझे अपने बेटे पर गर्व है
गवई की मां ने अपने बयान में भावुक होते हुए कहा, “मैं मां हूं, इसलिए डर लगता है, लेकिन मेरा बेटा जो कर रहा है, उस पर मुझे गर्व है। उसने अपने पिता की तरह ईमानदारी का रास्ता चुना है। जो लोग अदालत में नफरत लेकर आते हैं, वे खुद अपने भविष्य पर जूता फेंकते हैं।”
उनकी ये पंक्तियां पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई हैं। लोगों का कहना है कि एक मां की आवाज़ ने उन ताकतों को करारा जवाब दिया है जो न्याय को डराने की कोशिश कर रही थीं।
समर्थन की गूंज— गवई डटे रहो, देश तुम्हारे साथ है
सोशल मीडिया पर #IStandWithCJI और #JusticeUnderAttack ट्रेंड कर रहा है। वकीलों, शिक्षाविदों और नागरिकों ने कहा है कि CJI गवई ने जिस धैर्य और शांति से इस हमले के बावजूद अदालत की गरिमा बनाए रखी, वह उनकी न्यायप्रियता और मानसिक दृढ़ता को दर्शाता है। लोगों का कहना है — “अगर न्याय के मंदिर में जूता फेंका गया, तो समझिए लोकतंत्र पर कीचड़ उछाली गई है। लेकिन यह देश जानता है कि सच और संविधान की जीत हमेशा होती है।”
सुप्रीम कोर्ट का यह हमला केवल एक घटना नहीं, बल्कि उस असहिष्णु मानसिकता का प्रतीक है जो देश में असहमति की आवाज़ों को कुचलना चाहती है। लेकिन आज गवई की मां के इस बयान ने देश को यह भरोसा दिलाया है कि न्याय की जड़ें इतनी गहरी हैं कि कोई जूता, कोई धमकी, कोई नफरत उसे हिला नहीं सकती।
संविधान की शपथ लेने वाले गवई सिर्फ एक जज नहीं, बल्कि आज लोकतंत्र के प्रहरी बनकर खड़े हैं — और उनकी मां की आवाज़ ने पूरे भारत को याद दिला दिया है कि “न्याय डरता नहीं, डटता है।”