Home » Gujarat » सूरत एयरपोर्ट पर CISF जवान की आत्महत्या — सुरक्षा बलों में मानसिक स्वास्थ्य पर फिर उठे गंभीर सवाल

सूरत एयरपोर्ट पर CISF जवान की आत्महत्या — सुरक्षा बलों में मानसिक स्वास्थ्य पर फिर उठे गंभीर सवाल

Facebook
WhatsApp
X
Telegram

🗓️ 4 जनवरी 2025 | सूरत, गुजरात 

गुजरात के सूरत अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर तैनात केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के एक जवान ने 4 जनवरी की सुबह ड्यूटी के दौरान अपनी सर्विस राइफल से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। मृतक की पहचान कांस्टेबल किशनसिंह के रूप में हुई है, जिनकी उम्र लगभग 30 वर्ष थी। यह घटना एयरपोर्ट परिसर के एक भीतरी सुरक्षा घेरे में हुई, जिससे सुरक्षा कर्मियों और प्रबंधन में अफरा-तफरी फैल गई।

प्रारंभिक जांच रिपोर्टों और उनके साथी जवानों से मिली जानकारी के अनुसार, किशनसिंह पिछले कुछ महीनों से मानसिक तनाव में थे। बताया जा रहा है कि उनके परिवार में हाल ही में विवाह से संबंधित निजी समस्याएं चल रही थीं, जिससे वह अत्यधिक चिंतित थे। उनके मोबाइल फोन और कमरे से प्राप्त डायरी नोट्स से भी उनके मानसिक स्वास्थ्य की गिरावट की पुष्टि हो रही है। 

CISF की ओर से एक आंतरिक जांच समिति गठित की गई है, जो आत्महत्या के कारणों की गहराई से जांच करेगी। साथ ही, सूरत पुलिस ने आपराधिक दृष्टिकोण से भी जांच आरंभ कर दी है ताकि किसी भी बाहरी दबाव या उत्पीड़न की संभावना से इनकार नहीं किया जा सके। 

यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना एक बार फिर सुरक्षा बलों में मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक सहायता की उपेक्षा को उजागर करती है। देशभर में सुरक्षाबलों के बीच आत्महत्या की बढ़ती घटनाएं एक गंभीर सामाजिक और प्रशासनिक चिंता का विषय बन चुकी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ड्यूटी की कठोरता, स्थानांतरण की अनिश्चितता, पारिवारिक दूरी, और परामर्श सेवाओं की अनुपलब्धता, जवानों के मानसिक संतुलन को प्रभावित करती हैं। 

मनोचिकित्सकों और रक्षा मामलों के विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि सुरक्षा बलों में मानसिक स्वास्थ्य काउंसलिंग को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए। जवानों को समय-समय पर साइकोलॉजिकल एसेसमेंट, थैरेपी और भावनात्मक राहत देने वाली गतिविधियों में भाग लेने का अवसर मिलना चाहिए। इसके अलावा, जवानों के परिवारों के साथ भी बेहतर संवाद बनाए रखने और मानव संसाधन डिपार्टमेंट की सक्रिय भूमिका सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। 

कांस्टेबल किशनसिंह की आत्महत्या न केवल एक दर्दनाक व्यक्तिगत क्षति है, बल्कि यह पूरे सुरक्षा तंत्र के लिए एक चेतावनी है कि रक्षा सिर्फ शारीरिक नहीं, मानसिक भी होनी चाहिए। अगर बलों की रीढ़ को मजबूत बनाए रखना है, तो अब सिर्फ बंदूकें नहीं, संवेदनशीलता और सहानुभूति की जरूरत है। 

CISF और गृह मंत्रालय की ओर से आधिकारिक बयान की प्रतीक्षा की जा रही है। इस बीच, किशनसिंह को पूरे सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई और उनके परिवार को सहायता देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *