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छत्तीसगढ़: भाजपा राज में जीवन की रक्षा ही सर्वोच्च सेवा बनी, हर जन तक पहुंचा स्वास्थ्य का अधिकार

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10 जुलाई 2025

छत्तीसगढ़ की जनता ने दशकों तक उपेक्षा का अनुभव किया है— विशेषकर स्वास्थ्य और पोषण के मोर्चे पर। जिन गाँवों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र होना चाहिए था, वहाँ झोला छाप डॉक्टर या लोक मान्यताओं के भरोसे इलाज होता था। कुपोषण, मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर, और संक्रमणजन्य रोगों की लंबी सूची छत्तीसगढ़ को स्वास्थ्य के क्षेत्र में सबसे पीछे धकेलती रही। लेकिन भाजपा शासन ने यह समझा कि “विकास का असली मूल्य तब है जब हर नागरिक स्वस्थ हो, और सेवा वहां पहुंचे जहां अब तक सिर्फ़ उम्मीदें पहुंची हैं।”

स्वास्थ्य: जहाँ एंबुलेंस नहीं पहुंचती थी, वहां अब डॉक्टर हैं

भाजपा शासन ने छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य ढांचे को सुधारने के लिए तीन स्तरीय स्वास्थ्य ढांचे को मज़बूती दी — सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उप-स्वास्थ्य केंद्रों को नया जीवन मिला।

मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लिनिक योजना और डोर टू डोर स्वास्थ्य स्क्रीनिंग मिशन ने उन गाँवों में पहुंच बनाई जहां पहले स्वास्थ्य सेवाएं सपना थीं। सुकमा, बीजापुर, कांकेर और नारायणपुर जैसे दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों में मोबाइल मेडिकल यूनिट्स और हेलीकॉप्टर से मेडिकल इवैक्युएशन जैसी व्यवस्थाएं लागू कर दी गईं — यह दिखाता है कि भाजपा ने “भौगोलिक दूरी को सेवा की बाधा नहीं बनने दिया।”

“मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना”, “आयुष्मान भारत योजना”, और “प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्रों” के माध्यम से हर नागरिक को सम्मानजनक और सस्ती चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई।

पोषण: अब कुपोषण नहीं, सुपोषण की ओर छत्तीसगढ़

एक समय था जब छत्तीसगढ़ के बच्चों में तीव्र कुपोषण दर 40% से अधिक थी। भाजपा शासन ने इसे राजनीतिक नारा नहीं, सामाजिक युद्ध के रूप में लिया। “मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान”, “टीकाकरण महाअभियान”, और “आंगनबाड़ी पुनर्संरचना” जैसे प्रयासों ने जनसहभागिता के साथ काम किया।

अब प्रत्येक गर्भवती महिला, शिशु और किशोरी की स्वास्थ्य निगरानी डिजिटल पोर्टल्स और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से हो रही है। विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों में पौष्टिक आहार किट, अंडा वितरण योजना, और आयरन-फोलिक एसिड सप्लीमेंट जैसे प्रयासों ने जनजातीय स्वास्थ्य में क्रांतिकारी सुधार किया।

जनसेवा: अंत्योदय की भावना से संचालित शासन तंत्र

भाजपा शासन की असली विशेषता रही है — “सुलभ सेवाएं, सम्मानजनक पहुंच और त्वरित राहत।” अब किसी भी नागरिक को इलाज के लिए अधिकारियों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते।

108 एंबुलेंस सेवा, 102 मातृ वाहन सेवा, और 104 हेल्पलाइन जैसी व्यवस्थाएं हर आम व्यक्ति को इमरजेंसी में सहारा देती हैं। सरकारी अस्पतालों में डिजिटल रजिस्ट्रेशन, ऑनलाइन जांच रिपोर्ट्स और टेलीमेडिसिन सेवाओं ने छत्तीसगढ़ को डिजिटल हेल्थ के नए युग में पहुंचा दिया है।

“मुख्यमंत्री संजीवनी सहायता योजना” के तहत गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर, किडनी फेलियर, हृदय रोग आदि के इलाज के लिए लाखों रुपये की मदद सीधे गरीब मरीजों को दी जा रही है — बिना किसी सिफारिश, बिना किसी रिश्वत।

सेवा का वह स्वरूप, जो शासन से जन-संवाद बन गया

भाजपा शासन में स्वास्थ्य केवल इलाज तक सीमित नहीं रहा, यह जन संवाद और जीवन रक्षक संकल्प बन गया। गांवों में स्वास्थ्य मेले, चिकित्सा जागरूकता रैलियां, योग शिविर, टीबी मुक्त पंचायत अभियान — सब कुछ इस दिशा में किया गया कि जनता सिर्फ़ मरीज नहीं, जागरूक भागीदार बने।

अब राज्य की महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता हो, या बस्तर की आशा दीदी — सभी भाजपा शासन की उस ‘सेवा नीति’ का चेहरा हैं जिसने छत्तीसगढ़ को एक स्वस्थ, जागरूक और आत्मनिर्भर राज्य में बदलना शुरू किया है।

छत्तीसगढ़ में भाजपा शासन ने यह साबित कर दिया कि “राज्य का कर्तव्य केवल कानून और सड़क देना नहीं, जीवन का सम्मान और स्वास्थ्य की गारंटी देना है।”

जहां सरकार की एंबुलेंस जंगल की पगडंडियों पर दौड़ रही हो, जहां पोषण किट हेलीकॉप्टर से गिराई जाती हो, और जहां हर गांव में टीकाकरण उत्सव मनता हो — वह छत्तीसगढ़ अब बदलाव नहीं, मिसाल बन चुका है।

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