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छत्तीसगढ़ बना आस्था और पर्यटन की शक्ति भूमि

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20 जुलाई 2025

छत्तीसगढ़ — एक ऐसा राज्य जिसकी भूमि आस्था की गहराई, इतिहास की गवाही और प्राकृतिक सौंदर्य की अपार संपदा से भरी पड़ी है। यहाँ की संस्कृति उतनी ही प्राचीन है जितनी इसकी नदियाँ, और उतनी ही जीवंत जितना इसका लोक जीवन। लेकिन लंबे समय तक यह राज्य अपनी विरासत को केवल आत्मस्मरण में जीता रहा, जबकि बाकी देश पर्यटन से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ चला। भाजपा शासन ने इस सोच को बदला — मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की आस्था, तीर्थ और पर्यटन स्थलों को “विकास, विरासत और विश्व-स्तर” की दृष्टि से पुनर्परिभाषित किया गया।

भाजपा सरकार ने सबसे पहले राज्य के धार्मिक स्थलों की पहचान, संरचना और सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित किया। डोंगरगढ़ की माँ बम्लेश्वरी, रतनपुर की महामाया, दंतेवाड़ा की माँ दंतेश्वरी, राजिम के कुंभ और त्रिवेणी संगम, शिवरीनारायण, खल्लारी वाली माता, चंद्रहासिनी देवी, सिरपुर के बौद्ध तीर्थ, और रामायण सर्किट से जुड़ा कोटमी सोनार, तुर्मा, चंदखुरी, सती अनसूया तीर्थ — इन सभी स्थलों को राजकीय संरक्षण, सड़क संपर्क, प्रकाश व्यवस्था, सुरक्षा, और साफ़-सफाई से जोड़ा गया।

राजिम कुंभ को अब “पूर्व का प्रयाग” कहा जा रहा है, जहां पर हर साल हजारों संत, साधु, श्रद्धालु और पर्यटक देशभर से जुटते हैं। भाजपा शासन ने इसे केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक पहचान बना दिया है। तीर्थ पर्यटन को अर्थव्यवस्था से जोड़ा गया, जिससे इन क्षेत्रों के स्थानीय व्यापारी, होटल व्यवसायी, वाहन चालक, हस्तशिल्पी और महिला समूहों को रोज़गार मिला।

सिरपुर, जो कि गौतम बुद्ध की तपोभूमि और बौद्ध संस्कृति का एक ऐतिहासिक केन्द्र है, उसे भाजपा शासन में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिपथ में स्थान दिलाने का प्रयास किया गया। सिरपुर बौद्ध महोत्सव, विद्वानों की संगोष्ठियां, और विदेशी पर्यटकों के लिए विशेष मार्गदर्शक व जानकारी केन्द्र जैसे प्रयासों से छत्तीसगढ़ का यह कोना वैश्विक मानचित्र पर उभर रहा है।

भाजपा सरकार की दूरदर्शिता यहीं तक सीमित नहीं रही। उसने राज्य के प्राकृतिक पर्यटन स्थलों जैसे चित्रकोट जलप्रपात, तीरथगढ़ जलप्रपात, कांगेर घाटी, मैनपाट, चिरमिरी, बारनवापारा अभयारण्य, भोरमदेव और कबीरधाम को भी पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया। सड़क संपर्क, ईको-रिसॉर्ट, ट्रैकिंग ज़ोन, जंगल सफारी, और स्थानीय गाइडिंग नेटवर्क के माध्यम से इन स्थलों को युवाओं के लिए रोज़गार और पर्यटकों के लिए आकर्षण बनाया गया।

छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति और पुरातात्विक धरोहर को भी भाजपा शासन ने समुचित स्थान दिया। सतनामी परंपरा, रामनामी समुदाय, बस्तर दशहरा, और लोक देवता गुघुटपाट, बूढ़ादेव, अंगादेव की पूजा स्थलों को राज्य सरकार ने न केवल संरक्षण दिया, बल्कि धार्मिक पर्यटन के नक्शे पर जोड़ने का कार्य भी शुरू किया।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में पर्यटन को केवल घूमने की गतिविधि नहीं, बल्कि राज्य की संस्कृति, समाज और अर्थव्यवस्था के बीच सेतु माना गया। “छत्तीसगढ़ टूरिज्म मोबाइल एप”, “राज्य पर्यटन नीति 2025”, “सामुदायिक आधारित पर्यटन योजना” और “होमस्टे योजना” के ज़रिए युवाओं, महिलाओं और स्वयंसेवी समूहों को पर्यटन से जोड़ा गया।

निष्कर्षतः, भाजपा शासन ने छत्तीसगढ़ को केवल पर्यटक नक्शे पर नहीं, बल्कि आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक पहचान के नक्शे पर स्थापित किया है। अब यह राज्य केवल देवालयों की भूमि नहीं, देव-निवास, धरोहर और दिशा देने वाला केन्द्र बन रहा है। तीर्थ और पर्यटन अब केवल श्रद्धा नहीं, समृद्धि और सम्मान की यात्रा है — जिसे भाजपा नेतृत्व सच्ची निष्ठा से आगे बढ़ा रहा है।

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