रायपुर, छत्तीसगढ़
29 जुलाई 2025
जनविश्वास। भाजपा शासन ने छत्तीसगढ़ को केवल योजनाओं, योजनाओं और घोषणाओं से नहीं बदला, बल्कि उसे एक विश्वास के साथ आगे बढ़ता हुआ जनराज्य बना दिया है। यह विश्वास न केवल अंदरूनी सड़कों, स्कूलों या अस्पतालों में दिखता है, बल्कि हर आम नागरिक की आंखों में झलकती उम्मीद, आत्मगौरव और भागीदारी की भावना में भी प्रकट होता है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का शासन मॉडल किसी दूर बैठे शासक की घोषणाओं का नहीं, बल्कि ज़मीन से जुड़े नेतृत्व, संवेदना से परिपूर्ण निर्णय और हर वर्ग के लिए न्यायसंगत प्रतिनिधित्व का उदाहरण है। भाजपा शासन ने छत्तीसगढ़ की राजनीति को पिछली सरकारों की ‘राजनीतिक आकांक्षा’ की परंपरा से निकाल कर ‘जनसेवा और जनभागीदारी’ की नई परिभाषा दी है।
भाजपा के इस युग में, छत्तीसगढ़ की शासन-व्यवस्था अब ऊपर से नीचे तक आदेश देने वाली नहीं, बल्कि नीचे से ऊपर तक संवाद और समाधान पर आधारित हो चुकी है। जनता की बात अब केवल चुनाव से पहले सुनी नहीं जाती, बल्कि प्रशासन का स्थायी हिस्सा बन चुकी है।
गांव-गांव में सुशासन का विश्वास, जनकल्याण की योजनाओं में पारदर्शिता, युवाओं के चेहरों पर अवसर की चमक, और महिलाओं की आवाज़ में आत्मनिर्भरता का स्वर — ये सभी मिलकर भाजपा शासन के उस नए छत्तीसगढ़ को गढ़ते हैं, जो आत्मविश्वास से भरा हुआ है।
‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ का मूल मंत्र अब छत्तीसगढ़ में नारा नहीं, नीतिगत चरित्र बन चुका है। इस मंत्र ने आदिवासी समाज को आस्था का आदर, किसान को खेत की ताकत, युवा को हुनर की उड़ान, महिला को गरिमा, व्यापारी को सुरक्षा और आम आदमी को शासन में सहभागिता दी है।
जनसंवाद, जनसुनवाई, जनभागीदारी और जनजागरूकता — ये चार स्तंभ भाजपा शासन में लोकतंत्र को केवल मत से नहीं, मन से जोड़ने की परंपरा बन गए हैं।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का यह कथन सारगर्भित है —
“हम विकास को चुनावी मुद्दा नहीं, छत्तीसगढ़ की आत्मा का विस्तार मानते हैं। हमारी नीतियों का केंद्र व्यक्ति नहीं, समाज है; और समाज नहीं, तो फिर सरकार का कोई औचित्य नहीं।”
भाजपा शासन में छत्तीसगढ़ आज विकासशील राज्य नहीं, नेतृत्वकर्ता राज्य बनकर उभरा है — जहाँ संस्कृति, आस्था, सुरक्षा, शिक्षा, रोजगार, डिजिटल क्रांति, स्वास्थ्य, उद्योग, महिला सशक्तिकरण और शासन सुधार सभी में भारत के लिए आदर्श मॉडल बनने की क्षमता है।
यह केवल सत्ता की कहानी नहीं, समर्पण की महागाथा है। छत्तीसगढ़ ने भाजपा शासन में सत्ता नहीं, सेवा का चेहरा देखा है। यह सेवा न केवल चुनावी विजय की राह बनाती है, बल्कि जनमन का स्थायी विश्वास अर्जित करती है — और यही है “नवछत्तीसगढ़” की वह अंतिम, लेकिन सबसे ठोस पहचान।