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उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ संपन्न होगा छठ महापर्व: जानें दिल्ली, नोएडा, पटना, रांची और अन्य शहरों में उषा अर्घ्य का समय

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नई दिल्ली, 27 अक्टूबर 2025 

विशेष धार्मिक रिपोर्ट

भक्ति, आस्था और कठोर अनुशासन का महान पर्व छठ महापर्व कल यानी 28 अक्टूबर 2025 (सोमवार) की सुबह उगते हुए सूर्य को उषा अर्घ्य देने के साथ ही अपने चरम पर पहुँचकर संपन्न हो जाएगा। चार दिनों तक चलने वाला यह विशिष्ट पर्व अब केवल बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश तक ही सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह दिल्ली-एनसीआर, झारखंड, मुंबई और देश के तमाम अन्य हिस्सों में भी अपार श्रद्धा, उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। आज शाम लाखों की संख्या में श्रद्धालु व्रती महिलाएँ और पुरुष स्थानीय घाटों पर डूबते सूर्य को सायं अर्घ्य अर्पित करेंगे और रात भर घाटों पर ही जागरण, कीर्तन और पूजा-अर्चना के बाद कल प्रातःकाल उषा अर्घ्य के साथ “छठी मइया” की विधिवत पूजा और 36 घंटे के निर्जला उपवास को पूर्ण करेंगे। छठ का यह अंतिम चरण, जिसे पारन (व्रत खोलना) कहते हैं, परिवार के लिए सुख-समृद्धि और दीर्घायु का संदेश लेकर आता है।

छठ का अंतिम दिन: उषा अर्घ्य का महत्व और परंपरा

छठ पर्व का चौथा और अंतिम दिन “उषा अर्घ्य” के नाम से जाना जाता है और इसका धार्मिक तथा आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है। इस दिन श्रद्धालु व्रती महिलाएँ और पुरुष पवित्र नदियों या कृत्रिम जलाशयों के तट पर खड़े होकर भोर की पहली किरण के दर्शन के साथ ही सूर्य देवता को जल, दूध और गंगाजल मिश्रित अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह अर्घ्य मात्र एक धार्मिक क्रिया नहीं है, बल्कि यह जीवन, प्रकाश, ऊर्जा और प्रकृति के प्रति मनुष्य के गहन आभार का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक परंपराओं के अनुसार, उगते हुए सूर्य को दिया गया यह अर्घ्य ही छठी मइया के आशीर्वाद का अंतिम चरण होता है और माना जाता है कि इससे सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है तथा परिवार में स्वास्थ्य, सौभाग्य और समृद्धि का अक्षय भंडार बना रहता है।

 इस दिन व्रतधारी अपने 36 घंटे के कठिन निर्जला उपवास को पूर्ण करते हैं। पूरी रात घाटों पर छठ गीतों, भजन-कीर्तन और भक्तिमय माहौल में श्रद्धालु रात बिताते हैं, और जैसे ही भोर की लाली आसमान में छाने लगती है, सभी श्रद्धालु हाथ जोड़कर “जय छठी मइया” के जयघोष के बीच सूर्य को जल अर्पित करते हैं, जो इस पर्व का सबसे भावुक और प्रेरणादायक क्षण होता है।

दिल्ली-एनसीआर में छठ की भव्य तैयारी और प्रशासन की मुस्तैदी

देश की राजधानी दिल्ली और उसके आस-पास के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) — नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम — में छठ महापर्व के लिए प्रशासन ने व्यापक और भव्य तैयारियाँ की हैं। अकेले दिल्ली में ही विभिन्न कॉलोनियों और यमुना किनारे लगभग 1200 से अधिक घाटों की व्यवस्था की गई है, जहाँ लाखों पूर्वांचली समुदाय के लोग पूजा-अर्चना करते हैं। दिल्ली सरकार के पर्यावरण और संस्कृति विभाग ने विशेष रूप से यमुना किनारे बनाए गए घाटों पर साफ-सफाई, पर्याप्त रोशनी, और भक्तों की सुरक्षा के लिए विशेष इंतज़ाम सुनिश्चित किए हैं। 

प्रशासन द्वारा जारी सूचना के अनुसार, दिल्ली में उषा अर्घ्य का समय सुबह 6:32 बजे रहेगा, जबकि नोएडा में 6:31 बजे, गाजियाबाद में 6:33 बजे, और गुरुग्राम में 6:35 बजे सूर्योदय होगा। सुरक्षा व्यवस्था के लिए दिल्ली पुलिस और आपदा प्रबंधन टीमें पूरी रात घाटों पर तैनात रहेंगी। श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए, दिल्ली मेट्रो सेवा को भी विशेष रूप से सुबह 4:30 बजे से शुरू करने का निर्णय लिया गया है, ताकि लाखों श्रद्धालु समय पर अपने-अपने निर्धारित घाटों तक आसानी से पहुँच सकें।

बिहार में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, गंगा घाटों पर भक्तों की अप्रतिम भीड़

छठ महापर्व की जन्मभूमि माने जाने वाले बिहार राज्य में इस बार भी श्रद्धा का अप्रतिम सैलाब उमड़ा है। राजधानी पटना, भोजपुर, गया, भागलपुर और मुजफ्फरपुर सहित लगभग सभी जिलों में गंगा, सोन, और पंचाने जैसी पवित्र नदियों के घाटों पर लाखों भक्तों की भीड़ पहले ही उमड़ चुकी है। पटना में उषा अर्घ्य का समय सुबह 6:09 बजे निर्धारित किया गया है, जबकि गया में 6:13 बजे और भागलपुर में 6:04 बजे सूर्योदय होगा। 

राज्य सरकार ने सभी नदी घाटों को ‘खतरनाक’ और ‘सुरक्षित’ क्षेत्रों में विभाजित कर दिया है और सुरक्षित क्षेत्रों में पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था, सुरक्षाकर्मियों की तैनाती, मेडिकल सहायता केंद्र और त्वरित प्रतिक्रिया के लिए कंट्रोल रूम की व्यवस्था की है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वयं अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि किसी भी श्रद्धालु को कोई असुविधा न हो और घाटों की साफ-सफाई एवं सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाए, ताकि यह महान पर्व शांतिपूर्ण और सुरक्षित तरीके से संपन्न हो सके।

झारखंड, उत्तर प्रदेश और मुंबई में भी छठ की अलौकिक रौनक

छठ महापर्व की रौनक अब बिहार और दिल्ली के बाहर भी खूब दिख रही है। झारखंड के रांची, धनबाद और जमशेदपुर में छठ पूजा की तैयारियाँ अपने चरम पर हैं, जहाँ झीलों और कृत्रिम तालाबों पर पूजा के लिए विशेष रूप से सुंदर मंच बनाए गए हैं। रांची में उषा अर्घ्य का समय सुबह 6:12 बजे रहेगा। इसी तरह, पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और धार्मिक नगरी वाराणसी में भी छठ का उत्सव पूरे उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। लखनऊ में सूर्य उदय का समय 6:29 बजे, जबकि वाराणसी में 6:23 बजे निर्धारित है।

 उत्तर प्रदेश के गंगा घाटों पर विशेष सुरक्षा के लिए एनडीआरएफ (NDRF) की टीमें और गोताखोरों को तैनात किया गया है। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई और पुणे में भी उत्तर भारतीय समाज के हजारों परिवारों ने समुद्र तटों और झीलों पर छठ पूजा के विशाल आयोजन किए हैं; मुंबई में उषा अर्घ्य का समय 6:41 बजे रहेगा। यह विस्तार इस बात का प्रमाण है कि छठ पूजा भारत की सांस्कृतिक विविधता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है।

आस्था, अनुशासन और पर्यावरण का संगम

छठ पूजा केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह प्रकृति के साथ मनुष्य के सामंजस्य और जल तथा सूर्य जैसे जीवनदायी तत्वों के प्रति कृतज्ञता का एक महान उत्सव है। यह पर्व हमें यह भी याद दिलाता है कि जल और सूर्य — दोनों ही संपूर्ण जीवन के आधार हैं। कल सुबह जब सूरज की पहली किरणें देश के विभिन्न घाटों पर पड़ेंगी, तो हर व्रतधारी के चेहरे पर कठोर तपस्या के बाद मिलने वाली तृप्ति और भक्ति की अलौकिक चमक दिखाई देगी।

 घाटों पर गूंजते मधुर भक्ति गीतों की धुन और पानी में झिलमिलाते दीयों की पंक्तियाँ मिलकर छठ पर्व को भारत की सबसे अनुशासित, वैज्ञानिक और पर्यावरण-चेतन पूजा बनाती हैं। यह पर्व हमें प्रकृति का सम्मान करना सिखाता है। छठ मइया से यही सामूहिक प्रार्थना है कि वह अपनी कृपा बनाए रखें — हर घर में सुख, हर दिल में शांति, और हर जीवन में प्रकाश और उजाला बना रहे। जय छठी मइया!

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