गुवाहाटी 11 अक्टूबर 2025
सत्ताधारी दल में बगावत की आग — राजेन गोहेन का इस्तीफा बना विस्फोट
असम की राजनीति में आज भूचाल आ गया जब बीजेपी के वरिष्ठतम नेताओं में शुमार, चार बार के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेन गोहेन ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उनके साथ 17 और प्रभावशाली कार्यकर्ताओं व जिला नेताओं ने भी बीजेपी का दामन छोड़ दिया। यह घटना केवल एक इस्तीफा नहीं — असम बीजेपी की जड़ों में मचा कोहराम है। पार्टी जो कभी असम की राजनीति पर पूर्ण नियंत्रण का दावा करती थी, अब अंदरूनी फूट से हिल गई है। राजेन गोहेन ने अपने इस्तीफे में लिखा कि बीजेपी ने “वफादार और संघर्षशील कार्यकर्ताओं को धोखा दिया है।” उन्होंने कहा कि पार्टी अब “आयातित नेताओं” और “सत्ता के सौदागरों” के हाथों की कठपुतली बन चुकी है।
गोहेन का प्रहार — ‘अब बीजेपी में असम की आत्मा नहीं, केवल अहंकार है’
राजेन गोहेन का इस्तीफा एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि असम बीजेपी के खिलाफ आरोप पत्र है। उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर तीखा हमला करते हुए कहा कि, “यह वही बीजेपी नहीं है जिसके लिए हमने सड़क से संसद तक संघर्ष किया था। अब पार्टी में असम की आत्मा नहीं बची, केवल दिल्ली का अहंकार रह गया है।”
गोहेन ने साफ कहा कि राज्य इकाई के नेताओं को हाशिये पर धकेल दिया गया है, और फैसले अब केवल “ऊपर से थोपे” जा रहे हैं। उन्होंने 2023 की सीमा निर्धारण प्रक्रिया (delimitation) को “राजनीतिक षड्यंत्र” बताया और कहा कि इससे असम के स्वदेशी समाज की राजनीतिक ताकत तोड़ी गई है।
बीजेपी के भीतर मचा घमासान — गुटबाज़ी खुलकर सामने आई
राजेन गोहेन का नाम असम बीजेपी के पुराने संगठनात्मक ढांचे में बेहद सम्मानित माना जाता था। वे पार्टी की उस पीढ़ी का चेहरा थे जिसने कांग्रेस के खिलाफ राज्य में भाजपा की जड़ें जमाईं। लेकिन अब वही गोहेन पार्टी नेतृत्व से नाराज़ होकर बगावत पर उतर आए हैं। सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के करीबी नए चेहरों को बढ़ावा मिलने से पुराने नेता खुद को अपमानित महसूस कर रहे थे। गोहेन का इस्तीफा असल में उसी गुटीय टकराव का विस्फोट है, जो पिछले दो वर्षों से सुलग रहा था।
बीजेपी नेतृत्व के दावे ध्वस्त — असम में पहली बार खुला ‘विरोध का मोर्चा’
बीजेपी ने अपने बयान में इसे “व्यक्तिगत निर्णय” बताया, लेकिन सच्चाई इससे कहीं बड़ी है। यह पहला मौका है जब असम बीजेपी के इतने वरिष्ठ नेता सामूहिक रूप से पार्टी छोड़ रहे हैं। राज्य के भीतर संगठनात्मक स्तर पर असंतोष अब खुलकर सामने आ गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह 2016 के बाद बीजेपी के लिए सबसे बड़ा संकट है। अगर यह लहर फैली तो विधानसभा चुनाव 2026 में बीजेपी के लिए बेहद कठिन साबित होंगे। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने पहले ही गोहेन के इस्तीफे को “जनता के मन की बगावत” करार दिया है।
क्या गोहेन लौटेंगे कांग्रेस में? अगले कदम पर सस्पेंस
राजेन गोहेन ने भले ही अभी अपने अगले कदम की घोषणा नहीं की है, लेकिन असम की राजनीति में हलचल मच चुकी है। अटकलें हैं कि गोहेन कांग्रेस या किसी क्षेत्रीय असमी संगठन से हाथ मिला सकते हैं। उनके करीबी नेताओं का कहना है कि “बीजेपी अब असम की नहीं रही — यह दिल्ली की शाखा बन गई है।” अगर गोहेन कांग्रेस में जाते हैं, तो असम में बीजेपी का “स्वदेशी चेहरा” पूरी तरह टूट जाएगा। इस बगावत का असर केवल एक सीट या जिला तक सीमित नहीं रहेगा — यह पार्टी के जनाधार को हिला सकता है।
बीजेपी में दरार गहरी, असम की सियासत में नया तूफान तय
राजेन गोहेन का इस्तीफा बीजेपी के आत्मविश्वास पर गहरा प्रहार है। यह बगावत दिखाती है कि पार्टी अब “एकजुट संगठन” नहीं रही, बल्कि “आंतरिक सत्ता संघर्ष” की रणभूमि बन चुकी है। असम में बीजेपी का वह सुनहरा दौर, जब हर चुनाव उसकी झोली में आता था, अब चुनौती के मुहाने पर खड़ा है। राजेन गोहेन की विदाई केवल एक नाम का जाना नहीं — असम बीजेपी के चरित्र का टूटना है। अब सवाल सिर्फ इतना है — क्या बीजेपी इस आग को बुझा पाएगी, या असम की राजनीति में यह कोहराम उसकी सत्ता का अंत लिखेगा?