

धर्म नहीं अधर्म : जब आस्था बन जाए दिखावा और भक्ति बन जाए हथियार
नई दिल्ली 15 अगस्त 2025 जब धर्म आचरण नहीं, प्रदर्शन बन जाए धर्म का मूल स्वभाव है—सत्य, करुणा, क्षमा और सेवा। लेकिन जब धर्म केवल रीतियों और रस्मों में सिमट जाए, जब वह आचरण की जगह केवल मंच का प्रदर्शन बन जाए, तो उसकी आत्मा खो जाती है। आज मंदिरों की गूंज में घनघोर घंटियाँ