

थोपा गया युद्ध, शांति की गुहार और मुनाफ़े की मंडी में मानवता की मौत
जब युद्ध किसी सैन्य सीमा से नहीं, बल्कि चुप्पी, पूंजी, और नैरेटिव से शुरू होता है — तब वह केवल एक क्षेत्रीय संघर्ष नहीं रहता, वह पूरी सभ्यता की परीक्षा बन जाता है। 2025 का पश्चिम एशिया, विशेष रूप से गाज़ा, ईरान, और इज़रायल — यही गवाही दे रहे हैं कि आधुनिक दुनिया में युद्ध