ओटावा / नई दिल्ली, 30 सितंबर 2025
कनाडा सरकार ने एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लेते हुए भारतीय गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई की कुख्यात गैंग को आधिकारिक रूप से आतंकी संगठन (Terrorist Entity) घोषित कर दिया है। कनाडा के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री गेरी अनंदासन्गरी ने बयान जारी करते हुए कहा कि यह गैंग कनाडा में हिंसा, डर और संगठित अपराध का माहौल बना रही थी। आरोप है कि बिश्नोई गिरोह ने कनाडा में कई प्रवासी समुदायों को निशाना बनाया, गोलीबारी, आगजनी और जबरन वसूली जैसे अपराध किए और संगठित तरीके से लोगों को धमकाने का काम किया। मंत्री ने साफ कहा कि यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि कनाडा में रहने वाले लोगों को सुरक्षित माहौल मिल सके और किसी भी तरह का आतंकी नेटवर्क यहां पनप न सके।
कनाडा के इस फैसले का मतलब है कि अब बिश्नोई गैंग की संपत्ति और आर्थिक लेन-देन जब्त किए जा सकेंगे। इस गैंग को किसी भी तरह की वित्तीय मदद देना, प्रचार करना या इसका समर्थन करना अब कनाडा के कानून के तहत अपराध माना जाएगा। इस घोषणा के साथ कनाडा ने यह भी संदेश दिया है कि चाहे गैंग भारत से हो या किसी अन्य देश से, यदि वह कनाडाई नागरिकों की सुरक्षा के लिए खतरा है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह कदम विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले दो सालों में कनाडा में प्रवासी सिख समुदाय से जुड़े कई हत्याकांड और हमलों का आरोप इस गैंग पर लगाया गया है, जिनमें सबसे चर्चित हर्डीप सिंह निझार की हत्या का मामला है।
लॉरेंस बिश्नोई पंजाब से आने वाला कुख्यात अपराधी है, जो भारत में कई गंभीर मामलों में आरोपी है। वह फिलहाल भारतीय जेल में बंद है, लेकिन पुलिस और जांच एजेंसियों का कहना है कि वह जेल से ही अपने गैंग को ऑपरेट करता है। बिश्नोई पर गैंगस्टर-संस्कृति फैलाने, ड्रग्स और हथियारों की तस्करी कराने और कई नामचीन हस्तियों को धमकी देने के आरोप लगते रहे हैं। उनके गैंग का नेटवर्क हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और दिल्ली सहित कई राज्यों में फैला है और अब कनाडा में भी सक्रिय होने के सबूत सामने आए हैं। कनाडा का यह निर्णय इस बात का प्रमाण है कि इस गिरोह की गतिविधियाँ अब केवल भारत तक सीमित नहीं हैं।
भारत सरकार की ओर से इस मामले में तुरंत प्रतिक्रिया आई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत लंबे समय से कनाडा से इस गैंग के कई सदस्यों के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था। भारत ने कनाडा को कई बार चेतावनी दी थी कि बिश्नोई गिरोह के लोग कनाडा में बैठे-बैठे भारत में अपराधों की साजिश रच रहे हैं। हालांकि, कनाडा सरकार का यह फैसला भारत के दृष्टिकोण को सही साबित करता है कि यह गैंग एक अंतरराष्ट्रीय खतरा है। फिर भी, भारत ने कनाडा से कहा है कि वह ठोस साक्ष्य साझा करे और अपराधियों के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई को तेज करे।
यह घोषणा भारत-कनाडा संबंधों पर भी असर डाल सकती है। पिछले कुछ महीनों में दोनों देशों के बीच खटास बढ़ी है, खासकर खालिस्तान समर्थक गतिविधियों और हत्याओं को लेकर। कनाडा द्वारा यह कदम उठाने से एक तरफ जहां प्रवासी भारतीयों में राहत की भावना हो सकती है, वहीं राजनीतिक और कूटनीतिक हलकों में यह सवाल भी उठेगा कि क्या यह केवल दबाव का परिणाम है या वास्तव में कनाडा ने अपने देश में सक्रिय गैंग नेटवर्क के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने का फैसला किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय अपराध और आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाने की दिशा में बड़ा कदम हो सकता है। लेकिन यह भी चुनौती होगी कि इस गैंग के नेटवर्क को जड़ से खत्म किया जाए, क्योंकि यह गैंग भारत और विदेशों में फैले अपने समर्थकों के जरिए काम करती है। कनाडा में भारतीय समुदाय अब उम्मीद लगाए बैठा है कि इस कदम से उनके ऊपर मंडरा रहा खतरा कम होगा और संगठित अपराध के खिलाफ सरकार की कार्रवाई और सख्त होगी।