नई दिल्ली 12 अगस्त 2025
कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) की ताजा रिपोर्ट में यह चिंता जताई गई है कि केंद्र सरकार ने अब तक करीब 3.69 लाख करोड़ रुपये की सेस राशि को उनके निर्धारित कोषों में ट्रांसफर नहीं किया है। सेस वह विशेष कर होते हैं जो सरकार विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और विकास कार्यों के लिए जनता से वसूलती है। इन निधियों का उद्देश्य खास क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण आदि के लिए फंड उपलब्ध कराना होता है। लेकिन जब यह पैसा सही समय पर और पूरी राशि के साथ निर्धारित कोषों में नहीं पहुंचता, तो इसका सीधा असर उन योजनाओं की सफलता पर पड़ता है जिनके लिए यह धनराशि आवंटित की गई होती है।
सेस का उद्देश्य और उसकी महत्वता
सेस एक अलग तरह का कर है, जिसे सरकार सामान्य टैक्स के अलावा विशेष जरूरतों को पूरा करने के लिए लगाती है। उदाहरण के तौर पर, स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए स्वास्थ्य सेस, पर्यावरण संरक्षण के लिए पर्यावरण सेस आदि। इन सेस का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इन क्षेत्रों में धन की कमी न हो और योजनाएं समय पर पूरी हों। जब यह धनराशि अपने निर्दिष्ट कोषों में नहीं पहुंचती, तो योजनाओं के क्रियान्वयन में देरी होती है, जिससे आम जनता को मिलने वाली सुविधाएं प्रभावित होती हैं। इससे सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता पर भी प्रश्न उठते हैं।
वित्तीय अनुशासन में बड़ी चूक और उसकी वजहें
CAG रिपोर्ट ने यह भी संकेत दिए हैं कि इस बड़ी राशि को कोषों में ट्रांसफर न करने के पीछे वित्तीय अनुशासन की कमी और सरकारी प्रबंधन में खामियां हैं। यह मामला केवल संख्याओं का नहीं है, बल्कि इसके पीछे नीतिगत कमज़ोरी और प्रशासनिक लापरवाही भी छिपी हो सकती है। इसके कारण वह धनराशि जो समाज के महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए सुरक्षित रखी जानी चाहिए थी, वह वहां नहीं पहुंच पाई, जिससे विकास कार्य प्रभावित हुए। विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति जनता के प्रति सरकार की जवाबदेही पर सवाल खड़ा करती है और वित्तीय पारदर्शिता को नुकसान पहुंचाती है।
संभावित प्रभाव और आम जनता पर असर
जब सेस की रकम निर्धारित कोषों में नहीं जाती, तो स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा कार्यक्रम, पर्यावरणीय संरक्षण और अन्य विकास योजनाएं प्रभावित होती हैं। इससे अस्पतालों और स्कूलों के संचालन में दिक्कतें आती हैं, और कई बार जरूरी परियोजनाओं को रोकना या विलंब करना पड़ता है। इसका सीधा असर देश की विकास दर और नागरिकों की जीवन गुणवत्ता पर पड़ता है। खासकर गरीब और कमजोर वर्ग के लिए यह स्थिति और भी गंभीर हो जाती है क्योंकि वे अधिकतर सरकार की इन योजनाओं पर निर्भर होते हैं।
सरकार की भूमिका और आने वाले कदम
हालांकि केंद्र सरकार ने अभी तक इस रिपोर्ट पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन आने वाले समय में वित्त मंत्रालय और संबंधित विभाग इस मामले की गहन जांच कर सकते हैं। CAG की रिपोर्ट के निष्कर्षों को ध्यान में रखते हुए सरकार को वित्तीय प्रबंधन में सुधार करना होगा और सुनिश्चित करना होगा कि सेस की वसूली पूरी राशि के साथ और समय पर उचित कोषों में ट्रांसफर हो। इसके साथ ही प्रशासनिक और नीतिगत सुधारों की भी आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति न बने।
पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग
यह रिपोर्ट सरकार के वित्तीय अनुशासन और जवाबदेही की दिशा में एक चेतावनी है। देश की जनता का यह अधिकार है कि जो पैसा विशेष कारणों के लिए वसूला गया है, वह सही और पारदर्शी तरीके से उपयोग हो। इसके लिए न केवल कठोर नियम बनाना जरूरी है, बल्कि उनका सख्ती से पालन भी अनिवार्य है। सरकारी फंड के उचित उपयोग से ही सामाजिक विकास की गारंटी संभव है। आम जनता, विशेषज्ञ और मीडिया की भूमिका भी इस मामले में महत्वपूर्ण है ताकि शासन तंत्र जवाबदेह बने और विकास योजनाएं सही दिशा में आगे बढ़ें।