भारत में हाई-स्पीड रेल यात्रा के स्वप्न को साकार करने की दिशा में एक और बड़ा कदम बढ़ चुका है। केंद्र सरकार ने संसद में सूचित किया है कि देश की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना – मुंबई से अहमदाबाद तक का हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर – वर्ष 2029 तक पूरी तरह तैयार हो जाएगा। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस महत्वाकांक्षी योजना की प्रगति की जानकारी देते हुए कहा कि गुजरात सेक्शन का काम वर्ष 2027 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है, जबकि मुंबई से साबरमती तक पूरा कॉरिडोर दिसंबर 2029 तक चालू हो जाएगा।
यह परियोजना न केवल भारत के तकनीकी विकास का प्रतीक बन रही है, बल्कि यह देश के यात्री परिवहन में एक क्रांतिकारी बदलाव की शुरुआत मानी जा रही है। वर्तमान में मुंबई और अहमदाबाद के बीच की दूरी को तय करने में सात से आठ घंटे लगते हैं, लेकिन बुलेट ट्रेन इस दूरी को मात्र दो से तीन घंटे में तय कर लेगी। यह सेवा जापान की शिंकान्सेन तकनीक पर आधारित होगी और अधिकतम 320 किमी प्रति घंटा की गति से दौड़ेगी।
मई 2025 तक की स्थिति के अनुसार, परियोजना के 392 किमी वायाडक्ट (Viaduct), 329 किमी गर्डर कास्टिंग और 308 किमी गर्डर लॉन्चिंग का कार्य पूरा हो चुका है। साथ ही, इस रूट पर निर्माणाधीन 21 किमी लंबी समुद्र के नीचे की सुरंग (अंडरसी टनल) पर भी काम शुरू हो चुका है, जो तकनीकी रूप से इस प्रोजेक्ट का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा है। यह सुरंग मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स से ठाणे खाड़ी तक फैली होगी और भारत में अपनी तरह की पहली सुरंग होगी।
बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के तहत कुल 12 हाई-स्पीड स्टेशन बनाए जा रहे हैं—बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स, ठाणे, विरार, बोइसर, वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरूच, वडोदरा, आनंद/नडियाद, अहमदाबाद और साबरमती। इनमें से कई स्टेशनों पर निर्माण कार्य उन्नत स्तर पर पहुंच चुका है, जिनमें सूरत और वापी स्टेशन प्रमुख हैं। गुजरात हिस्से में वापी से साबरमती तक लगभग 90% निर्माण कार्य प्रगति पर है और यहां जल्द ही ट्रायल रन की तैयारियाँ भी की जा रही हैं।
E5 सीरीज की शिंकान्सेन ट्रेनें, जो इस कॉरिडोर पर इस्तेमाल की जाएंगी, वर्ष 2026–27 में ट्रायल रन के लिए लाई जाएंगी। इसके लिए भारत और जापान की साझेदारी में चल रहे प्रशिक्षण और तकनीकी समझौतों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) इस परियोजना के लिए लगभग 81% वित्तीय सहायता दे रही है, जबकि शेष खर्च भारत सरकार और महाराष्ट्र तथा गुजरात राज्य सरकारों द्वारा साझा रूप से वहन किया जा रहा है। इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत लगभग ₹1.08 लाख करोड़ रुपये है।
मुंबई का बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स स्टेशन, जो इस कॉरिडोर का टर्मिनल स्टेशन होगा, भूमिगत बनाया जा रहा है और यह भारत का पहला अंडरग्राउंड बुलेट ट्रेन स्टेशन होगा। यह स्टेशन मेट्रो, सिटी बस और हवाई अड्डे से सीधे कनेक्ट रहेगा। साबरमती में भी एक मल्टी-मॉडल हब बनाया जा रहा है, जिसे मेट्रो, रोडवेज और रिटेल ज़ोन से जोड़ने की योजना है। इससे पूरे पश्चिम भारत में एक नई आर्थिक और शहरी विकास की लहर चलने की संभावना है।
सरकार का कहना है कि यह परियोजना सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं, बल्कि आर्थिक सुधार और रोजगार के अवसरों का भी स्रोत है। हजारों इंजीनियर, मज़दूर, तकनीशियन और विशेषज्ञ इस परियोजना से जुड़े हैं और इसका व्यापक प्रभाव निर्माण, रियल एस्टेट, लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्ट सेक्टर पर पड़ेगा।
2029 तक पूरा होने वाला यह बुलेट ट्रेन कॉरिडोर भारत की परिवहन प्रणाली को वैश्विक मानकों पर लाने वाला ऐतिहासिक कदम होगा। यह न केवल यात्रियों के लिए सुविधाजनक और तेज़ विकल्प साबित होगा, बल्कि यह भारत को अत्याधुनिक और हरित परिवहन व्यवस्था की ओर भी अग्रसर करेगा। बुलेट ट्रेन की तेज़ रफ्तार के साथ अब भारत अपने विकास के रास्ते पर और अधिक तेज़ी से दौड़ने को तैयार है।