जयपुर 17 सितम्बर 2025
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ से एक सनसनीखेज़ और शर्मनाक वारदात सामने आई है। पानी जैसी बुनियादी ज़रूरत पर आवाज़ उठाना यहां एक आदमी को इतना महंगा पड़ा कि उसके दोनों पैर ही तोड़ दिए गए। सोशल मीडिया पर पानी की समस्या को उजागर करना गुंडों को नागवार गुज़रा और उन्होंने शख्स को बेरहमी से पीट-पीटकर लहूलुहान कर दिया।
पीड़ित ने इंस्टाग्राम पर स्थानीय लोगों की पीड़ा साझा की थी। उसने बार-बार लिखा था कि “हर रोज़ पानी की किल्लत झेलना पड़ रहा है, कब तक लोग चुप रहेंगे?” लेकिन इस हकीकत को उजागर करना ही उसकी ज़िंदगी पर कहर बन गया।
गुंडों के हमले के बाद इलाके में आक्रोश फैल गया है। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि यह हमला किसी साधारण गुंडागर्दी का मामला नहीं बल्कि एक साजिश है, जिसमें राजनीतिक संरक्षण भी शामिल है। पीड़ित परिवार और ग्रामीणों ने साफ तौर पर स्थानीय विधायक को कटघरे में खड़ा किया है। उनका कहना है कि अगर विधायक अपनी जिम्मेदारी निभाते और पानी की समस्या हल करते तो इस तरह की घटना होती ही नहीं।
इस घटना ने राजस्थान की कानून-व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या अब कोई नागरिक अपनी समस्या सोशल मीडिया पर भी नहीं रख सकता? क्या जनता के अधिकारों की मांग करना अपराध बन चुका है?
विपक्षी दलों ने इस हमले की तीखी निंदा करते हुए इसे लोकतंत्र पर हमला बताया है। उनका कहना है कि जब पानी जैसी बुनियादी समस्या उठाने पर जनता को अपंग बना दिया जाए तो सरकार और प्रशासन का चेहरा पूरी तरह बेनकाब हो जाता है।
यह मामला केवल पानी का नहीं, बल्कि आम आदमी की आवाज़ को कुचलने की साजिश का प्रतीक है। सवाल यह है कि क्या चित्तौड़गढ़ में न्याय मिलेगा या फिर राजनीति और गुंडाराज मिलकर इस आवाज़ को हमेशा के लिए दबा देंगे?