बिहार की राजनीति में नया तूफान उठ खड़ा हुआ है। बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उनके कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माता जी पर अपशब्द कहे। लेकिन सच्चाई कुछ और ही सामने आई। घटनास्थल और CCTV फुटेज से स्पष्ट हुआ कि हिंसा और तोड़फोड़ करने वाले कार्यकर्ता खुद बीजेपी के निकले। सदाकत आश्रम में कांग्रेस कार्यालय में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने लाठियों और डंडों से जमकर उत्पात मचाया, जिससे कई लोग घायल हुए। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी की माता को लेकर जो विवादित बात कहे जाने का आरोप लगा था उस सिलसिले में जिसकी गिरफ्तारी हुई है वो स्वयं बीजेपी से जुड़ा हुआ है और पार्टी का कार्यकर्ता है।
रागिनी नायक ने बीजेपी को घेरा: राहुल गांधी पर झूठे आरोप
कांग्रेस की नेता रागिनी नायक ने बीजेपी के आरोपों को तुरंत खारिज किया और कहा, “कोई भी एक उदाहरण बताएं जिसमें राहुल गांधी जी ने प्रधानमंत्री मोदी की माता या पिता को अपशब्द कहा हो।” रागिनी नायक ने प्रधामंत्री और बीजेपी नेताओं के अपने विवादित बयानों को याद दिलाया, जिनमें शामिल हैं:
- मोदी ने कहा था , कांग्रेस की विधवा
- मोदी ने सोनिया और राहुल प्रियंका पर कहा था, जर्सी गाय और उसके हाइब्रिड बछड़े
- विदेशी महिला के बेटे को देशभक्त न मानने की टिप्पणी
- बीजेपी के एक नेता ने कहा था कि ये भी पता नहीं कि राहुल गांधी का पिता कौन है?
- रेणुका चौधरी को सूर्पनखा कहना
- शशि थरूर की पत्नी को 50 करोड़ की गर्लफ्रेंड कहना
- ममता बनर्जी को “दीदी ओ दीदी” कहना
- कांग्रेस का खूनी पंजा
- मध्य प्रदेश बीजेपी नेता का करनल सोफिया कुरैशी को पाकिस्तान की बहन कहना
- दयाशंकर सिंह द्वारा मायावती जी को सदन में आपत्तिजनक शब्द कहना
- हिंदू वोट को यूनाइट करने के लिए मुस्लिम के खिलाफ यह भड़काने की कोशिश की कि दंगाई कपड़े से पहचाने जाते हैं
- मोदी ने कहा था कि इन्हें वोट दिया तो आपके मंगल सूत्र खोल के ले जायेंगे, आपके नल खोल के ले जायेंगे, आपकी बिजली बंद कर के तार काट के ले जायेंगे
प्रधानमंत्री के विवादास्पद बयान भी सामने
इस पूरे प्रकरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व के विवादित बयान भी सामने आते हैं। उन्होंने विभिन्न अवसरों पर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ तीखी टिप्पणियाँ की हैं, जिनमें सबसे विवादित बयान था, “दंगाई कपड़े से पहचाने जाते हैं।” ऐसे बयान सीधे-सीधे सामाजिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देते हैं और विवाद का वातावरण तैयार करते हैं।
हिंसा का असली चेहरा: बीजेपी खुद दोषी
सदरक आश्रम में हुई हिंसा ने स्पष्ट कर दिया कि राजनीतिक पार्टियों के भीतर कार्यकर्ताओं का अनुशासन खतरनाक रूप से कमजोर है। अगर सचमुच किसी ने प्रधानमंत्री की माता पर अपशब्द कहे होते, तो निष्पक्ष जांच होती। इसके बजाय, बीजेपी ने अपनी हिंसक कार्यवाही को कांग्रेस पर आरोपित कर दिया। यह राजनीतिक चालाकी और सत्ता के लिए हिंसा की रणनीति को उजागर करता है।
राजनीति की नीतिगत खामियाँ और जनता की जागरूकता
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह पूरा प्रकरण सत्ता और आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति को दिखाता है। जनता को सच और झूठ के बीच अंतर करना होगा। राजनीतिक आक्रामकता और हिंसा लोकतंत्र के लिए खतरा है। प्रधानमंत्री के विवादास्पद बयानों का संदर्भ इस बात को और गंभीर बनाता है कि राजनीतिक संवाद में सामाजिक सामंजस्य बनाए रखना कितना जरूरी है।
जाँच जारी, दोषियों की होगी पहचान
पुलिस ने घटना की गहन जांच शुरू कर दी है। CCTV फुटेज और घटनास्थल के सबूतों के आधार पर दोषियों की पहचान की जाएगी। यह मामला साफ तौर पर दिखाता है कि आरोप-प्रत्यारोप और हिंसा का इस्तेमाल केवल राजनीतिक फायदा उठाने के लिए किया जा रहा है।