Home » National » दिल्ली से केरल तक बिहारी मज़दूरों तक पहुंच बनाएगी बीजेपी

दिल्ली से केरल तक बिहारी मज़दूरों तक पहुंच बनाएगी बीजेपी

Facebook
WhatsApp
X
Telegram
नई दिल्ली
18 जुलाई 2025
प्रवासी बिहारी अब सिर्फ मजदूर नहीं, निर्णायक मतदाता
बिहार की राजनीति में अब एक नया और निर्णायक वर्ग उभरकर सामने आया है — देशभर में फैले प्रवासी बिहारी मजदूर, जो दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों में करोड़ों की संख्या में रोज़गार के लिए बसे हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी ने इन्हीं प्रवासी बिहारियों तक सीधा पहुंचने का निर्णय लिया है और इसे “प्रवासी बिहारी संपर्क एवं सम्मान अभियान” का नाम दिया है। यह अभियान केवल वोट के लिए संपर्क भर नहीं, बल्कि उन मेहनतकश हाथों को राष्ट्रीय पहचान देने की रणनीतिक पहल भी है, जिन्होंने अपने राज्य से दूर रहकर देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
मोदी ब्रांड की योजनाओं से जोड़ा जाएगा श्रमिक वर्ग
बीजेपी का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने ई-श्रम पोर्टल, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वास्थ्य बीमा, और डिजिटल ट्रांजैक्शन जैसे कार्यक्रमों से प्रवासी मजदूरों के जीवन में वास्तविक सुधार लाया है। पार्टी की योजना है कि इन योजनाओं के लाभार्थियों के अनुभवों को संगठित करके पूरे बिहार में जनमत तैयार किया जाए। डिजिटल कैंपेन के माध्यम से मोबाइल एप, व्हाट्सऐप ग्रुप्स और फेसबुक लाइव के जरिए कार्यकर्ता प्रवासी श्रमिकों से जुड़ेंगे और उन्हें बताएंगे कि कैसे भाजपा सरकार ने उनके जीवन में बदलाव लाने का प्रयास किया है।
भावनाओं से जोड़कर लौटेगा बिहारी स्वाभिमान
इस अभियान का एक भावनात्मक पहलू भी है — बिहारी अस्मिता और सम्मान को केंद्र में रखकर बीजेपी यह बताना चाहती है कि देश के कोने-कोने में बिहारियों ने परिश्रम से पहचान बनाई है और अब वक्त आ गया है कि उनकी सामाजिक और राजनीतिक भागीदारी भी बराबरी की हो। इस संवाद में भोजपुरी, मैथिली, मगही और अंगिका भाषाओं का उपयोग भी किया जाएगा ताकि सांस्कृतिक जुड़ाव बने। प्रवासी मजदूरों से मिलने वाले अनुभवों को वीडियो डॉक्यूमेंट्री और स्थानीय स्तर पर प्रचार सामग्री के रूप में गांव-गांव पहुंचाया जाएगा, ताकि जब ये मजदूर चुनाव के समय बिहार लौटें, तो वे सिर्फ मतदाता नहीं, बल्कि “मोदी दूत” बनकर आएं।
राजद-जेडीयू के तुष्टिकरण और विफलता पर सीधा हमला
बीजेपी का यह अभियान प्रत्यक्ष तौर पर राजद और जदयू के पारंपरिक वोट बैंक पर सेंध मारने की कोशिश है। भाजपा यह नैरेटिव स्थापित कर रही है कि जब कोरोना लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों को राहत की ज़रूरत थी, तब बिहार की सरकारें और क्षेत्रीय दल “ट्विटर विरोध” से आगे नहीं बढ़े”। वहीं केंद्र सरकार ने ट्रेनें चलाईं, भोजन उपलब्ध कराया और रोजगार कार्ड की शुरुआत की। बीजेपी अब इन्हीं मुद्दों को उभारकर यह दिखाना चाहती है कि जब बाकी दल संवेदनहीन थे, मोदी सरकार ने कदम उठाए। यही वजह है कि इस अभियान में “काम बोलता है, विरोध नहीं” जैसे नारे भी शामिल किए जा रहे हैं।
मैदानी संपर्क से लेकर डिजिटल प्लेटफॉर्म तक फैलेगा नेटवर्क
यह अभियान केवल डिजिटल तक सीमित नहीं रहेगा। भाजपा कार्यकर्ता देशभर के औद्योगिक क्षेत्रों, टैक्सी/रिक्शा यूनियनों, होटल इंडस्ट्री, फैक्ट्रियों और मंडियों में जाकर प्रवासी बिहारी मजदूरों से व्यक्तिगत संपर्क करेंगे। इसके अलावा प्रवासी बिहारियों के संगठन, सांस्कृतिक मंच और सामाजिक संस्थाओं के साथ मिलकर ‘बिहार गौरव सम्मेलन’, ‘प्रवासी सम्मान समारोह’ और ‘मोदी संवाद सभा’ जैसे आयोजनों की योजना है। यह संपर्क, संगठन और समर्थन का त्रिकोण तैयार कर भाजपा उन सीटों पर प्रभाव डालना चाहती है जहां प्रवासी मतदाताओं का प्रत्यक्ष या परोक्ष प्रभाव है।
चुनावी दृष्टि से बिहारी प्रवासी क्यों हैं अहम
प्रवासी मजदूरों की बड़ी संख्या त्योहारों, शादी-ब्याह या चुनावों के समय बिहार लौटती है, और उनका वोट प्रतिशत आश्चर्यजनक रूप से अधिक होता है। साथ ही वे अपने गांव और मोहल्ले के अन्य लोगों पर भी असर डालते हैं। अगर ये लोग बीजेपी की योजनाओं के प्रचारक बनकर गांव पहुंचते हैं, तो भाजपा को सीधे 40 से 50 सीटों पर माइक्रो-लेवल पर बढ़त मिल सकती है। यह अभियान परंपरागत जातीय गणित को बदलने की भी ताकत रखता है, क्योंकि प्रवासी मजदूरों की राजनीति विकास और पहचान आधारित होती जा रही है।
यह सिर्फ संपर्क नहीं, एक सशक्त चुनावी प्रयोग है
BJP का “प्रवासी बिहारी संपर्क और सम्मान” अभियान दरअसल एक माइक्रो-पोलिटिकल मास्टरस्ट्रोक है — यह न केवल एक बड़े मतदाता वर्ग को जोड़ने की कोशिश है, बल्कि बिहार की राजनीति को गांव बनाम शहर, जाति बनाम विकास और क्षेत्रीय बनाम राष्ट्रीय सोच के द्वंद्व से आगे ले जाने की कोशिश भी है। नरेंद्र मोदी की राष्ट्रव्यापी स्वीकार्यता को इस वर्ग के ज़रिए ग्रामीण बिहार तक पहुंचाना ही इस रणनीति की असली सफलता होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *