पटना, 27 सितम्बर 2025
बिहार विधानसभा चुनाव का माहौल गरमाने लगा है और इस बार बीजेपी ने अपना चुनावी एजेंडा साफ कर दिया है। पार्टी ने “घुसपैठ” को सबसे बड़ा मुद्दा बना दिया है और लगातार यह कह रही है कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों के कारण बिहार की सामाजिक और आर्थिक संरचना पर खतरा मंडरा रहा है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि अगर समय रहते इस पर सख्ती नहीं बरती गई तो राज्य में अपराध, जनसंख्या संतुलन और संसाधनों पर दबाव बढ़ेगा।
बीजेपी के इस आक्रामक रुख ने सहयोगी दल जेडीयू की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिलहाल विकास और सामाजिक न्याय के एजेंडे को सामने रखना चाहते हैं, जबकि बीजेपी लगातार जनसभाओं में घुसपैठ का मुद्दा उठाकर माहौल को गर्म कर रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जेडीयू इस मुद्दे पर खुलकर सामने नहीं आ पा रही है क्योंकि इसका असर मुस्लिम वोट बैंक पर पड़ सकता है, जो जेडीयू के लिए एक अहम राजनीतिक समीकरण है।
बीजेपी नेताओं का कहना है कि यह सिर्फ चुनावी मुद्दा नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है। पार्टी का आरोप है कि घुसपैठियों की वजह से बिहार के सीमावर्ती इलाकों में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ रही है और यह राज्य के बेरोजगार युवाओं के अधिकारों पर भी चोट है। बीजेपी का दावा है कि एनडीए की सरकार बनते ही इस मुद्दे पर कठोर कार्रवाई होगी, सीमाओं को सुरक्षित किया जाएगा और घुसपैठियों को बाहर निकालने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा।
वहीं जेडीयू नेताओं का मानना है कि इस तरह के मुद्दों से चुनाव में ध्रुवीकरण तो होगा लेकिन इससे राज्य की सामाजिक सौहार्द बिगड़ने का खतरा है। जेडीयू चाहती है कि चुनाव में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और विकास पर फोकस किया जाए ताकि जनता को एक सकारात्मक संदेश मिले। नीतीश कुमार अब तक इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन अंदरखाने में पार्टी में चिंता बढ़ रही है कि बीजेपी का आक्रामक रुख कहीं अल्पसंख्यक समुदाय को पूरी तरह एनडीए से दूर न कर दे।
राजनीति के जानकारों का कहना है कि बिहार में बीजेपी का यह कदम सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। पार्टी को भरोसा है कि हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण कर वह जेडीयू पर दबाव बनाएगी और सीटों के बंटवारे में अपनी स्थिति मजबूत करेगी। वहीं जेडीयू इस स्थिति से बचने की कोशिश कर रही है ताकि चुनाव में गठबंधन को नुकसान न पहुंचे। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार इस संवेदनशील मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं और क्या बीजेपी-जेडीयू के रिश्तों में तनाव और बढ़ेगा।