नागपुर, 13 सितंबर 2025
महाराष्ट्र के नागपुर शहर में विकास के नाम पर एक ऐसा नजारा देखने को मिला है, जिसने न सिर्फ इंजीनियरिंग पर सवाल खड़े किए हैं बल्कि सरकारी योजना और सुरक्षा मानकों को भी कटघरे में ला दिया है। यहां 998 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे दिगोरी-इंदौरा फ्लाईओवर का एक हिस्सा अशोक चौक स्थित 150 साल पुराने घर की बालकनी के आर-पार जाता दिख रहा है।
इस अजीबोगरीब नजारे का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही हंगामा मच गया। विपक्ष ने इसे “BJP सरकार की बदहाल प्लानिंग” बताया, जबकि NHAI और नागपुर म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (NMC) एक-दूसरे पर जिम्मेदारी थोपने लगे हैं।
घटना का विवरण
अशोक चौक के पास स्थित यह घर प्रवीण पत्रे के परिवार का है, जो छह पीढ़ियों से यहां रह रहा है। घर का निर्माण लगभग 150 साल पहले हुआ था और वर्ष 2000 में इसका नवीनीकरण कराया गया था। वायरल वीडियो में साफ दिख रहा है कि फ्लाईओवर का बीम बालकनी को छूते हुए गुजर रहा है, मानो पुल घर के भीतर घुस आया हो।
परिवार की बेटी श्रुति पत्रे ने कहा, “यह थोड़ी असुविधा है, लेकिन सरकारी प्रोजेक्ट है, हम कुछ कर नहीं सकते।” वहीं प्रवीण पत्रे ने बताया कि वे बालकनी का उपयोग कम करते हैं और साउंडप्रूफिंग की योजना बना रहे हैं।
यह 9.2 किलोमीटर लंबा फ्लाईओवर शहर में बढ़ते ट्रैफिक को कम करने के लिए बनाया जा रहा है। लेकिन इस ‘बालकनी व्यू फ्लाईओवर’ ने नागपुर की जनता को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर प्लानिंग में इतनी बड़ी खामी कैसे रह गई।
उठे सवाल: ऑडिट और सर्वे पर संदेह
क्या साइट सर्वे नहीं हुआ?
NHAI का दावा है कि घर और फ्लाईओवर बीम के बीच 1.5 मीटर का फासला है और डिजाइन पूरी तरह सुरक्षित है। लेकिन स्थानीय लोगों का सवाल है कि जब सर्वे हुआ था तो यह घर नजर क्यों नहीं आया?
क्या बालकनी ‘अवैध निर्माण’ है?
NHAI का कहना है कि यह अवैध एन्क्रोचमेंट है और NMC को नोटिस भेजा गया है। NMC की चुप्पी ने और सवाल खड़े कर दिए हैं। परिवार का कहना है कि उन्हें नोटिस मिला जरूर, लेकिन मुआवजा या ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
हादसे की जिम्मेदारी कौन लेगा?
विशेषज्ञों का कहना है कि यह सुरक्षा मानकों का सीधा उल्लंघन है। ट्रैफिक का कंपन और शोर पुराने घर को नुकसान पहुंचा सकता है। सोशल मीडिया पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं कि “अगर कल कोई हादसा हुआ तो जिम्मेदार कौन होगा?”
राजनीतिक रंग: सरकार घिरी विपक्ष के सवालों से
यह मामला अब राजनीतिक रंग ले चुका है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने केंद्रीय मंत्री और नागपुर से सांसद नितिन गडकरी को सीधे कटघरे में खड़ा किया है। विपक्ष का कहना है, “998 करोड़ का प्रोजेक्ट और इतनी बड़ी गलती? यह है BJP सरकार का विकास मॉडल।”
BJP के ही विधायक मोहन माटे ने भी प्रोजेक्ट में लापरवाही स्वीकार करते हुए कहा कि “जिम्मेदार अधिकारियों को सस्पेंड किया जाना चाहिए।”
सोशल मीडिया पर मजाक और गुस्सा
वीडियो सामने आते ही सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे “फ्लाईओवर-फेसिंग हाउस” और “प्लानिंग गॉन रोग” कहकर ट्रोल किया। एक यूजर ने लिखा, “998 करोड़ खर्च करने के बाद भी ये हालत है, सुरक्षा से ज्यादा जल्दबाजी और भ्रष्टाचार दिख रहा है।”
दूसरे यूजर ने कहा, “विकास के नाम पर लोगों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।”
आगे क्या?
NHAI ने दावा किया है कि बालकनी को अवैध घोषित कर जल्द हटाया जाएगा, लेकिन परिवार अब भी मुआवजे की उम्मीद में है। नागपुर पहले भी कई फ्लाईओवर विवादों का गवाह रह चुका है — जैसे कंप्टी फ्लाईओवर का ढहना और सदर फ्लाईओवर का खराब डिजाइन।
यह ताजा मामला न सिर्फ शहरी योजना बल्कि सरकारी जवाबदेही पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है। अब देखना होगा कि सरकार और NHAI इस ‘मुजस्समा’ को कैसे संभालते हैं।