पटना, बिहार
17 जुलाई 2025
बिहार में मतदाता पुनरीक्षण अभियान से चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए
बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) कार्यक्रम के तहत मतदाता सूची को अपडेट करने के लिए बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) द्वारा किए गए घर-घर सर्वेक्षण में चौंकाने वाली स्थिति सामने आई है। अभी तक की रिपोर्ट के मुताबिक 71 लाख से अधिक मतदाताओं के बारे में कोई पुष्ट जानकारी नहीं मिल सकी है। इसका मतलब है कि 1 अगस्त को जारी होने वाली मतदाता सूची के ड्राफ्ट में इन लोगों के नाम शामिल नहीं होंगे। भारत निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, कुल मतदाताओं में से 9.02% के नामों की पुष्टि नहीं हो पाई है।
घर पर नहीं मिले 35 लाख से ज्यादा मतदाता, लाखों की मृत्यु की पुष्टि
सर्वेक्षण के दौरान बीएलओ द्वारा जो जानकारी जुटाई गई, उसमें 35 लाख 69 हजार 435 मतदाता अपने पते पर अनुपस्थित पाए गए। वहीं, 12 लाख 55 हजार 620 मतदाताओं की मृत्यु की पुष्टि हुई है। इसके अलावा, यह भी पाया गया कि करीब 17 लाख 37 हजार 336 मतदाता स्थायी रूप से कहीं और स्थानांतरित हो चुके हैं। यही नहीं, लगभग 5 लाख 76 हजार 479 मतदाताओं के नाम दो या अधिक स्थानों पर दर्ज पाए गए हैं। यह आंकड़े मतदाता सूची की शुद्धता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं।
बिना फॉर्म भरे मिल रहे ‘फॉर्म सबमिशन’ के मैसेज, लंदन तक पहुंचे SMS!
मतदाता पुनरीक्षण अभियान के दौरान तकनीकी अनियमितताओं की खबरें भी सामने आ रही हैं। हिन्दुस्तान अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, कई नागरिकों को ऐसे मैसेज मिले हैं कि उनका गणना फॉर्म सफलतापूर्वक जमा हो गया है, जबकि उन्होंने कोई फॉर्म भरा ही नहीं था। यहां तक कि लंदन में रहने वाले एक व्यक्ति को भी ईपिक संख्या LRF1861368 के तहत ऐसा मैसेज प्राप्त हुआ। इस विषय पर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने सफाई दी कि यह गड़बड़ी पूर्व में दर्ज मोबाइल नंबरों और तकनीकी त्रुटियों के कारण हुई है। उन्होंने बताया कि IT सेल को निर्देशित किया गया है कि आगे से केवल उन्हीं मतदाताओं के मोबाइल नंबर पर मैसेज जाए जो खुद फॉर्म भरते हैं।
चुनावी तैयारियों पर सवाल, निर्वाचन आयोग अलर्ट मोड में
इन आकड़ों और गड़बड़ियों ने आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों को लेकर नई चिंता खड़ी कर दी है। बिहार जैसे बड़े राज्य में इतनी बड़ी संख्या में मतदाताओं का रिकॉर्ड न होना और तकनीकी गड़बड़ियों का सामने आना निर्वाचन प्रक्रिया की साख पर प्रभाव डाल सकता है। हालांकि, भारत निर्वाचन आयोग ने स्थिति को गंभीरता से लेते हुए निगरानी और सुधारात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण अभियान ने यह साबित कर दिया है कि डिजिटल युग में भी ग्राउंड रियलिटी से जुड़ी चुनौतियां और तकनीकी खामियां लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर सकती हैं। आने वाले दिनों में इस पर निर्वाचन आयोग की कार्रवाई और पारदर्शिता बनाए रखने के प्रयास बेहद अहम होंगे।