पटना, 25 सितंबर 2025
बिहार चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, EBC (अत्यंत पिछड़ी जातियाँ) वोट बैंक की राजनीति और तेज हो गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले कुछ सालों में योजनाओं और आरक्षण नीतियों के जरिए EBC समाज को अपने पक्ष में जोड़ने का काम किया है। अब विपक्षी महागठबंधन ने इसी वोट बैंक को साधने के लिए 10 सूत्री “न्याय संकल्प पत्र” जारी कर नीतीश की रणनीति को सीधी चुनौती दी है।
नीतीश कुमार का फोकस: EBC की मजबूती
पंचायतों और निकाय चुनावों में महिलाओं और EBC को आरक्षण देकर नीतीश ने सामाजिक आधार बढ़ाया।
जद (यू) ने ‘अति पिछड़ा रथ’ अभियान शुरू किया है, जो गाँव-गाँव जाकर EBC समाज को संबोधित करेगा।
अनुमान है कि राज्य की आबादी में लगभग 36% हिस्सेदारी EBC की है, जिससे यह वर्ग चुनावी परिणाम तय करने में निर्णायक भूमिका निभाता है।
विपक्ष का 10 सूत्री “न्याय संकल्प पत्र”
महागठबंधन ने वादा किया है कि सत्ता में आने पर EBC वर्ग को विशेष प्राथमिकता दी जाएगी। संकल्प पत्र में मुख्य बिंदु शामिल हैं:
- शिक्षा और छात्रवृत्ति में विशेष प्रावधान
- नौकरियों में आरक्षण और अवसरों का विस्तार
- स्वास्थ्य सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण
- सामाजिक सुरक्षा व पेंशन योजनाएँ
- स्वरोजगार व छोटे व्यवसायों को प्रोत्साहन
- आधारभूत ढाँचे में निवेश
- बजट में अलग से EBC मद
- महिलाओं के लिए सुरक्षा व सहयोग
- राजनीतिक प्रतिनिधित्व में हिस्सेदारी
- भ्रष्टाचार पर नियंत्रण और पारदर्शिता
चुनावी असर
नीतीश कुमार के लिए EBC समर्थन NDA की रीढ़ रहा है, जिस पर विपक्ष अब सीधा हमला कर रहा है।
यदि महागठबंधन का यह संकल्प पत्र जनता को प्रभावित करता है, तो बिहार का चुनावी समीकरण बदल सकता है।
आने वाले हफ्तों में जनसभाओं और प्रचार अभियानों के जरिए दोनों पक्ष यही दिखाने की कोशिश करेंगे कि कौन EBC हितैषी है।