भुवनेश्वर, ओडिशा
4 अगस्त 2025
ओडिशा में भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान के तहत एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। बौध जिले के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) में तैनात मोटर वाहन निरीक्षक गोलाप चंद्र हांसदा को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है। उनके पास से 44 भूखंड, एक किलो सोना, बड़ी मात्रा में नकदी और अन्य कीमती संपत्तियां बरामद की गई हैं, जो उनकी ज्ञात आय के स्रोतों से कहीं अधिक बताई जा रही हैं।
राज्य सतर्कता विभाग द्वारा की गई छापेमारी में सामने आया कि हांसदा के पास जो संपत्ति मिली है, वह उनकी सेवा अवधि और वेतनमान के अनुरूप नहीं है। अधिकारियों ने बताया कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है और विस्तृत जांच चल रही है। प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक, गोलाप चंद्र हांसदा ने न सिर्फ बौध और पड़ोसी जिलों में जमीनें खरीदीं, बल्कि कई संपत्तियों को रिश्तेदारों और परिचितों के नाम पर रजिस्ट्री भी कराया था।
विजिलेंस टीम को हांसदा के घर और अन्य परिसरों की तलाशी में लग्ज़री गाड़ियाँ, कई बैंक खातों में भारी लेनदेन, और महंगी वस्तुओं के बिल मिले हैं। अधिकारियों ने यह भी बताया कि बरामद दस्तावेजों में कुछ संपत्तियाँ राजधानी भुवनेश्वर और कटक जैसे शहरों में भी हैं, जिनकी बाजार कीमत करोड़ों रुपये में आंकी जा रही है।
यह मामला राज्य में सरकारी अधिकारियों के बीच फैलते भ्रष्टाचार की भयावहता को उजागर करता है। सूत्रों का कहना है कि हांसदा लंबे समय से निजी वाहनों के परमिट, फिटनेस और ट्रांसफर से जुड़े कामों में रिश्वत लेकर अनुचित लाभ उठा रहे थे। इसके अलावा, उन्होंने आरटीओ कार्यालय में दलालों के माध्यम से पूरे नेटवर्क खड़ा कर रखा था, जिसके सहारे वे नकद वसूली कर रहे थे।
राज्य सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों के अनुसार, आने वाले दिनों में हांसदा के सहयोगियों, रिश्तेदारों और दलालों की भी पूछताछ की जाएगी। सरकार ने इस कार्रवाई को “क्लीन गवर्नेंस की दिशा में बड़ा कदम” बताया है और संकेत दिए हैं कि ऐसी संपत्तियों पर सरकार कब्जा करने की प्रक्रिया भी जल्द शुरू कर सकती है।
यह घटना एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती है कि कैसे एक आम सरकारी अधिकारी, जिसकी मासिक आय सीमित होती है, करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन बैठता है, और कैसे सिस्टम में छिपे भ्रष्ट तंत्र को समय रहते पकड़ा नहीं जाता। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस गिरफ्तारी के बाद क्या ओडिशा सरकार अन्य विभागों में भी ऐसी ही सख्ती दिखाएगी, या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।
साफ है कि यह केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं, बल्कि सिस्टम की सफाई की एक शुरुआत है — और जनता अब उम्मीद कर रही है कि यह कार्रवाई सिर्फ दिखावा न बनकर, भ्रष्टाचार के खिलाफ एक निर्णायक अभियान में तब्दील हो।