रायपुर, छत्तीसगढ़
18 जुलाई 2025
ED की कार्रवाई से सियासी हलचल
छत्तीसगढ़ में ₹2,000 करोड़ के कथित शराब घोटाले की जांच में बड़ा मोड़ उस वक्त आया जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को गिरफ्तार कर लिया। शुक्रवार को हुई इस गिरफ्तारी से प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया है। भिलाई स्थित चैतन्य के आवास पर ईडी ने छापेमारी की और घंटों चली पूछताछ के बाद उन्हें हिरासत में लिया गया। ईडी का दावा है कि चैतन्य बघेल का नाम हवाला नेटवर्क और कथित घोटाले की धनराशि के उपयोग में सामने आया है।
भूपेश बघेल का तीखा हमला: ‘तोहफ़ा मिला है’
गिरफ्तारी के बाद भूपेश बघेल ने प्रेस को संबोधित करते हुए भावुक बयान दिया, “आज मेरे बेटे का जन्मदिन है और मोदी सरकार ने उसे जो तोहफा दिया है, वो जीवन भर याद रहेगा।” उन्होंने आरोप लगाया कि यह गिरफ़्तारी उस समय की गई जब विधानसभा का मानसून सत्र खत्म हो रहा था और भाजपा सरकार को विपक्ष के सवालों का सामना करना पड़ रहा था। बघेल ने इसे पूरी तरह से राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई बताया और कहा कि आने वाले चुनावों से पहले केंद्र जांच एजेंसियों के ज़रिए विपक्ष को दबाना चाहती है।
चैतन्य बघेल की पृष्ठभूमि और ईडी की नजर
चैतन्य बघेल प्रत्यक्ष राजनीति में सक्रिय नहीं हैं। वे खेती, पारिवारिक व्यवसाय और रियल एस्टेट से जुड़े हुए हैं। ईडी के अनुसार, उनके बैंक ट्रांजैक्शनों और संपत्ति से जुड़े दस्तावेजों में संदेहास्पद गतिविधियां पाई गईं। शुक्रवार को उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहां से 5 दिन की ईडी कस्टडी मिली। जांच एजेंसी अब यह पता लगाने में जुटी है कि चैतन्य असल में घोटाले का कोई प्रमुख पात्र हैं या फिर नामी परिवार का चेहरा इस्तेमाल कर किसी और के लिए काम कर रहे थे।
कांग्रेस का पलटवार, कार्यकर्ताओं का सड़कों पर विरोध
चैतन्य की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस ने पूरे प्रदेश में ईडी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। पार्टी प्रवक्ताओं ने इसे ‘लोकतंत्र पर हमला’ और केंद्र की ‘छवि बिगाड़ो अभियान’ करार दिया। रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग और कोरबा जैसे शहरों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किए और गिरफ्तारी को मनमानी बताया। पार्टी का कहना है कि सरकार विपक्षी नेताओं के परिवारों को निशाना बनाकर लोकतांत्रिक मर्यादाओं को खत्म कर रही है।
चुनावी गणित पर असर और रणनीतिक प्रतिक्रिया
राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं और ऐसे में चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी को केवल कानूनी मामला मानना कठिन है। विश्लेषकों का मानना है कि यह गिरफ़्तारी चुनावी मोर्चे पर कांग्रेस की तैयारी और उसकी सामाजिक समीकरणों को बाधित करने का प्रयास है। वहीं, यह भी संभावना है कि कांग्रेस इस मुद्दे को भावनात्मक रूप से भुनाए, जैसा कि भूपेश बघेल के शुरुआती बयान से स्पष्ट होता है।
न्यायिक प्रक्रिया बनाम राजनीतिक साज़िश
यह सवाल अब सबके सामने है कि चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी कानूनी प्रक्रिया के तहत सख्त जांच है या फिर राजनीतिक बदले की रणनीति? ईडी के पास कितने पुख्ता सबूत हैं, यह तो समय बताएगा, लेकिन इस घटनाक्रम ने यह तय कर दिया है कि आने वाले चुनावों में ‘बघेल बनाम केंद्र’ की लड़ाई गहराने वाली है। भूपेश बघेल के लिए यह व्यक्तिगत परीक्षा की घड़ी है, वहीं कांग्रेस के लिए राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई।
चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी छत्तीसगढ़ की राजनीति में केवल एक कानूनी कार्रवाई नहीं, बल्कि एक बड़ा चुनावी मोड़ बनकर उभरी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मामला किस दिशा में आगे बढ़ता है और क्या कांग्रेस इसे जनसमर्थन में बदल पाने में सफल होती है।