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ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में संग्राम: ट्रंप पर भ्रम, ननों की गिरफ़्तारी पर हंगामा और जयशंकर की ललकार

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शाहिद सईद 

नई दिल्ली, 30 जुलाई 2025 

भारत की संसद के मानसून सत्र का आठवां दिन ऑपरेशन सिंदूर, पाहलगाम आतंकी हमले, डोनाल्ड ट्रंप के दावे, छत्तीसगढ़ में ननों की गिरफ्तारी, और महिला ट्रैफिकिंग के आरोपों को लेकर राजनीतिक उथल-पुथल का केंद्र बन गया।

“ट्रंप और मोदी के बीच कोई कॉल नहीं हुआ”: एस जयशंकर

राज्यसभा में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच 12 अप्रैल से 12 जून 2025 के बीच कोई भी कॉल नहीं हुई। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान से आए आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने भारत को हमले की चेतावनी दी थी, जिस पर प्रधानमंत्री ने जवाब दिया कि भारत माकूल जवाब देगा—और वही हुआ।

जयशंकर ने कहा, “यदि पाकिस्तान को हमले रुकवाने थे, तो उन्हें डायरेक्टोर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन्स (DGMO) के माध्यम से अनुरोध करना चाहिए था। हमने सभी अंतरराष्ट्रीय नेताओं को यही उत्तर दिया—यह द्विपक्षीय मामला है।”

“पाकिस्तान से बातचीत की नीति ने देश को कमजोर किया”: जयशंकर का विपक्ष पर हमला

जयशंकर ने पिछली सरकारों पर आरोप लगाया कि उन्होंने आतंकी हमलों के बाद भी पाकिस्तान से बातचीत शुरू की, जिससे दुनिया को गलत संदेश गया। “आपने भारत-पाक को खुद ही जोड़ दिया। आपने हमला सहा, फिर बातचीत की। दुनिया आपको गंभीरता से क्यों लेगी?”—जयशंकर का विपक्ष पर तीखा हमला।

TRF पहली बार UN रिपोर्ट में: भारत की कूटनीतिक जीत

जयशंकर ने दावा किया कि पहली बार संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में TRF (The Resistance Front) का नाम आया है, जो लश्कर-ए-तैयबा का ही दूसरा चेहरा है। उन्होंने इसे भारत की वैश्विक आतंकवाद विरोधी मुहिम की बड़ी सफलता बताया।

ननों की गिरफ्तारी पर बवाल: कांग्रेस का हमला

लोकसभा में कांग्रेस सांसद के.सी. वेणुगोपाल ने छत्तीसगढ़ में दो कैथोलिक ननों—प्रेटा मैरी और वंदना फ्रांसिस—की गिरफ्तारी को लेकर जोरदार आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने दुर्ग स्टेशन पर उन्हें रोककर नारेबाज़ी की, और झूठे मानव तस्करी व धर्मांतरण के आरोपों में गिरफ्तार करवा दिया गया।

“क्या भारत अब ‘बनाना रिपब्लिक’ बन गया है?”—सवाल उठाते हुए वेणुगोपाल ने कहा कि ये नन कैंसर पीड़ितों की सेवा में लगी हुई थीं, और उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।

महिलाओं की तस्करी और धर्मांतरण का आरोप: बस्तर से भाजपा का दावा

बस्तर से बीजेपी सांसद महेश कश्यप ने कहा कि आदिवासी महिलाओं को धार्मिक रूपांतरण और तस्करी के लिए अन्य राज्यों में भेजा जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर केंद्र सरकार विशेष कानून लाने पर विचार कर रही है। इस पर विपक्ष ने विरोध दर्ज किया।

पाहलगाम हमला पूरे देश का दर्द: RJD के मनोज झा

राज्यसभा में राजद सांसद मनोज झा ने कहा, “यह हमला सिर्फ कुछ परिवारों का नहीं, पूरे देश का दर्द है। अगर खुफिया जानकारी थी, तो कार्रवाई क्यों नहीं हुई?” उन्होंने कहा कि आतंकियों ने धर्म पूछा, जात नहीं—और देश रो पड़ा। झा ने कहा, “मैं ऐसा भारत चाहता हूं जो कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की रिपोर्टिंग पर गर्व करे।”

अनुराग ठाकुर का पलटवार: ‘इंदिरा गांधी ने भी युद्ध रोकने के लिए गिड़गिड़ाया था’

बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि राहुल गांधी आज जिन तथ्यों के आधार पर सरकार को कमजोर बताने की कोशिश कर रहे हैं, वही इंदिरा गांधी ने 1971 युद्ध के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन से युद्ध रोकने की गुहार लगाकर किए थे। “क्या उन्हें अपनी सेना और सरकार पर भरोसा नहीं था?”, ठाकुर ने पूछा।

प्रियांका गांधी ने वायनाड त्रासदी को लेकर की वित्तीय राहत की मांग

कांग्रेस सांसद प्रियांका गांधी वाड्रा ने कहा कि एक साल बीतने के बाद भी वायनाड त्रासदी के पीड़ितों को सही से पुनर्वास नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि ₹90 करोड़ की राहत राशि ऋण के रूप में दी गई, न कि सहायता के रूप में। “लोगों के पास कुछ नहीं बचा, वे कैसे चुकाएंगे?”, उन्होंने सरकार से ऋण माफ़ी की मांग की।

जोर पकड़ता जा रहा है विपक्ष का विरोध

राज्यसभा में उपसभापति हरिवंश ने कई विपक्षी नोटिस अस्वीकार कर दिए जिनमें बिहार चुनावों से पहले SIR (Special Intensive Revision) और बंगाली प्रवासियों के टारगेटिंग जैसे मुद्दे थे। इससे विपक्ष भड़का और कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित करनी पड़ी।

ऑपरेशन सिंदूर पर बहस बनी बहुआयामी रणभूमि

जहां सरकार आतंकवाद पर अपनी सख्ती, वैश्विक मान्यता और सैन्य सफलता का दावा कर रही है, वहीं विपक्ष अधिकारों के दमन, अल्पसंख्यकों के खिलाफ कार्रवाई, और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की अस्पष्टता को मुद्दा बना रहा है।

आज की बहस ने साफ कर दिया कि ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि सत्ता, विदेश नीति, मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के टकराव की प्रयोगशाला बन गया है।

 

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