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बांग्लादेश, अब नेपाल… अगला कौन? कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी का बड़ा बयान – “यह सब संयोग नहीं”

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नई दिल्ली, 10 सितंबर 2025 

 कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने दक्षिण एशिया में एक के बाद एक उठ रहे राजनीतिक तूफ़ानों पर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि पहले बांग्लादेश में जो हालात बने और अब नेपाल में जिस तरह से युवा वर्ग की अगुवाई में आंदोलन उग्र हो चुका है, यह महज़ एक इत्तेफ़ाक नहीं है। तिवारी का कहना है कि यह घटनाक्रम सुनियोजित प्रयास का हिस्सा लगता है, जिसके पीछे गहरे राजनीतिक और रणनीतिक इशारे छिपे हुए हैं।

नेपाल में उग्र हुआ आंदोलन

नेपाल में हाल के दिनों में Gen-Z यानी नई पीढ़ी के नेतृत्व में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। इन प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया और अब तक दर्जनों लोगों की मौत और सैकड़ों घायल होने की खबरें आ चुकी हैं। हालात बिगड़ने पर नेपाल सरकार को देशव्यापी कर्फ्यू लागू करना पड़ा और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म जैसे फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप को बंद करना पड़ा। नेपाल की संसद और राष्ट्रपति भवन तक प्रदर्शनकारियों का पहुंच जाना इस बात का संकेत है कि आंदोलन केवल सड़कों तक सीमित नहीं है बल्कि शासन के केंद्र को भी चुनौती दे रहा है।

तिवारी की चेतावनी

मनीष तिवारी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर सवाल उठाया कि आखिर अचानक ये आंदोलन कैसे भड़क उठते हैं और क्यों इनका फोकस लगातार दक्षिण एशियाई देशों पर ही रहता है। उन्होंने कहा, “बांग्लादेश में जो कुछ हुआ और अब नेपाल में जो हो रहा है, इसे संयोग मानना बहुत भोला होगा। यह घटनाएँ एक बड़े पैमाने पर की जा रही सुनियोजित कोशिश का हिस्सा लगती हैं।” उनका यह बयान साफ संकेत देता है कि कांग्रेस इन घटनाओं को सिर्फ आंतरिक असंतोष नहीं मान रही, बल्कि इसके पीछे बाहरी ताक़तों की भूमिका देख रही है।

सोशल मीडिया और “जेनरेशन Z” की भूमिका

तिवारी ने इस बात पर भी जोर दिया कि इन आंदोलनों में सोशल मीडिया की भूमिका संदिग्ध और गहरी है। नेपाल में “#Nepokids” जैसे ट्रेंड्स अचानक छा जाना और लाखों लोगों तक संदेश पहुँच जाना इस बात का प्रमाण है कि किसी स्तर पर इन्हें योजनाबद्ध तरीके से हवा दी जा रही है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया की ताक़त का इस्तेमाल आज न केवल संवाद के लिए हो रहा है बल्कि शासन परिवर्तन और अराजकता फैलाने के लिए भी किया जा रहा है।

भारत के लिए खतरे की घंटी

नेपाल में बिगड़े हालात का असर सीधे भारत की सीमाओं तक महसूस किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश और बिहार के नेपाल सीमा से लगे ज़िलों में व्यापार और आमद-रफ़्त प्रभावित हुई है। कई इलाकों में बाज़ार बंद रहे और लोग चिंतित नज़र आए। तिवारी का कहना है कि दक्षिण एशिया में लगातार अस्थिरता भारत के लिए भी गंभीर खतरे का संकेत है, क्योंकि यह लहर कभी भी हमारे पड़ोस से हमारे भीतर प्रवेश कर सकती है।

व्यापक संदर्भ

कांग्रेस सांसद ने यह भी कहा कि पिछले कुछ वर्षों में बांग्लादेश और अब नेपाल में जो हो रहा है, वह इस बात का प्रमाण है कि कोई ताक़त क्षेत्रीय स्थिरता को तोड़ने पर तुली हुई है। उनका इशारा साफ है कि इन घटनाओं को अलग-अलग न देखा जाए, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया को अस्थिर करने की व्यापक साज़िश के तौर पर समझा जाए।

 

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