बाबा साहेब अंबेडकर ने जिस संविधान को अपने खून-पसीने और अथक संघर्ष से गढ़ा, उसी संविधान को बचाने की लड़ाई अब बिहार की धरती पर जनआंदोलन का रूप ले चुकी है। गुरुवार को मुंगेर में आयोजित ‘वोटर अधिकार यात्रा’ में नेता विपक्ष राहुल गांधी, पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, वीआईपी पार्टी के संस्थापक मुकेश साहनी और सीपीआई(एमएल) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और बीजेपी पर सीधा हमला बोला।
राहुल गांधी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा—
“संविधान जनता की ढाल है, जनता की आवाज़ है और जनता की रक्षा करता है। लेकिन आज नरेंद्र मोदी उसी संविधान को मिटाने में जुटे हैं। वोट चोरी संविधान पर सीधा हमला है। हम ऐसा कभी नहीं होने देंगे। बिहार से निकला नारा है – वोट चोर-गद्दी छोड़।” राहुल गांधी के इस बयान पर पूरा मैदान नारों से गूंज उठा।
उन्होंने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र का चुनाव इसलिए चुराया गया ताकि धारावी अडानी को सौंपा जा सके और अब बिहार में वोट चोरी हो रही है ताकि राज्य का धन अडानी-अंबानी की झोली में डाला जा सके। राहुल गांधी ने चेतावनी दी कि “यह देश बिकाऊ नहीं है, बिहार की जनता अपने वोट और भविष्य की रक्षा करेगी।”
तेजस्वी यादव ने भी प्रधानमंत्री पर करारा हमला बोलते हुए कहा— “जब-जब नरेंद्र मोदी चुनाव हारने लगते हैं, तो कोई न कोई तिकड़म बाज़ी शुरू कर देते हैं। लेकिन यह बिहार है, यहां लोग चूना खैनी में रगड़ देते हैं। बिहार मोदी जी से 11 साल का हिसाब मांगेगा। वोट चोरी नहीं होने दी जाएगी।”
मुकेश साहनी ने कहा कि चुनाव आयोग की मिलीभगत से बिहार में 65 लाख वोटरों के नाम वोटर लिस्ट से काट दिए गए। “जिंदा नौजवानों को मुर्दा घोषित कर दिया गया, प्रवासी मजदूरों का नाम मिटा दिया गया—यह सीधा लोकतंत्र पर हमला है।” वहीं दीपांकर ने कहा कि “यह सिर्फ वोट की चोरी नहीं, बल्कि संविधान और लोकतंत्र की हत्या है। और जनता इसका जवाब देगी।”
सभा के अंत में राहुल गांधी ने युवाओं का आह्वान किया:
“आज बिहार का युवा कह रहा है—हमें इसी प्रदेश में रोजगार चाहिए। जो लोग हमारे वोट और सपनों को चुरा रहे हैं, उन्हें गद्दी छोड़नी होगी। यह यात्रा अब केवल यात्रा नहीं, यह एक जनादेश है। यह जनक्रांति है।”
मुंगेर की सड़कों से उठी आवाज़ अब पूरे बिहार और देश में गूंज रही है— “वोट चोर-गद्दी छोड़… संविधान नहीं मिटेगा!”
बिहार की इस ‘वोटर अधिकार यात्रा’ को अब केवल राजनीतिक कार्यक्रम कहकर खारिज नहीं किया जा सकता। यह एक उभरता हुआ जनसैलाब है, जो इस बात का सबूत है कि जनता अब चुप नहीं बैठेगी। बाबा साहेब अंबेडकर का बनाया हुआ संविधान सिर्फ कागज़ का दस्तावेज़ नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों की उम्मीद और सुरक्षा है। जब यही संविधान निशाने पर आए, तो जनता की आवाज़ क्रांति का रूप लेती है—और बिहार में यही हो रहा है।
यह यात्रा केवल राहुल गांधी, तेजस्वी यादव या अन्य नेताओं की जंग नहीं है। यह हर उस नागरिक की लड़ाई है जिसका नाम वोटर लिस्ट से काटा गया, हर उस युवा की लड़ाई है जिसे रोजगार से वंचित किया गया, हर उस मजदूर की लड़ाई है जिसे नागरिक अधिकारों से वंचित किया गया। यह यात्रा बताती है कि वोट सिर्फ एक अधिकार नहीं, बल्कि संविधान और लोकतंत्र की धड़कन है।
वोट चोरी कोई सामान्य घटना नहीं है—यह लोकतंत्र की हत्या है। और जब लोकतंत्र खतरे में होता है, तो सड़क से संसद तक जनता की आवाज़ गरजती है। यही वजह है कि मुंगेर की धरती से उठा नारा—“वोट चोर-गद्दी छोड़”—अब बिहार की सीमाओं को लांघकर पूरे देश में गूंज रहा है। यह केवल एक नारा नहीं, बल्कि उस क्रांति की आहट है, जो नरेंद्र मोदी सरकार के तिकड़मी खेलों को उखाड़ फेंकेगी।
भारत का इतिहास गवाह है कि जब भी जनता का अधिकार छीना गया है, तब आंदोलन ने सत्ता की जड़ें हिला दी हैं। आज बिहार की यह ‘वोटर अधिकार यात्रा’ उसी ऐतिहासिक परंपरा की पुनरावृत्ति कर रही है। यह स्पष्ट संदेश है—संविधान बचेगा, वोट बचेगा और लोकतंत्र बचेगा। और इसके रास्ते में जो भी खड़ा होगा, जनता उसे उखाड़ फेंकेगी।