गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन नए विधेयक पेश किए, जिनमें प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को गंभीर अपराधों में 30 दिन की गिरफ्तारी के बाद पद से हटाने का प्रावधान है। विधेयकों का मसौदा संसद की संयुक्त समिति को भेज दिया गया है। इस बीच, लोकसभा में आज एक ऐतिहासिक और भड़काऊ हंगामा देखने को मिला, जब कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी, महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल, तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा, समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मिलकर सरकार पर संसद के अंदर और संसद के बाहर भी तीखा हमला बोला। यह हमला उन तीन विधेयकों के खिलाफ था, जिन्हें विपक्ष ने लोकतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था पर सीधा हमला करार दिया। विपक्ष का कहना था कि यह बिल प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को जांच अधिकारियों के अधीन कर देगा और विपक्षी शासित राज्यों को सीधे निशाने पर लेगा।
मनीष तिवारी का जोरदार हमला:
मनीष तिवारी ने कहा कि यह बिल संविधान की मूल संरचना के खिलाफ है। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी व्यक्ति को तब तक दोषी नहीं माना जा सकता जब तक अदालत उसे दोषी न ठहराए। इस विधेयक के जरिए यह सिद्धांत उलट दिया जा रहा है और प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को जांच अधिकारी के अधीन कर दिया जाएगा। तिवारी ने कहा कि यह बिल जनता द्वारा चुनी गई सरकारों को महज हिरासत में लेकर गिराने का प्रयास है, जो संसदीय लोकतंत्र की आत्मा के खिलाफ है। उन्होंने FIR, गिरफ्तारी और चार्जशीट को दोष मानने की प्रवृत्ति को अनुच्छेद 21 के खिलाफ बताया और चेतावनी दी कि यह विधेयक लोकतंत्र पर सीधा हमला है।
केसी वेणुगोपाल का तीखा हमला:
केसी वेणुगोपाल ने इस विधेयक का विरोध करते हुए गृह मंत्री अमित शाह को उनके जेल के दिनों की याद दिलाई। उन्होंने कहा, “जब आप गुजरात के गृहमंत्री रहते हुए जेल गए थे, क्या आपने इस्तीफा दिया था? अगर यह कानून आपके दिनों में होता तो आप जेल में ही रह जाते और कभी भी देश के गृहमंत्री न बन पाते।” वेणुगोपाल ने साफ कहा कि यह बिल केवल विपक्षी शासित सरकारों को निशाना बनाने के लिए है और इसमें एजेंसियों के मनमाने इस्तेमाल का खतरा है।
महुआ मोइत्रा का हमला:
महुआ मोइत्रा ने सरकार की साहसहीनता और तानाशाही प्रवृत्ति पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “India watched how @AmitShah did not have courage to sit in his own seat to bring in his Unconstitutional Amendment. Even with 20 extra Marshalls protecting him he cowardly sat in 4th row – Jo Darr Gaya Samjho Marr Gaya!” इसके अलावा उन्होंने कहा कि विपक्ष की पूर्वानुमान सही साबित हो गए हैं और भाजपा केवल 240 सांसदों के साथ संविधान को बदल रही है। नए बिल के जरिए केंद्र सरकार फेडरल संरचना और न्यायपालिका दोनों को दरकिनार कर सकती है और ED व CBI का इस्तेमाल करके विपक्षी राज्यों के मुख्यमंत्री को झूठे आरोपों में गिरफ्तार करके बिना अदालत में दोष सिद्ध किए हटा सकती है।
धर्मेंद्र यादव का सवाल:
समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने आजमगढ़ से सदन में सीधे गृह मंत्री अमित शाह से सवाल किया। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति के लिए महाराष्ट्र में जेल जाने की बात की गई थी, उसे आप लोगों ने उप मुख्यमंत्री बना रखा है। उनके इस सवाल ने सदन में राजनीतिक हलचल और विधेयक के विरोध को और धारदार बना दिया।
प्रियंका गांधी का कड़ा हमला:
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने भी बिल की आलोचना करते हुए कहा कि गृह मंत्री अमित शाह की ओर से पेश किए गए ये विधेयक दमनकारी हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह विधेयक लोकतंत्र और विपक्षी नेताओं के अधिकारों पर हमला करता है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।
संसद में विपक्ष का चरम प्रदर्शन:
आज विपक्ष ने अपने विरोध की चरम सीमा पर पहुँचते हुए बिल की कॉपी अमित शाह के सामने फाड़ कर फेंक दी। विपक्ष ने कहा कि अगर यह बिल पास हो गया, तो कोई नया नेता संघर्ष के रास्ते से पैदा ही नहीं होगा। यह विधेयक भारत में संघर्ष और आंदोलन की राजनीति को खत्म करने के लिए लाया गया है। मनीष तिवारी, केसी वेणुगोपाल, महुआ मोइत्रा, धर्मेंद्र यादव और प्रियंका गांधी ने जोर देकर कहा कि यह विधेयक संवैधानिक सुरक्षा, न्यायिक स्वतंत्रता और लोकतंत्र की बुनियाद को खतरे में डालता है। उन्होंने सरकार से इसे तुरंत वापस लेने की मांग की और चेतावनी दी कि यदि इसे पास किया गया तो आने वाली पीढ़ियां इसे भारतीय लोकतंत्र पर सबसे बड़ा हमला कहकर याद करेंगी।