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आंध्र प्रदेश के वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में मची भगदड़, कम से कम 9 श्रद्धालुओं की मौत, कई घायल; सरकार ने दिए जांच के आदेश

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तिरुपति (आंध्र प्रदेश), 1 नवंबर 2025 

 आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में शनिवार को एक बड़ा हादसा हो गया, जब दर्शन के दौरान भारी भीड़ के बीच भगदड़ मच गई। इस दर्दनाक घटना में अब तक कम से कम 9 श्रद्धालुओं की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 30 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं। घायलों में कई महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं। कई लोगों की हालत नाजुक बताई जा रही है, जिससे मृतकों का आंकड़ा बढ़ने की आशंका है। मंदिर प्रशासन और पुलिस ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया है, जबकि राज्य सरकार ने तत्काल उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं।

घटना तिरुमला के वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर परिसर की बाहरी सीढ़ियों पर तब हुई जब विशेष दर्शन के लिए भीड़ अचानक बढ़ गई। चश्मदीदों के अनुसार, मंदिर के ‘लड्डू काउंटर’ और मुख्य द्वार के पास श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी थीं। इस दौरान कुछ श्रद्धालु अचानक फिसल गए और पीछे से आ रही भीड़ ने संतुलन खो दिया। कुछ ही पलों में स्थिति इतनी विकट हो गई कि सैकड़ों लोग एक-दूसरे के ऊपर गिर पड़े। आसपास अफरातफरी मच गई, चीख-पुकार गूंजने लगी और पुलिसकर्मी भीड़ को नियंत्रित करने में असमर्थ दिखे।

स्थानीय प्रशासन ने तुरंत एंबुलेंस और मेडिकल टीमों को मौके पर भेजा। घायलों को तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर सरकारी अस्पताल और पास के निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने बताया कि अधिकांश मौतें दम घुटने और सिर पर चोट लगने से हुई हैं। कुछ श्रद्धालु मंदिर की पत्थर की सीढ़ियों पर दब गए, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं। राहतकर्मी अभी भी मौके पर जुटे हुए हैं और कई लोगों की तलाश जारी है।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया है और अधिकारियों को हरसंभव मदद देने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, “यह बेहद दुखद और असहनीय घटना है। राज्य सरकार पीड़ित परिवारों के साथ खड़ी है। दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।” सरकार ने मृतकों के परिजनों के लिए ₹10 लाख और घायलों के लिए ₹2 लाख के मुआवजे की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव के नेतृत्व में एक जांच समिति गठित कर दी है, जो 48 घंटे के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

दूसरी ओर, विपक्षी दलों ने इस हादसे को प्रशासनिक लापरवाही बताया है। टीडीपी नेता नारा चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि “यह हादसा रोका जा सकता था, अगर पुलिस और मंदिर प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण के उचित इंतजाम किए होते।” वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि राज्य सरकार को तीर्थस्थलों पर सुरक्षा मानकों की समीक्षा करनी चाहिए, क्योंकि हर त्योहार या विशेष पूजा के दौरान लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं और बार-बार ऐसी घटनाएँ होती रही हैं।

तिरुपति बालाजी का वेंकटेश्वर मंदिर भारत के सबसे धनी और प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है, जहां हर दिन औसतन 60,000 से 80,000 श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। विशेष अवसरों पर यह संख्या एक लाख से भी अधिक हो जाती है। मंदिर प्रबंधन बोर्ड (TTD) ने हाल के वर्षों में कई बार भीड़ नियंत्रण के नए प्रावधान लागू किए हैं — जैसे ऑनलाइन टिकटिंग, डिजिटल क्यू सिस्टम और सुरक्षा गेट — लेकिन इस हादसे ने एक बार फिर इन व्यवस्थाओं की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

धार्मिक स्थलों पर बढ़ती भीड़ और सुरक्षा इंतजामों की कमी को लेकर यह घटना पूरे देश के लिए चेतावनी बन गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि धार्मिक आयोजनों में भीड़ प्रबंधन को अब “राष्ट्रीय सुरक्षा नीति” के हिस्से के रूप में देखा जाना चाहिए, क्योंकि ऐसे हादसे न केवल जान-माल का नुकसान करते हैं, बल्कि आस्था को भी झकझोर देते हैं।

फिलहाल पुलिस ने मौके को सील कर दिया है और जांच टीमें सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही हैं, ताकि हादसे की वास्तविक वजह पता लगाई जा सके। तिरुपति के जिला अधिकारी ने बताया कि “प्रारंभिक जांच में संकेत मिले हैं कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त बैरिकेडिंग नहीं थी और आपातकालीन निकास द्वार बंद थे।” यदि यह सत्य पाया गया, तो मंदिर प्रशासन पर बड़ी जिम्मेदारी तय होगी।

घटना के बाद मंदिर परिसर में सन्नाटा पसरा है। श्रद्धालु अब भी भय और सदमे में हैं। कई परिवार अपने लापता परिजनों को ढूंढ रहे हैं। इस त्रासदी ने एक बार फिर दिखा दिया है कि भीड़भाड़ वाले धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा की छोटी सी चूक भी सैकड़ों ज़िंदगियों पर भारी पड़ सकती है।

 

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