लेह 29 सितंबर 2025
लद्दाख के शांति और संवैधानिक संरक्षा की मांग उठाने वाले Leh Apex Body (LAB) के सह-अध्यक्ष छेरिंग दोरजे लकुरुक (Chhering Dorje Lakruk) ने मंगलवार को लेह में हुई हिंसा और केंद्र की नीति पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि जिस अनुच्छेद 370 को आज लोग कोसते हैं, उसी ने उन्हें बचाया था — अब उनकी ज़मीनें, रोज़गार और अधिकार छिन रहे हैं। उनका यह बयान तब आया है जब लेह में विरोध प्रदर्शन तेज हो चुके हैं और सुरक्षा बलों और नागरिकों के बीच टकराव की खबरें लगातार सामने आ रही हैं।
छेरिंग लकुरुक ने कहा कि अनुच्छेद 370 और 35A की समाप्ति के बाद लद्दाख को वे संवैधानिक सुरक्षा नहीं मिली जो पहले हुआ करती थी। उन्होंने जोर देते हुए कहा, “लोक रूप से हम कहते हैं कि हम अनुच्छेद 370 को कोसते हैं — लेकिन वही हमें बचाता था। अब हमारे अधिकारों और उन संसाधनों को छीना जा रहा है जो पहले हमें मिले थे।”
उनका आरोप है कि हिंसा और विरोध प्रदर्शन में बड़ी भूमिका सुरक्षा बलों की कार्रवाई की है। उन्होंने कहा कि अधिकांश घायल लोगों के ऊपरी हिस्से पर गोली व गिरने के निशान हैं, यह बताता है कि पुलिस बिना पूर्व चेतावनी के फायरिंग कर रही थी।
लकुरुक ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रदर्शनकारी किसी बाहरी ताकत या हथियारबंद समूह से प्रेरित नहीं थे। उन्होंने कहा कि युवा शिक्षा प्राप्त हैं लेकिन बेरोज़गार हैं, और विरोध उस असमर्थता का परिणाम है जो उन्होंने वर्षों से सरकार से सुन रखी है।
उनका यह बयान राजनीति और संवैधानिक विमर्श दोनों पर सवाल उठा रहा है: क्या उन नागरिकों की रक्षा जो तत्कालीन विशेषाधिकारों के अभाव में खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं? और क्या केंद्र सरकार इन आक्रोशों को शांत करने की बजाय दबाव और दमन का रुख अपना रही है?