जनवरी 2025 में आंध्र प्रदेश ने राष्ट्रीय उत्सव की गरिमा और आर्थिक कूटनीति—दोनों मोर्चों पर खुद को नए रूप में प्रस्तुत किया। 26 जनवरी को विजयवाड़ा के इंदिरा गांधी स्टेडियम में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह न केवल पारंपरिक देशभक्ति से ओतप्रोत था, बल्कि इसने राज्य की प्रशासनिक क्षमता और राजनीतिक एकजुटता का प्रदर्शन भी किया। समारोह में राज्यपाल द्वारा ध्वजारोहण और परंपरागत परेड का आयोजन किया गया, जिसमें आंध्र पुलिस, NCC, स्कूली बच्चों और सांस्कृतिक समूहों ने भाग लिया।
इस राष्ट्रीय पर्व पर मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायडू और उप-मुख्यमंत्री पवन कल्याण की संयुक्त उपस्थिति ने सत्ता के स्थायित्व और राज्य की राजनीतिक स्थिरता का संदेश दिया। उनकी मंचीय भागीदारी ने सरकार की साझेदारियों की मजबूती को दर्शाया और प्रदेश में आगामी विकास योजनाओं के प्रति जनता में भरोसा पैदा किया। विजयवाड़ा जैसे प्रमुख शहर में इस आयोजन का होना, राजधानी के रूप में इसकी महत्ता को और अधिक रेखांकित करता है।
इसी महीने के दौरान आंध्र प्रदेश सरकार ने वैश्विक निवेशकों को ‘नई आंध्र’ की संभावनाएं दिखाने का प्रयास किया। चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने विश्व निवेश मंचों और रोडशो के माध्यम से प्रदेश को ‘इंडस्ट्री-अनुकूल गंतव्य’ के रूप में पेश किया, विशेष रूप से आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स, ग्रीन एनर्जी, और बंदरगाह आधारित लॉजिस्टिक्स के क्षेत्रों में। मुख्यमंत्री ने साफ संकेत दिया कि उनकी सरकार आंध्र को एक इनोवेशन और इंफ्रास्ट्रक्चर-फर्स्ट राज्य के रूप में उभारने को प्रतिबद्ध है।
इस दौरान मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में विदेशी निवेशकों के प्रतिनिधिमंडलों से विचार-विमर्श हुआ, जिसमें अमरावती के पुनरुद्धार, विशाखापट्टनम को आईटी हब बनाने, और फाइबरग्रिड प्रोजेक्ट जैसी योजनाएं प्रमुख थीं। इसके अलावा, पॉलिसी स्टेबिलिटी, सिंगल विंडो क्लीयरेंस, और फास्ट-ट्रैक इंफ्रास्ट्रक्चर को प्रमुख रूप से प्रस्तुत किया गया।
इन दोनों घटनाओं को जोड़कर देखा जाए तो आंध्र प्रदेश ने जनवरी 2025 में राष्ट्रीय भावना और वैश्विक सोच दोनों को संतुलित किया। जहां एक ओर जनता को राष्ट्र के साथ खड़े होने का गर्व महसूस कराया गया, वहीं दूसरी ओर राज्य ने खुद को वैश्विक मंच पर एक विश्वसनीय, विकसित और उद्योग-अनुकूल इकाई के रूप में स्थापित करने की ठोस कोशिश की। यह महीना आंध्र प्रदेश के लिए केवल उत्सव का नहीं, बल्कि राजनीतिक स्थिरता, जनसमर्थन और आर्थिक संभावनाओं की संगति का प्रतीक बन गया।