वॉशिंगटन/नई दिल्ली, 13 सितंबर 2025
अमेरिका ने रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए G7 देशों पर दबाव बढ़ा दिया है। व्हाइट हाउस ने भारत और चीन जैसे देशों को निशाना बनाने का प्रस्ताव रखा है, जो रूसी तेल खरीद रहे हैं। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के अनुसार, G7 देशों ने रूसी तेल खरीदारों पर प्रतिबंधों को सख्त करने का वादा किया है। इसका मकसद रूस की आय स्रोतों को काटना है ताकि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर दबाव बने और युद्ध जल्द खत्म हो सके।
अमेरिका का प्लान: टैरिफ और प्रतिबंधों से आर्थिक दबाव
अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेन्ट और यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव जेमिसन ग्रीर ने G7 फाइनेंस मिनिस्टर्स के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस में कहा, “केवल एकजुट प्रयास से ही हम पुतिन की युद्ध मशीनरी को फंडिंग रोक सकते हैं।” उन्होंने G7 सहयोगियों से अपील की कि वे चीन और भारत से आयातित वस्तुओं पर 50 से 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगाएं। यह कदम रूसी तेल की खरीद को रोकने के लिए है, जो कथित तौर पर युद्ध को लंबा खींच रहा है।
पिछले हफ्ते ही अमेरिका ने भारतीय सामानों पर 50 प्रतिशत टैरिफ बढ़ा दिया था, जो चीन पर लगे 30 प्रतिशत टैरिफ से भी ज्यादा है। ट्रेजरी विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा, “चीन और भारत की रूसी तेल खरीद पुतिन की युद्ध मशीनरी को फंड कर रही है और यूक्रेन में बेकसूर लोगों की हत्या को बढ़ावा दे रही है।” G7 की बैठक कनाडा के फाइनेंस मिनिस्टर फ्रांस्वा-फिलिप शैंपेन की अध्यक्षता में हुई, जहां रूस पर अतिरिक्त प्रतिबंधों और फ्रोजन रूसी संपत्तियों (लगभग 300 अरब डॉलर) का यूक्रेन की रक्षा के लिए उपयोग करने पर चर्चा हुई।
प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा, “मेरा पुतिन के साथ धैर्य खत्म हो रहा है। हमें बहुत सख्ती से कदम उठाने होंगे।” उन्होंने यूरोपीय देशों से भी भागीदारी की मांग की, लेकिन अतिरिक्त सैन्य कार्रवाई से इनकार किया। ट्रंप ने जोर दिया कि टैरिफ युद्ध समाप्त होते ही हटा लिए जाएंगे।
भारत-चीन पर असर: वैश्विक व्यापार में तनाव
भारत और चीन दुनिया के सबसे बड़े रूसी तेल खरीदार हैं। अमेरिका का यह प्लान वैश्विक व्यापार को प्रभावित कर सकता है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, “चीन यूक्रेन संकट में निष्पक्ष है। हम इसका कारण नहीं हैं और न ही पक्षधर।” विशेषज्ञों का मानना है कि यह अमेरिकी वर्चस्व की मिसाल है, जो यूरोप-भारत-चीन संबंधों को खराब कर सकता है। रेनमिन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर बाओ जियानयुन ने चेतावनी दी कि इससे वैश्विक सप्लाई चेन बाधित हो सकती है।
G7 देशों में इस प्रस्ताव पर एकरूपता नहीं है। यूरोपीय संघ में हंगरी जैसे देश रूस पर सख्ती के खिलाफ हैं। हालांकि, अमेरिका ने EU को भी 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने की सलाह दी है। जनसत्ता की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने G7 को एक पोजीशन पेपर भेजा है, जिसमें द्वितीयक टैरिफ और व्यापार प्रतिबंधों का जिक्र है।
विशेषज्ञों की राय: क्या यह रणनीति कामयाब होगी?
विश्लेषकों का कहना है कि यह आर्थिक दबाव रूस को शांति वार्ता की मेज पर ला सकता है, लेकिन भारत और चीन जैसे उभरते बाजारों पर बोझ बढ़ेगा। यूक्रेन को समर्थन देने के लिए फ्रोजन रूसी एसेट्स का उपयोग तेज करने पर सहमति बनी है। फिलहाल, G7 ने रूस की ‘शैडो फ्लीट’ तेल टैंकरों और सैन्य सप्लायर्स पर नए प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। यह घटना रूस-यूक्रेन युद्ध के 3 साल बाद आर्थिक हथियारों पर फोकस को दर्शाती है। दुनिया की नजर अब G7 के अगले कदमों पर है।