18 हज़ार शपथपत्रों पर चुप्पी: सरकार क्यों डरी हुई है?
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर तीखे शब्दों में हमला बोलते हुए कहा है कि 2022 विधानसभा चुनावों में वोटर लिस्ट से नाम कटने के मामले में उनकी पार्टी ने 18 हज़ार शपथपत्र चुनाव आयोग को सौंपे, लेकिन सरकार उनमें से एक का भी जवाब देने से भाग रही है। अखिलेश ने सवाल दागा – “अगर ये फर्जीवाड़ा नहीं था तो सरकार और आयोग जवाब देने से क्यों भाग रहे हैं? मृतक प्रमाणपत्र कहाँ हैं? नाम काटने की असली वजहें क्यों छिपाई जा रही हैं?”
चुनाव आयोग पर सीधा प्रहार: “डीएम की आड़ में मत छिपो”
अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आयोग जिलाधिकारियों को आगे करके अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट किया कि यह पूरा मामला लोकतंत्र की हत्या है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर चुनाव आयोग ने सच छुपाना जारी रखा तो न सिर्फ आयोग की साख ध्वस्त होगी, बल्कि पूरा ‘डिजिटल इंडिया’ प्रोजेक्ट ही सवालों के घेरे में आ जाएगा।
अल्पसंख्यकों और पिछड़ों को निशाना: सपा का बड़ा आरोप
समाजवादी पार्टी का दावा है कि 2022 के यूपी चुनावों से पहले लाखों नाम voter list से जानबूझकर काटे गए। खासकर पिछड़ी जातियों और अल्पसंख्यक समुदायों को “मृतक” या “स्थानांतरित” बताकर सूची से बाहर किया गया। अखिलेश ने कहा कि यह भाजपा का सुनियोजित षड्यंत्र था ताकि विपक्षी वोटर चुनाव से बाहर हो जाएं। उन्होंने साफ कहा कि इस मामले की फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई होनी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।
सफाई नहीं, सफाया चाहिए: अखिलेश का दो-टूक संदेश
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अब सिर्फ चुनाव सुधार की बातें काफी नहीं हैं। चुनाव आयोग को “आमूलचूल बदलाव” की जरूरत है, क्योंकि आज आयोग निष्पक्ष संस्था नहीं बल्कि भाजपा का प्रवक्ता बनकर काम कर रहा है। अखिलेश ने भाजपा नेताओं पर भी निशाना साधते हुए पूछा कि क्या उनके हलफनामे चुनाव आयोग तक पहुंचे हैं या फिर उन्हें भी दबा दिया गया?
राहुल गांधी की गूंज और विपक्षी एकजुटता
वोटर लिस्ट घोटाले पर अकेले अखिलेश नहीं बल्कि राहुल गांधी ने भी भाजपा और चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा किया है। राहुल ने बिहार में 56 लाख और महाराष्ट्र में 1 करोड़ वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। विपक्ष का आरोप है कि भाजपा लोकतंत्र को चुनावी हेरफेर की प्रयोगशाला बना चुकी है।
आगामी चुनावों का बड़ा मुद्दा बनेगा वोटर लिस्ट घोटाला
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह मामला और तूल पकड़ता है तो विपक्ष इसे भाजपा सरकार के खिलाफ चुनावी हथियार बनाएगा। समाजवादी पार्टी पहले ही इस पर सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक आक्रामक मुहिम छेड़ चुकी है। अब सवाल यह है कि भाजपा इस आग का सामना कैसे करेगी, क्योंकि विपक्ष इसे “लोकतंत्र की सबसे बड़ी चोरी” बता रहा है।
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