नई दिल्ली, 16 अक्टूबर 2025 | ब्यूरो रिपोर्ट
‘निष्पक्ष और तकनीकी रूप से सशक्त जांच’ की मांग
हाल ही में हुए अहमदाबाद एयर इंडिया विमान हादसे ने देशभर में चिंता की लहर पैदा कर दी है। अब इस हादसे की गहराई से जांच की मांग करते हुए हादसे में मारे गए पायलट के पिता और फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP) ने सुप्रीम कोर्ट में न्यायिक जांच (Judicial Inquiry) के लिए याचिका दायर की है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि केवल “निष्पक्ष, स्वतंत्र और तकनीकी रूप से सशक्त जांच” ही सच्चाई को सामने ला सकती है।
हादसे में कई जानें गईं, जांच पर सवाल उठे
अहमदाबाद एयरपोर्ट पर पिछले महीने हुए इस दर्दनाक हादसे में एयर इंडिया के विमान ने रनवे से फिसलकर आग पकड़ ली थी, जिसमें कई यात्रियों और क्रू मेंबर्स की मौत हो गई थी। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में तकनीकी खराबी और ग्राउंड स्टाफ की लापरवाही के संकेत मिले थे, लेकिन पीड़ित परिवारों और पायलट यूनियनों का कहना है कि सरकारी जांच “एकतरफा और अधूरी” लग रही है।
पायलट के पिता ने सुप्रीम कोर्ट से की भावनात्मक अपील
दुर्घटना में जान गंवाने वाले कैप्टन के पिता ने सुप्रीम कोर्ट को लिखे अपने पत्र में कहा है, “मेरे बेटे ने अपने जीवन में सैकड़ों उड़ानें सुरक्षित उतारीं। यदि उस दिन कुछ गलत हुआ, तो वह सिर्फ एक व्यक्ति की गलती नहीं थी। सिस्टम की विफलता को भी जवाब देना होगा।”
उन्होंने कहा कि हवाई सुरक्षा से जुड़े ढांचे में सुधार और जवाबदेही तय करने के लिए अदालत की निगरानी में जांच जरूरी है।
फेडरेशन ऑफ पायलट्स ने भी दी दलीलें
फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स ने अपने हलफनामे में कहा है कि भारत में एविएशन हादसों की जांच अक्सर “तकनीकी सच्चाई से अधिक प्रशासनिक औपचारिकताओं” पर आधारित होती है। फेडरेशन ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि वह एक “स्वतंत्र न्यायिक आयोग” गठित करे जिसमें विमानन विशेषज्ञ, तकनीकी सलाहकार और सुरक्षा विश्लेषक शामिल हों।
सरकार और DGCA पर भी सवाल
याचिका में नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MoCA) और नियामक संस्था DGCA पर यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने हादसे के बाद साक्ष्यों को सील करने में देरी की, जिससे कई अहम तकनीकी डेटा को नुकसान हुआ। याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि ब्लैक बॉक्स और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) की जांच “अंतरराष्ट्रीय मानकों” के अनुसार नहीं की गई।
सुप्रीम कोर्ट अगली सुनवाई में तय करेगा आयोग गठन पर फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार और DGCA से जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि “हवाई सुरक्षा से जुड़ा कोई भी मामला जनता के विश्वास और जीवन से संबंधित है, अतः जांच में पारदर्शिता सर्वोपरि होनी चाहिए।” अगली सुनवाई अगले सप्ताह निर्धारित की गई है, जिसमें यह तय होगा कि न्यायिक आयोग का गठन किया जाएगा या नहीं।