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कृषि भारत की आत्मा है और किसान उसकी शक्ति: शिवराज सिंह चौहान

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समस्तीपुर (बिहार), 

17 जुलाई 2025:

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के चौथे दीक्षांत समारोह में भाग लिया। इस ऐतिहासिक अवसर पर उन्होंने विक्रमशिला छात्रावास और आर्यावर्त अंतरराष्ट्रीय अतिथिगृह का उद्घाटन किया तथा दो महत्वपूर्ण पुस्तकों – “Pusa Bihar: The Birthplace of Agricultural Research and Education” और “Textbook on Natural Farming” का लोकार्पण भी किया।

श्री चौहान ने अपने संबोधन में कहा, “समस्तीपुर मिथिलांचल का द्वार है, यह जनक और सीता की पवित्र भूमि है, जिसने भारत को बुद्ध का संदेश दिया।” उन्होंने भारत रत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद और जननायक कर्पूरी ठाकुर को श्रद्धांजलि दी और बिहार को प्रतिभा और परिश्रम की भूमि बताया।

छात्रों को दी नई कृषि क्रांति के निर्माण की प्रेरणा

उन्होने कहा, “आप अपार संभावनाओं के भंडार हैं। स्वामी विवेकानंद के सपनों को साकार करें — कठिन परिश्रम करें, ऊँचा सोचें और अपने ज्ञान से कृषि को नया आयाम दें।” उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे अपनी शिक्षा को प्रयोग में लाएं और कृषि में नवाचार और आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त करें।

11 वर्षों की उपलब्धियों पर डाला प्रकाश

श्री चौहान ने बताया कि पिछले 11 वर्षों में कृषि उत्पादन में 40% की वृद्धि हुई है, 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज मिल रहा है और ₹50,000 करोड़ मूल्य के बासमती चावल का निर्यात हो रहा है। बिहार में मक्का, लीची और मखाना के उत्पादन में हुई वृद्धि की भी सराहना की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गठित मखाना बोर्ड का विशेष उल्लेख किया।

प्राकृतिक खेती पर ज़ोर

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य है और छात्रों को इसे बढ़ावा देने के लिए काम करना चाहिए। हाल ही में शुरू हुई प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना के अंतर्गत 100 जिलों में उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। समारोह में बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा, केंद्रीय राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर, बिहार सरकार के मंत्री महेश्वर हजारी, और सांसद शांभवी भी उपस्थित रहे।

विश्वविद्यालय की भूमिका पर बल

श्री चौहान ने कहा, “डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय भारतीय कृषि का भविष्य संवारने में अग्रणी भूमिका निभा सकता है। मैं हमेशा छात्रों और शिक्षकों से नए विचारों को सुनने के लिए तत्पर हूं।”।कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना 2016 में केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में हुई थी, जो अब देश में कृषि अनुसंधान और शिक्षा का प्रमुख केंद्र बन चुका है।

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