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फिर जेब पर वार : इस बार बदलाव के बहाने बढ़ेगा बोझ

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नई दिल्ली 31 अगस्त 2025

क्रेडिट कार्ड नियमों का बोझ – ग्राहक के सिर पर नया तनाव

सितंबर 2025 से क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों के लिए हालात और मुश्किल होने जा रहे हैं। SBI, HDFC और IDFC First बैंक ने अपने कार्डधारकों पर नए नियम थोप दिए हैं। रिवॉर्ड पॉइंट्स की सीमा घटा दी गई है, यूटिलिटी बिल पेमेंट्स पर मिलने वाले लाभों पर लगाम कस दी गई है और भुगतान की डेडलाइन को घटा दिया गया है। सवाल यह है कि जब ग्राहक पहले से ही ऊंची ब्याज दरों और चार्जेज़ का बोझ झेल रहा है, तब बैंकों द्वारा सुविधा घटाकर मुनाफा बढ़ाने की यह रणनीति कितनी न्यायसंगत है? RBI का नियम कि ग्राहक खुद नेटवर्क चुनेंगे—सुनने में लोकतांत्रिक लगता है, लेकिन असल में यह बैंक और कार्ड कंपनियों के बीच की होड़ में उपभोक्ता को सिर्फ एक मोहरा बनाकर छोड़ देता है।

गैस और ईंधन – आम आदमी की रसोई और सफर दोनों महंगे

दिल्ली में 19 किलो के कमर्शियल LPG सिलेंडर की कीमत ₹1691.50 कर दी गई है। क्या सरकार भूल रही है कि छोटे रेस्तरां, ढाबे और घरेलू बजट पहले ही महंगाई की मार झेल रहे हैं? CNG और PNG के दाम बढ़ने की संभावना भी इसी ओर इशारा कर रही है कि जनता की जेब से हर महीने हजारों रुपये अतिरिक्त निकलने वाले हैं। यह सिर्फ रसोई का संकट नहीं है, बल्कि ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक्स का संकट भी है, क्योंकि CNG और PNG की बढ़ोतरी सीधे किराए और वस्तुओं की कीमतों पर असर डालेगी। महंगाई पहले ही आम आदमी का गला दबा रही है, और इन नए दामों ने उसे और डुबो दिया है।

आधार अपडेट – सुविधा का नाम, वसूली का काम

UIDAI ने आधार विवरण मुफ्त में अपडेट कराने की डेडलाइन 14 सितंबर तय कर दी है। सवाल उठता है कि आधार जैसी महत्वपूर्ण पहचान से जुड़ी सुविधा पर समय सीमा क्यों थोप दी गई? लाखों लोग जो ग्रामीण इलाकों में रहते हैं, जिनके पास जानकारी या संसाधनों की कमी है, वे इस तारीख के बाद मजबूर होकर फीस देंगे। सरकार इसे पारदर्शिता और सटीकता का नाम देती है, लेकिन हकीकत में यह नागरिकों से अतिरिक्त शुल्क वसूलने का नया रास्ता है। आधार जैसी सार्वभौमिक पहचान को बार-बार अपडेट करवाने की मजबूरी बनाकर सरकार खुद को ही कठघरे में खड़ा कर रही है।

टेलीकॉम में बदलाव – धोखाधड़ी से बचाव या नई चाल?

TRAI अब ब्लॉकचेन आधारित सिस्टम से स्पैम कॉल्स और फ्रॉड मैसेज रोकने की बात कर रहा है। सुनने में यह ग्राहक हितैषी कदम लगता है, लेकिन सवाल उठता है कि इतने वर्षों तक जब लोग रोज़ाना स्पैम कॉल्स से परेशान होते रहे तब क्यों कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई? अब जब ब्लॉकचेन तकनीक लागू होगी तो इसका बोझ क्या कंपनियां खुद उठाएंगी या अंततः उपभोक्ता से ही वसूला जाएगा? टेलीकॉम क्षेत्र पहले ही छिपे हुए शुल्क और मनमाने प्लान बदलावों के लिए कुख्यात है। ऐसे में यह नया सिस्टम कहीं एक और चाल तो नहीं, जिससे ग्राहक को और उलझाया जाए?

आम आदमी की जेब पर संगठित हमला

सितंबर 2025 के ये सारे बदलाव—क्रेडिट कार्ड, गैस सिलेंडर, आधार और टेलीकॉम—एक बड़े पैमाने पर आम जनता की जेब पर संगठित हमले जैसे हैं। बैंक, कंपनियां और सरकारी संस्थाएं नियम बदलकर अपनी मुनाफाखोरी और प्रशासनिक सुविधा तो सुनिश्चित कर रही हैं, लेकिन ग्राहक और नागरिकों की मुश्किलें दोगुनी हो रही हैं। हर नया नियम सुविधा और पारदर्शिता का नाम लेकर लागू किया जाता है, परंतु इसका असर हमेशा महंगाई और अतिरिक्त खर्च के रूप में सामने आता है। यह समय है जब लोगों को इन तथाकथित “सुधारों” के पीछे छिपे आर्थिक बोझ को समझकर सवाल पूछना चाहिए—क्योंकि आखिरकार, इन बदलावों का सबसे बड़ा शिकार वही जनता है जो पहले ही महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रही है।

 

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