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धनखड़ के इस्तीफे के बाद उप-राष्ट्रपति चुनाव 9 सितंबर को, नामांकन 21 अगस्त तक

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चुनाव आयोग ने की औपचारिक घोषणा

भारत के चुनाव आयोग ने उप-राष्ट्रपति पद के लिए नए चुनाव की तारीखों की घोषणा करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि यह संवैधानिक पद जल्द ही एक नए चेहरे को सौंपा जाएगा। चुनाव आयोग द्वारा जारी कार्यक्रम के अनुसार, उप-राष्ट्रपति चुनाव के लिए अधिसूचना 7 अगस्त को जारी होगी और नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त निर्धारित की गई है। नामांकन पत्रों की जांच 22 अगस्त को की जाएगी, जबकि उम्मीदवारी वापस लेने की आखिरी तारीख 25 अगस्त होगी। मतदान और मतगणना दोनों 9 सितंबर को कराए जाएंगे। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि सारी प्रक्रिया समयबद्ध तरीके से पूरी की जाएगी ताकि नए उप-राष्ट्रपति का कार्यभार निर्विघ्न रूप से सुनिश्चित हो सके।

धनखड़ का इस्तीफा और उसकी पृष्ठभूमि

यह चुनाव उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद आवश्यक हो गया। 22 जुलाई को दिए गए अपने त्यागपत्र में धनखड़ ने कहा कि वह स्वास्थ्य कारणों और चिकित्सकीय परामर्श के चलते यह निर्णय ले रहे हैं। उन्होंने अपने पत्र में संविधान के अनुच्छेद 67(a) का हवाला देते हुए तुरंत प्रभाव से इस्तीफा दिया था। उनकी यह घोषणा राजनीतिक हलकों में एक झटके की तरह आई, क्योंकि न तो किसी गंभीर बीमारी का संकेत पहले मिला था और न ही कोई औपचारिक सूचना सार्वजनिक की गई थी। उनके इस्तीफे ने देश की राजनीति को एक नई दिशा में मोड़ने का अवसर भी पैदा कर दिया है, जहां कई सियासी दल इस चुनाव को अपने प्रभाव के विस्तार का अवसर मान रहे हैं।

उप-राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?

भारत के उप-राष्ट्रपति का चुनाव संविधान के अनुच्छेद 66 के तहत कराया जाता है। चुनाव प्रक्रिया एक निर्वाचन मंडल के माध्यम से होती है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों के सदस्य सम्मिलित होते हैं। मतदान प्रणाली एकल संक्रमणीय मत (single transferable vote) पर आधारित होती है और चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व की पद्धति से कराया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि परिणाम केवल बहुमत पर नहीं, बल्कि व्यापक प्रतिनिधित्व पर आधारित हो। चुनाव आयोग ने बताया है कि इस चुनाव के लिए संसद के दोनों सदनों के कुल सदस्यों की अंतिम सूची तैयार कर ली गई है और सभी आवश्यक प्रशासनिक तैयारियाँ पूरी हो चुकी हैं।

उम्मीदवार बनने की शर्तें क्या हैं?

भारत का उप-राष्ट्रपति बनने के लिए कुछ स्पष्ट संवैधानिक शर्तें हैं। पहला, उम्मीदवार भारतीय नागरिक होना चाहिए। दूसरा, उसकी आयु 35 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए। तीसरा, वह व्यक्ति राज्यसभा सदस्य बनने के योग्य होना चाहिए। चौथा, उम्मीदवार केंद्र या राज्य सरकार अथवा किसी स्थानीय अथवा अन्य सरकारी निकाय के अधीन लाभ के पद पर आसीन नहीं होना चाहिए। ये शर्तें सुनिश्चित करती हैं कि उप-राष्ट्रपति का पद एक निष्पक्ष, अनुभवी और निष्कलंक व्यक्ति के पास जाए।

राजनीतिक सरगर्मी और संभावनाओं की चर्चा

उप-राष्ट्रपति चुनाव की तारीख घोषित होते ही राजनीतिक गलियारों में संभावित उम्मीदवारों को लेकर चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों ही खेमे इस मौके को अपनी वैचारिक और राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने के रूप में देख रहे हैं। विपक्षी दलों का INDIA गठबंधन इस चुनाव को एकजुटता का अभ्यास मान सकता है, जबकि सत्तारूढ़ एनडीए के लिए यह एक और शक्ति प्रदर्शन का अवसर हो सकता है। हालांकि इस चुनाव में आम जनता की प्रत्यक्ष भागीदारी नहीं होती, लेकिन इसके राजनीतिक संकेत दूरगामी होते हैं। यह चुनाव यह भी तय करेगा कि संसद के ऊपरी सदन में सत्ता और विपक्ष के समीकरण किस दिशा में अग्रसर होंगे।

नया अध्याय शुरू होने को तैयार

उप-राष्ट्रपति का पद केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि राज्यसभा के सभापति के रूप में उसकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। ऐसे में इस चुनाव के जरिए एक ऐसी शख्सियत को चुना जाएगा जो संसद की गरिमा, निष्पक्षता और लोकतांत्रिक परंपराओं को मजबूती दे सके। जगदीप धनखड़ का इस्तीफा एक युग का समापन है और आगामी चुनाव एक नए युग का आरंभ। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत की संसद किस चेहरे को इस गरिमामयी पद के लिए चुनती है — और वह व्यक्ति आने वाले वर्षों में संसद की कार्यप्रणाली को किस दिशा में ले जाता है।

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